उन त्योहार, पर्व या उत्सवों को मनाने का महत्व अधिक है जिनकी उत्पत्ति स्थानीय परम्परा, व्यक्ति विशेष या संस्कृति से न होकर जिनका उल्लेख वैदिक धर्मग्रंथ, धर्मसूत्र और आचार संहिता में मिलता है। ऐसे कुछ पर्व हैं और इनके मनाने के अपने नियम भी हैं। इन पर्वों में सूर्य-चंद्र की संक्रांतियों और कुम्भ का अधिक महत्व है। सूर्य संक्रांति में मकर सक्रांति का महत्व ही अधिक माना गया है। माघ माह में कृष्ण पंचमी को मकर सक्रांति देश के लगभग सभी राज्यों में अलग-अलग सांस्कृतिक रूपों में मनाई जाती है। आओ जानते हैं कि मकर संक्रांति के दिन कौन कौन से खास कार्य होते हैं…
1. क्यों कहते हैं मकर संक्रांति?
मकर संक्रांति में ‘मकर’ शब्द मकर राशि को इंगित करता है जबकि ‘संक्रांति’ का अर्थ संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। एक राशि को छोड़कर दूसरे में प्रवेश करने की इस विस्थापन क्रिया को संक्रांति कहते हैं। चूंकि सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है इसलिए इस समय को ‘मकर संक्रांति’ कहा जाता है। हिन्दू महीने के अनुसार पौष शुक्ल पक्ष में मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है।
2. इस दिन से सूर्य होता है उत्तरायन
चन्द्र के आधार पर माह के 2 भाग हैं- कृष्ण और शुक्ल पक्ष। इसी तरह सूर्य के आधार पर वर्ष के 2 भाग हैं- उत्तरायन और दक्षिणायन। इस दिन से सूर्य उत्तरायन हो जाता है। उत्तरायन अर्थात उस समय से धरती का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है, तो उत्तर ही से सूर्य निकलने लगता है। इसे सोम्यायन भी कहते हैं। 6 माह सूर्य उत्तरायन रहता है और 6 माह दक्षिणायन। अत: यह पर्व ‘उत्तरायन’ के नाम से भी जाना जाता है। मकर संक्रांति से लेकर कर्क संक्रांति के बीच के 6 मास के समयांतराल को उत्तरायन कहते हैं।
3. इस पर्व का भौगोलिक विवरण
पृथ्वी साढ़े 23 डिग्री अक्ष पर झुकी हुई सूर्य की परिक्रमा करती है तब वर्ष में 4 स्थितियां ऐसी होती हैं, जब सूर्य की सीधी किरणें 21 मार्च और 23 सितंबर को विषुवत रेखा, 21 जून को कर्क रेखा और 22 दिसंबर को मकर रेखा पर पड़ती है। वास्तव में चन्द्रमा के पथ को 27 नक्षत्रों में बांटा गया है जबकि सूर्य के पथ को 12 राशियों में बांटा गया है। भारतीय ज्योतिष में इन 4 स्थितियों को 12 संक्रांतियों में बांटा गया है जिसमें से 4 संक्रांतियां महत्वपूर्ण होती हैं- मेष, तुला, कर्क और मकर संक्रांति।
4. फसलें लहलहाने लगती हैं
इस दिन से वसंत ऋतु की भी शुरुआत होती है और यह पर्व संपूर्ण अखंड भारत में फसलों के आगमन की खुशी के रूप में मनाया जाता है। खरीफ की फसलें कट चुकी होती हैं और खेतों में रबी की फसलें लहलहा रही होती हैं। खेत में सरसों के फूल मनमोहक लगते हैं।
5. पर्व का सांस्कृतिक महत्व
मकर संक्रांति के इस पर्व को भारत के अलग-अलग राज्यों में वहां के स्थानीय तरीकों से मनाया जाता है। दक्षिण भारत में इस त्योहार को पोंगल के रूप में मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे लोहड़ी, खिचड़ी पर्व, पतंगोत्सव आदि कहा जाता है। मध्यभारत में इसे संक्रांति कहा जाता है। मकर संक्रांति को उत्तरायन, माघी, खिचड़ी आदि नाम से भी जाना जाता है।
6. तिल-गुड़ के लड्डू और पकवान
सर्दी के मौसम में वातावरण का तापमान बहुत कम होने के कारण शरीर में रोग और बीमारियां जल्दी लगती हैं इसलिए इस दिन गुड़ और तिल से बने मिष्ठान्न या पकवान बनाए, खाए और बांटे जाते हैं। इनमें गर्मी पैदा करने वाले तत्वों के साथ ही शरीर के लिए लाभदायक पोषक पदार्थ भी होते हैं। उत्तर भारत में इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। गुड़-तिल, रेवड़ी, गजक का प्रसाद बांटा जाता है।
7. स्नान, दान, पुण्य और पूजा
माना जाता है कि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से नाराजगी त्यागकर उनके घर गए थे इसलिए इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा आदि करने से पुण्य हजार गुना हो जाता है। इस दिन गंगासागर में मेला भी लगता है। इसी दिन मलमास भी समाप्त होने तथा शुभ माह प्रारंभ होने के कारण लोग दान-पुण्य से अच्छी शुरुआत करते हैं। इस दिन को सुख और समृद्धि का माना जाता है।
8. पतंग महोत्सव का पर्व
यह पर्व ‘पतंग महोत्सव’ के नाम से भी जाना जाता है। पतंग उड़ाने के पीछे मुख्य कारण है कुछ घंटे सूर्य के प्रकाश में बिताना। यह समय सर्दी का होता है और इस मौसम में सुबह का सूर्य प्रकाश शरीर के लिए स्वास्थवर्द्धक और त्वचा व हड्डियों के लिए अत्यंत लाभदायक होता है। अत: उत्सव के साथ ही सेहत का भी लाभ मिलता है।
9. अच्छे दिन की शुरुआत
भगवान श्रीकृष्ण ने भी उत्तरायन का महत्व बताते हुए गीता में कहा है कि उत्तरायन के 6 मास के शुभ काल में जब सूर्यदेव उत्तरायन होते हैं और पृथ्वी प्रकाशमय रहती है, तो इस प्रकाश में शरीर का परित्याग करने से व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता, ऐसे लोग ब्रह्म को प्राप्त होते हैं। यही कारण था कि भीष्म पितामह ने शरीर तब तक नहीं त्यागा था, जब तक कि सूर्य उत्तरायन नहीं हो गया।
10. ऐतिहासिक तथ्य
हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति से देवताओं का दिन आरंभ होता है, जो आषाढ़ मास तक रहता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं। महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था इसलिए मकर संक्रांति पर गंगासागर में मेला लगता है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/01/images4.jpg554554Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-01-14 03:55:392020-01-14 04:01:57मकर संक्रांति अँग्रेजी साल का पहला हिन्दू त्योहार
उत्तर प्रदेश सरकार की सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम को लागू करने के फैसले पर मुहर लग गई. इस फैसले के बाद सबसे पहले लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नरों की तैनाती होगी. इन दोनों शहरों में कमिश्नरी सिस्टम को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया जाएगा. भविष्य में राज्य के अन्य बड़े जिलों में भी इस नई व्यवस्था को लागू किया जाएगा.
पिछली सरकारों ने नहीं दिखाई पुलिस सुधार के लिए इच्छाशक्ति
कैबिनेट बैठक के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस नई व्यवस्था के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि कमिश्नरी सिस्टम लागू करना पुलिस सुधार की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा. सीएम ने कहा कि उत्तर प्रदेश में वर्षों से पुलिसिंग में सुधार की जरूरत महसूस की जा रही थी, लेकिन पूर्ववर्ती सरकारों ने इच्छाशक्ति नहीं दिखाई.
उन्होंने कहा कि राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण ही राज्य में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू नहीं हो पाया था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में इस सिस्टम की जरूरत थी. सीएम ने कहा कि राज्य में स्मार्ट पुलिसिंग और लॉ एंड ऑर्डर की बेहतरी के लिए पिछले 50 वर्षों से पुलिस कमिश्नरी सिस्टम की मांग की जा रही थी, लेकिन इस पर कभी गंभीरता से विचार नहीं किया गया.
जानिए कैसी होगी पुलिस कमिश्नर की टीम, होंगे कितने अधिकारी?
सीएम ने कहा कि लखनऊ की आबादी 40 लाख के आसपास है, जबकि नोएडा की आबादी 25 लाख के आसपास है. इन दोनों शहरों में सबसे पहले पुलिस कमिश्नरों की तैनाती की जाएगी. सीएम ने बताया कि लखनऊ में एडीजी स्तर का अधिकारी पुलिस कमिश्नर होगा. कमिश्नर की टीम में दो आईजी रैंक के अधिकारी और नौ एसपी रैंक के अधिकारी होंगे. टीम में एक एसपी रैंक की महिला अधिकारी और एक एडिशनल एसपी रैंक की महिलाअधिकारी की तैनाती होगी.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नोएडा प्रदेश की आर्थिक राजधानी के रूप में आगे बढ़ा है. नोएडा में एक एडीजी रैंक का अधिकारी पुलिस कमिश्नर होगा. नोएडा पुलिस कमिश्नर की टीम में दो डीआईजी रैंक के अधिकारियों और 5 एसपी रैंक के अधिकारियों की तैनाती होगी। नोएडा में दो नए थाने भी बनाए जा रहे हैं. यातायात व्यवस्था के लिए एक एएसपी और एसपी रैंक के अधिकारियों की तैनाती की जाएगी.
क्या है पुलिस कमिश्नर प्रणाली? कैसे करती है काम, जानें
आजादी से पहले अंग्रेजों के दौर में लॉ एंड ऑर्डर की व्यवस्था संभालने के लिए कमिश्नर प्रणाली लागू थी. आजादी के बाद हमारे देश में भी इसी प्रणाली को अपनाया गया. वर्तमान में भारत के 100 से अधिक महानगरों में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम सफलतापूर्वक लागू है.
भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 के भाग 4 के तहत जिला अधिकारी के पास पुलिस पर नियंत्रण करने के कुछ अधिकार होते हैं. इसके अलावा, दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को कानून और व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए कुछ शक्तियां देता है.
सामान्य भाषा में कहें तो उत्तर प्रदेश में लागू पुलिसिंग की वर्तमान प्रणाली में पुलिस अधिकारी कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं. वे आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम, मंडल कमिश्नर या फिर शासन के आदेश अनुसार ही कार्य करते हैं. लेकिन पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर जिला अधिकारी और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के ये अधिकार सीधे पुलिस कमिश्नर को मिल जाते हैं.
पुलिस कमिश्नरी प्रणाली वर्तमान व्यवस्था से कैसे अलग होगी?
पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होते ही पुलिस के अधिकार बढ़ जाएंगे. किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए पुलिस को डीएम या शासन के फैसले का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. पुलिसिंग में दखंदाजी कम होगी. कानून व्यवस्था से जुड़े सभी फैसले लेने का अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास होगा. इस प्रणाली में एसडीएम और एडीएम को दी गई एग्जीक्यूटिव मजिस्टेरियल पावर पुलिस के अधीन हो जाएंगी. इस तरह से पुलिस शांति भंग की आशंका में निरुद्ध करने से लेकर गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट और रासुका खुद लगाने में सक्षम हो जाएगी.
पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने से सीआरपीसी की धारोओं 107-16, 144, 109, 110, 145 के क्रियान्वयन के लिए डीएम से अनुमति लेनी की जरूरत नहीं पड़ेगी. पुलिस कमिश्नर इन सभी धाराओं से जुड़े फैसले लेने के लिए स्वतंत्र होंगे. होटल लाइसेंस, बार लाइसेंस, हथियार लाइसेंस देने का अधिकार भी पुलिस कमिश्नर के अधीन होगा. धरना प्रदर्शन की अनुमति देना है या नहीं, दंगे के दौरान लाठी चार्ज करना है या नहीं, इसका फैसला पुलिस ले सकेगी. जमीन संबंधी विवादों के निपटारे का अधिकार भी पुलिस को मिल जाएगा.
कमिश्नर प्रणाली में क्या होगी अधिकारियों की रैंकिंग
सामान्य तौर पर पुलिस कमिश्नर विभाग की जिम्मेदारी एडीजी, आईजी, डीआईजी रैंक के अधिकारियों को दिया जाता है. पुलिस कमिश्नर के अधीन पद के अनुसार अधिकारियों की तैनाती होती है. नोएडा और लखनऊ में एडीजी रैंक के अधिकारी को पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया जाएगा. वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत अभी तक एसएसपी की तैनाती होती थी.
कमिश्नर प्रणाली के पदानुक्रम पुलिस आयुक्त या कमिश्नर (CP) संयुक्त आयुक्त या ज्वॉइंट कमिश्नर (JCP) डिप्टी कमिश्नर (DCP) सहायक आयुक्त (SP) पुलिस इंस्पेक्टर (PI) सब-इंस्पेक्टर (SI) पुलिस दल
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/01/images-1-1.jpg415739Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-01-13 09:59:162020-01-13 10:05:50यूपी में लागू होगा पुलिस कमिश्नरी सिस्टम
युवा संकल्प लें तो कुछ भी कर सकते हैं: ज्ञान चंद गुप्ता
अपराधों को रोकने के लिए केवल कानून बनाने से काम नहीं चलेगा बल्कि बच्चों को संस्कार सीखाने होंगे
स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने स्वामी विवेकानंद जयंती पर राष्ट्रीय युवा दिवस के कार्यक्रमों में की बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की
राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर आयोजित मैराथन में 8 हजार से अधिक युवाओं ने लिया भाग
झूमते नाचते व देशभक्ति की भावना से सरोबार होकर आईटीबीपी व पुलिस सहित युवा छात्र-छात्राओं ने लिया मैराथन में भाग
युवा शक्ति के साथ संवाद कार्यक्रम में प्रदेशभर के युवाओं से रूबरू हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल
पंचकूला, 12 जनवरी:
हरियाणा विधान सभा के स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि युवा वर्ग में असीमित शक्ति है जिसके बल पर वह जो संकल्प कर ले, उसे पूरा कर सकता है। युवा शक्ति के कारण ही आज भारत देश को युवा सुपर पावर कहा जाता है। गुप्ता आज पीडब्लयूडी स्थित सभागार में स्वामी विवेकानंद जयंती पर राष्ट्रीय युवा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सभी जिलों में आयोजित कार्यक्रमों से जुड़े युवा शक्ति के साथ सीधा संवाद किया। इससे पूर्व सुबह शालीमार ग्राउंड में रन फॉर यूथ-यूथ फॉर नेशन के तहत मैराथन का भी आयोजन किया गया जिसमें स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने हजारों युवाओं की दौड़ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
युवाओं की टोलियां अल भोर से ही बड़ी उत्साहित नजर आ रही थी। गुप्ता स्वयं भी इस मैराथन में दौड़े। सडकों के दोनों ओर युवाओं के झुंड देष भक्ति की भावना से सरोबार थे। राष्टड्ढ्रीय युवा दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों के दौरान उपायुक्त मुकेष कुमार आहूजा, पुलिस आयुक्त सौरभ सिंह, युवा एवं खेल निदेषक भूपेन्द्र सिंह, पुलिस उपायुक्त कमलदीप गोयल एसडीएम धीरज चहल व सीटीएम सुषील कुमार भी मौजूद रहे।पीडब्लयूडी के सभागार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि ज्ञान चंद गुप्ता ने उपस्थितगण को स्वामी विवेकानंद जयंती की बधाई देते हुए इस दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने पर सरकार की सराहना की।
उन्होंने स्वामी विवेकानंद को आधुनिक भारत का निर्माता बताते हुए कहा कि देश का वास्तविक विकास केवल युवा शक्ति द्वारा ही संभव हो सकता है। भारत को विश्वगुरु बनाने की बात हो या ड्रग मुक्त करने की अथवा संकल्प से सिद्धी के अभियान को सफल बनाने की, हर कार्य में युवा शक्ति की भूमिका सर्वोपरि है। युवा शक्ति देश की सबसे बड़ी पूंजी है जिसके कारण ही आज भारत को युवा सुपर पावर कहा जाता है। युवा वर्ग ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में न केवल स्वयं सक्रिय भूमिका निभाई बल्कि जन-जन को भी इस संग्राम में जोड़ा। हमारे युवाओं ने ब्रिटिश शासकों की नींद हराम कर दी थी। उन्होंने कहा कि युवा शक्ति राष्ट्र को प्रकृति का अमूल्य उपहार है जो देश को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है। लेकिन यह तभी संभव है जब युवा स्वयं पर नियंत्रण रखने की कला में माहिर हो और चरित्रवान बने। चरित्र के साथ वह संकल्प करके निडरता के साथ आगे बढ़ेगा तो कोई भी शक्ति उसके आगे नहीं टिक सकेगी। उन्होंने कहा कि आज हमें स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं पर चलने की आवश्यकता है जिन्होंने युवाओं से आह्वाहन किया था कि उठो, जागो और तब तक चलते रहो जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए। उन्होंने युवाओं से नशे व कुरीतियों से दूर रहने का आह्वाहान किया।
गुप्ता ने कहा कि स्वामी विवेकानंद की शिक्षाएं आज 120 साल बीत जाने की बाद भी उतनी ही प्रासंगिक हैं। आध्यात्मिक मूल्यों के अभाव व चरम उपभोगतावाद ने दुनिया को स्वार्थी बना दिया है। पूरा विश्व वैमनस्य के दौर से गुजर रहा है। आतंकवाद व अलगाववाद ने मानवता को छलनी कर दिया है। आज भी दुनिया शांति और प्रेम के लिए भारत की ओर टकटकी लगाए है। उन्होंने युवाओं का आह््वान करते हुए कहा कि वे स्वामी विवेकानंद के ब्रंाड एम्बैसडर बनकर आतंकवाद और नैराष्य में डूबे विश्व नई राह दिखाएं। उन्होंने कहा कि भारत में विश्व का केंद्र बनने की सारी खूबियां हैं । उन खूबियों का कारण इसके संस्कार, इसकी शिक्षाएं ,और इसका वो रास्ता है जो भारत के संतो के द्वारा दिखाया गया है। वही संस्कार आज भी भारत के युवाओं में विद्यमान हैं। आज की इस मैराथन का उद्ेदष्य उन्हीं भावों को और अधिक मजबूती प्रदान करना है। आज के इस मैराथन से हमारे महान संस्कारों को नई उर्जा मिली है। इस उर्जा को दिल में हमेशा जलाए रखना है।
गुप्ता ने कहा कि राष्ट्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए हमें अपने बच्चों को मानसिक व सांस्कृतिक रूप से भी उन्नत करना होगा। आज हम शैक्षणिक रूप से तो बच्चों को टॉप पर देखना चाहते हैं लेकिन उन्हेें अपनी पुरातन संस्कृति से जोडने की ओर अधिक ध्यान नहीं देते हैं। अपराधों को रोकने के लिए केवल कानून बनाने से काम नहीं चलेगा बल्कि बच्चों को संस्कार सीखाने होंगे। इस प्रकार के आयोजन भी युवा पीढ़ी में नए संस्कार रोपने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने प्रदेश व केंद्र सरकार की विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने की बात कही।
इस अवसर पर खेल एवं षिक्षा जगत में विशेष उपलब्धि प्राप्त करने वालेे छात्र-छात्राओं सहित अनेकों गणमान्य व्यक्ति एवं संबिधत अधिकारी उपस्थित थे।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/01/16.jpeg9601280Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-01-12 14:01:462020-01-12 14:04:17स्वामी विवेकानंद की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिकः ज्ञान चंद गुप्ता
वीसी और डायरेक्टर को साथ ले जाकर वार्ड 12 के बाहर बने अमृत स्टोर में की छापेमारी।
महंगी दरों पर
ऑर्थो इम्पलांट और दवाइयां बेचे जाने का हुआ खुलासा। अमृत स्टोर की बजाय मार्केट में मिलता है सस्ती
दरों पर सामान। विधायक कुंडू ने
पहले खुद का ओपीडी कार्ड बनवाकर खरीदी दवाएं और इम्प्लांट। पीजीआई डायरेक्टर ने मरीजों के बाहर से खरीदने पर लगाई है
पाबंदी। मौके पर मौजूद रहे पीजीआई
के अधिकारियों से कोई जवाब देते नही बना। मीडिया से बातचीत
में वीसी ने दिए जांच के आदेश। कुंडू बोले इस
करप्शन की स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को कल कागजात के साथ सारे सबूत देकर करेंगे
शिकायत।
अनिल विज को
बताया दबंग और ईमानदार।
कहा, विज से है इंसाफ की आस। कुंडू बोले, भरस्टाचारियों की
नींद हराम कर दूंगा। पीएम मोदी और
सीएम खट्टर की ईमानदारी से प्रभावित होकर दे रखा है सरकार को समर्थन लेकिन गलत बात
को गलत कहने से नहीं है गुरेज।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/01/PGI.jpg393524Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-01-11 10:59:452020-01-11 11:00:08विधायक बलराज कुंडू का पीजीआई रोहतक में छापा
बागपत में इंसानियत को शर्मसार कर देनी वाली घटना सामने आई है. यहां एक डॉक्टर ने चंद रुपयों की खातिर जन्म लेते ही एक साल तक एक मां से उसके दुधमुंहे बच्चे को दूर रखा और जब वह मां पैसा इकट्ठा कर बच्चा लेने पहुंची तो उसे वहां से भगा दिया.
पीड़ित मां का आरोप है कि डॉक्टरों ने बच्चा देने से इंकार कर दिया और उसके बच्चे को बेच दिया. इसकी शिकायत दंपति ने पुलिस से की है. हालांकि पुलिस की मानें तो मामला संज्ञान में आया है और पुछताछ में डॉक्टरों द्वारा दंपत्ति की मर्जी से बच्चा बेचे जाने की बात आई है. फिलहाल इस प्रकरण की जांच के आदेश पुलिसाधिकारी ने दे दिए है.
यह पूरा मामला बड़ौत शहर स्थित ऊषा नर्सिंग होम का है. यहां सितंबर 2018 में बिजरौल गांव की रहने वाली शिखा नाम की एक गर्भवती महिला की डिलीवरी हुई थी और उसने एक लड़के को जन्म दिया था, लेकिन शिखा का आरोप है कि डॉक्टरों ने डिस्चार्ज करने के लिए 40 हजार का बिल बनाया, लेकिन वे लोग बेहद गरीब थे और जिसके लिए उन्होंने इतना रुपया देने में इंकार दिया. पीड़िता के मुताबिक, इसके बाद डॉक्टर ने उनके सामने शर्त रखी की वो धीरे-धीरे उनका पैसा चुका दे और बच्चा ले जाए और तब तक बच्चा उनके पास रहेगा और रजामंदी की बात कहकर उनके अंगूठे एक पेपर पर लगवा लिए.
वहीं, उनका कहना है कि वो लोग बेहद गरीब है, जिस कारण वो धीरे-धीरे करके 30 हजार रुपये चुका चुके थे और आज बचे हुए 10 हजार रुपये लेकर बच्चा लेने पहुंचे तो डॉक्टरों ने उन्हें बच्चा देने से इनकार कर दिया और यह कहकर भगा दिया कि उन्होंने बच्चा बेच दिया है.
वहीं, उनका कहना है कि वो लोग बेहद गरीब है, जिस कारण वो धीरे-धीरे करके 30 हजार रुपये चुका चुके थे और आज बचे हुए 10 हजार रुपये लेकर बच्चा लेने पहुंचे तो डॉक्टरों ने उन्हें बच्चा देने से इनकार कर दिया और यह कहकर भगा दिया कि उन्होंने बच्चा बेच दिया है.
वहीं इस बाबत जब आरोपित डॉक्टर से बात की कोशिश की गई तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया है. इसके बाद पीड़ित दंपत्ति ने थाने में डॉक्टर के खिलाफ़ शिकायत दर्ज कराते हुए बच्चा दिलाने की गुहार लगाई है.
एएसपी की मानें तो डॉक्टर ने पूछताछ में बताया कि दंपत्ति ने बच्चा मुजफ्फरनगर में बेचा है, जबकि दंपत्ति इनकार कर रहा है. इसलिए जांच की जा रही है और अगर बच्चा बेचा गया होगा तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/01/lkhgfdsa.jpg652901Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-01-07 03:51:192020-01-07 03:51:21बागपत: एक साल तक बच्चे को माँ से दूर रखा और फिर बेच दिया
प्रेरित करने के लिए बच्चों को साबुन , टूथ ब्रश , दन्तमंजन व भोजन बांटकर सभी ने मिलकर लगाया झाड़ू
2 जनवरी,2020: पंचकुला
आज २ जनवरी को आज शिक्षा एवं नशामुक्ति के लिए कार्य करने वाली प्रमुख सामाजिक संस्था ह्यूमन लाइफ फाउंडेशन के स्लम स्कूल की प्रताप नगर शाखा के बच्चों एवं परिवारजनों को स्वच्छता एवं स्वास्थ्य की जाग्रति हेतु स्वच्छता अभियान कार्यक्रम आयोजित किया गया. ह्यूमन लाइफ फाउंडेशन के फाउंडर चतुर्वेदी ने बताया की मानव मिलन संस्था के अध्यक्ष व आज से कार्यक्रम के मुख्या अतिथि प्रमोद चौरड़िया के नेतृत्व में उनकी संस्था के करीब २० सेवाभावी कार्यकर्ताओं ने ह्यूमन लाइफ फाउंडेशन से ५० से अधिक गरीब बच्चोंएवं उनके परिजनों को स्वच्छता के माध्यम से स्वास्थ्य बने रहने के टिप्स दिए . फिर सभी कार्यकर्ताओं ने स्लम स्कूल के बच्चों एवं महिला पुरुषों के साथ परिसर एवं बस्ती में झाड़ू लगाकर सुन्दर बनाया. सभी को स्वच्छता अपनाने का सन्देश देने के लिए स्वच्छता स्लोगन बोलते गाते बस्ती में झाड़ू लगाकर साफ़ सुन्दर बनाया . बच्चों ने स्वच्छता के बिषय पर कविताए गईं.
इस अवसर पर मानव मिलन संस्था के अध्यक्ष प्रमोद चौरड़िया ने झुग्गीवासियों को प्रेरित करते हुए कहा की गंदगी में जीवाणु , वायरस एवं मच्छर पैदा होते हैं जो दाद खाज खुजली जैसे त्वचा रोगों के अलाव तायफायड, कोलेरा , टीबी , एंथ्रेक्स जैसे बीमारियाँ हो जाती है जो कभी कभी महामारी का रूप ले लेती हैं .अगर स्वच्छ नहीं रहोगे तो स्वस्थ भी नहीं रहोगे . स्वच्छता अच्छे मनुष्यों की पहिचान है. सोच के बाद साबुन से अच्छे से हाथ धोना और दाँतों की सफाई, स्नान, साबुन से कपड़ों की सफाई हर दिन बहुत जरूरी है.
डॉ सूर्य शेखर डागा ने बच्चों को संवोधित करते हुए कहा कि घर , स्कूल , आसपास की सफाई बहुत जरूरी है. अन्यथा बिमारियां होंगी और इसलिए जहाँ भी घर के आसपास कूदा दिखे तो एकत्रित करके कूड़ेदान में डालना चाहिए. भोजन करने से पहले हाथ धोने की छोटी आदत से जीवन कई संक्रमणकारी रोगों से बचा जा सकता है. स्वच्छता नहीं होगी तो तन मन धन हर तरह से नुकसान ही होगा.
इस अवसर पर हेमराज चतुर्वेदी ने सभी बच्चों को जीवन में स्वच्छता बरतने की शपथ दिलाई और सबके लिए नारा दिया – सब रोगों की एक दवाई – चरों तरफ हो साफ़ सफाई . सभी को स्वच्छता का बिशेष सामाजिक महत्त्व समझाते हुए ह्यूमन लाइफ फाउंडेशन के फाउंडर हेमराज चतुर्वेदी ने कहा की सभी मनुष्य सामान हैं कि यह अस्वच्छता ही है जिसके कारण समाज में छुआछूजैसी बुराई ने जन्म लिया था. जीवाणु संक्रमण के भय से पढ़ा लिखा व्यक्ति अस्वच्छ लोगों के साथ सम्बन्ध बनाने से डरते हैं . इसिलए स्वच्छता को व्यवहार में लाना सामाजिक हित में भी बहुत आवश्यक है . इसके बाद उपस्थित बच्चों को भोजन करवाया एवं ठण्ड से बचने के लिए उन्होंने ऊनी टोपे बांटे गए .
कार्यक्रम में श्रीमती संगीता लोधा, पूनमचंद लोढा, निर्मल जैन, विजय जैन, रेखाश्री श्रीमाल अशोकश्री श्रीमाल ,प्रदीप पुरोहित , राजेंद्र कोठारी, पूनम जैन, कुशल मेहता, दीपाली जैन, मुस्कान चंद्रा, भावना कर्मचंदानी आदि कई गणमान्य लोग उपस्थित थे जिनकी प्रेरणा एवं सहयोग से कार्यक्रम सफल रहा.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/01/5c84c65d-9582-4b70-b20d-c4b70febdcdc.jpg5651013Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-01-03 12:28:242020-01-03 12:28:27झुग्गीवासियों को समझाया स्वच्छता का महत्त्व, बस्ती में चारों तरफ की साफ सफाई
PGI Employees Union claims postmortem home workers tend to be surprised by this lapse. The union has actually required that people who possess dedicated neglect be suspended.
Chandigarh, 3 January, 2020:
PGI Chandigarh, one of the better health establishments in the nation, features experienced a significant neglect. A 24-week-old live newborn at PGI ended up being delivered for postmortem. The post mortem home worker had been breathing as he saw the newborn. Thereafter, the situation ended up being instantly reported towards the Giney Department.
At first, the division declined to make the newborn live, but later withdrew the newborn. After this, he breathed for approximately 12 hours. The PGI administration was stirred up by this severe omission of medical practioners. The acting spokesperson regarding the PGI claims that such an instance has arrived to the notice, whoever research was begun. However, professionals state the newborn wasn’t completely created.
Santosh Kumar, citizen of Nayagaon Dashmesh Nagar, stated that their five-month expecting spouse had been addressed in the dispensary of Sector-45. The child ended up being discovered to own trouble in ultrasound. Upon evaluation at PGI, it had been discovered that the little one features a significant vertebral illness. After using beginning, he is able to stay just for 2 to 3 many years.
The child’s form ended up being bitten twice per day at PGI Postmortem House.
In such a situation, the physicians informed abortion however the maternity ended up being above 20 days. In such a scenario, the few needed to just take housing for the High Court. The High Court requested the PGI to represent a panel and appearance to the matter. The panel of PGI additionally recommended abortion. Following the guidance of PGI, the High Court granted abortion requests.
Accusation: The Guinee Department stated – wait for son or daughter to die
On December 20, Santosh got their partner admitted to PGI. Where on December 26, the PGI group miscarried her and delivered the 24-week-old newborn for postmortem. When the post mortem home workers saw the newborn was breathing. The employees allege that after they talked within the Gini division, these people were informed to attend when it comes to newborn to perish.
He ended up being later on taken straight back through the post-mortem household for protesting. After this, the newborn stayed alive for approximately 12 hours then passed away. Then the post mortem home ended up being delivered once again. However, if the newborn’s household ended up being discussed it, they stated they had no grievances of any sort. PGI Employees Union claims postmortem home workers tend to be surprised by this lapse. The union has actually required that people who possess dedicated neglect be suspended.
i realize with this event but a declaration should be distributed by the representative. – Pro. Jagataram, Director PGI
The matter is extremely severe. Its research was begun. Will do something against those who find themselves negligent. – Pro. Ashok Kumar, Spokesperson PGI
In an institute like PGI, such lapses are very severe. This features surprised the staff. Action is taken for neglect. – Ashwini Kumar Munjal, President, PGI Employees Union
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/01/pgi-chandigarh_1577994302.jpeg506748Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-01-03 12:18:372020-01-03 12:18:40Alive Newborn Sent For Postmortem at Chandigarh PGI
जो राजस्थान के कोटा में हुआ है, वह किसी अक्षम्य अपराध से कम नहीं है। इस पर मीडिया की खामोशी उसका एक घिनौना पक्ष भी उजागर करती है। वास्तव में मीडिया के कुछ पत्रकारों की अंतरात्मा को तभी चोट पहुंचती है जब कोई त्रासदी भाजपा प्रशासित राज्य में हुई हो, और उसमें भी जब नेता योगी आदित्यनाथ जैसा एक भगवाधारी संत हो। यदि स्थिति इसके ठीक उलट हो, तो इनके मुंह से आवाज़ तक न निकलेगी। क्या राजस्थान के बच्चे बच्चे नहीं है? क्या इनकी जान का कोई मोल नहीं?
हाल ही में राजस्थान के कोटा शहर से एक बुरी खबर सामने आई है। पिछले एक महीने में इस शहर के एक अस्पताल में लगभग 104 बच्चों की मृत्यु हो गयी है, और सरकार से लेकर अस्पताल प्रशासन सब इससे पल्ला झाड़ने में जुटे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कोटा में जेके लोन अस्पताल में मृत बच्चे HIE नामक बीमारी से जूझ रहे थे, जिसमें मस्तिष्क तक ऑक्सिजन नहीं पहुँच पाता। बताया जा रहा है कि इस महीने के पहले 24 दिनों में 67 बच्चों की मौत हुई थी, और 10 अन्य बच्चों की मृत्यु को हुए अभी 48 घंटे भी नहीं बीते हैं। परंतु अस्पताल प्रशासन ने इससे पल्ला झाड़ते हुए ये कहा है कि सभी बच्चे गंभीर हालत में थे और अंत समय में अस्पताल लाये गए थे। राष्ट्रीय मृत्यु दर के हिसाब से कोटा में बच्चों का मृत्यु दर केवल 10-15 प्रतिशत है, जो चिंता का विषय बिलकुल नहीं है।
अस्पताल प्रशासन के सदस्य और बाल रोग विभाग के अध्यक्ष अमृत लाल बैरवा के अनुसार, “राष्ट्रीय एनआईसीयू रिकॉर्ड्स के अनुसार 20 प्रतिशत मृत्यु सामान्य मानी जाती है। वहीं कोटा में मृत्यु दर 10-15 प्रतिशत है, जो चिंता का विषय बिलकुल नहीं है। मरीज बूंदी, बारन, झालावाड़ और मध्य प्रदेश से भी लाये जाते हैं। हर दिन एक से तीन शिशु की मृत्यु होती है”।
परंतु वास्तविकता तो कुछ और ही बयां करती है। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस अस्पताल में मृत्यु दर का स्तर बहुत ज़्यादा है। 2014 में यहाँ 1198 बालकों की मृत्यु हुई थी, और अभी केवल 24 दिसंबर तक ही यह आंकड़ा इस वर्ष 940 तक पहुँच चुका है। ऐसे में अस्पताल की सफाई उनकी अक्षमता को छुपाने का बेहद असफल प्रयास है। इतना ही नहीं, टाइम्स नाऊ के रिपोर्ट की माने तो अस्पताल में सीवर लीक होने की भी समस्या सामने आई है।
इसके अलावा ध्यान देने वाली बात तो यह है कि यह केवल एक अस्पताल का आंकड़ा है। जब से अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस ने सत्ता संभाली है, तब से राजस्थान का नाम अधिकतर गलत कारणों से चर्चा में रहता है। सोचने वाली बात है कि जब एक अस्पताल का हाल है तो राज्य भर के अस्पतालों की क्या दुर्दशा होगी?
इस मामले पर प्रकाश डालते हुए लोक सभा प्रवक्ता ओम बिड़ला ने एक के बाद एक ट्वीट डालते हुए कहा, “कोटा में 48 घंटों के भीतर 10नवजात शिशुओं की असामयिक मृत्यु निस्संदेह चिंता का विषय है। राजस्थान सरकार को इस मामले में तुरंत एक्शन लेना चाहिए”।
इतना ही नहीं, ओम बिड़ला ने मुख्यमंत्री गहलोत को लिखे एक पत्र में ये भी बताया है कि कैसे इस अहम अस्पताल में प्रशासनिक अक्षमता और जीवन रक्षक यंत्रों की कमी के कारण हर वर्ष लगभग 800 से 900 नवजात शिशु और 200 से 250 बच्चे इसकी भेंट चढ़ जाते हैं।
अब इन मामलों पर अगर ध्यान दिया जाये, तो एक बात पूरी तरह स्पष्ट सिद्ध होती है और वो यह कि कोटा के जेके लोन अस्पताल प्रशासन स्थिति को संभालने में पूरी तरह विफल रहा है, और प्रशासन की घोर लापरवाही के कारण 77 बच्चों की मृत्यु हुई है। परंतु इसके बारे में मीडिया भी दबी आवाज़ में बात कर रही है, और विडम्बना की बात तो यह है कि अभी तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पर अपनी तरफ से जो सफाई दी वो बेहद असंवेदनशील थी।
अब याद कीजिये 2017 की उस दुर्घटना को, जब गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में जापानी बुखार के कारण एक ही हफ्ते में 60 से ज़्यादा बच्चों की मृत्यु हो चुकी थी। जैसे ही यह खबर सामने आई कि बच्चों की मृत्यु ऑक्सिजन के पर्याप्त सिलिन्डर न मिल पाने के कारण हुई थी, मीडिया ने आसमान सर पर उठाते हुए कुछ ही महीनों के सीएम योगी आदित्यनाथ को निशाने पर लिया। यहां तक कि उनके इस्तीफे की मांग करने लगे। अधिकांश मीडिया वालों ने बिना ठोस आधार और प्रमाण के ही योगी आदित्यनाथ को पूरे घटनाक्रम के लिए दोषी ठहराया था।
इतना ही नहीं, सूत्रों की माने तो गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज की त्रासदी के समय मीडिया ने डॉक्टर कफील खान को मसीहा बना दिया था। हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी होने पर डॉक्टर खान ने 17 सिलिंडर अपने खर्च से मंगाए थे जिससे बच्चों की जान बचाई गयी थी। इस मामले के बाद जब खान को नोडल अधिकारी के पद से बर्खास्त कर डॉक्टर भूपेन्द्र शर्मा को नया नोडल अधिकारी बनाया गया तो मीडिया ने मौजूदा सरकार पर कई हमले किये थे और डॉक्टर कफील को सरकार के फैसले द्वारा पीड़ित के रूप में चित्रित किया गया था।
जबकि दोनों मामलों में ज़मीन आसमान का अंतर है। जापानी बुखार एक ऐसी बीमारी थी, जिसका प्रशासनिक सतर्कता के बाद भी आने का खतरा बना रहता था। जो बीआरडी कॉलेज में हुआ, वो स्थानीय प्रशासन की अक्षमता के साथ साथ कुछ लोगों के निहित स्वार्थ का भी दुष्परिणाम था, जिसे योगी सरकार से भी छुपाया गया था।
इतनी जटिल परिस्थितियों के बावजूद योगी सरकार ने जापानी बुखार जैसी घातक बीमारी को नियंत्रण में लाने में भारी सफलता दर्ज की है। वास्तव में जापानी बुखार के कुल मामलों में योगी सरकार के आने के बाद से ही भारी गिरावट भी दर्ज हुई थी, और 2018 के अंत होते होते उत्तर प्रदेश इस खतरनाक बीमारी के प्रकोप से मुक्त भी हुआ थ
योगी सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सफलता अब धीरे धीरे सामने भी आ रही है। 2018 में अगस्त तक 1427 मामले सामने आए हैं, जिसमें केवल 117 मृत्यु हुई हैं। अगर 2014 के आंकड़ों से तुलना करे, तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं। 2014 में 5850, 2015 में लगभग 7000 और 2016 में 6121 मृत्यु गोरखपुर में दर्ज हुई है, और यह केवल जापानी बुखार के कारण हुई है। 2 सितंबर 2017 तक भी इस बीमारी के कारण 1317 बच्चों की मृत्यु हुई, जिसमें गोरखपुर त्रासदी में मरने वाले बच्चे भी शामिल है। परंतु दुख की बात तो यह है की इस सकारात्मक बदलाव को मीडिया ने वैसे नहीं दिखाया, जैसे उन्होने गोरखपुर त्रासदी को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया था।
परंतु जो राजस्थान के कोटा में हुआ है, वह किसी अक्षम्य अपराध से कम नहीं है। इस पर मीडिया की खामोशी उसका एक घिनौना पक्ष भी उजागर करती है। वास्तव में मीडिया के कुछ पत्रकारों की अंतरात्मा को तभी चोट पहुंचती है जब कोई त्रासदी भाजपा प्रशासित राज्य में हुई हो, और उसमें भी जब नेता योगी आदित्यनाथ जैसा एक भगवाधारी संत हो। यदि स्थिति इसके ठीक उलट हो, तो इनके मुंह से आवाज़ तक न निकलेगी। क्या राजस्थान के बच्चे बच्चे नहीं है? क्या इनकी जान का कोई मोल नहीं?
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/01/369148-gehlot-with-yogi.jpg545970Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-01-03 10:59:012020-01-03 10:59:03104 बच्चों की मौत पर मीडिया का मौन अखरता है
CHANDIGARH – Dr. VK Raju, an eminent ophthalmologist based in Morgantown, West Virginia, USA held a meeting with Chandigarh Ophthalmological Society here on December 28 to discuss ways and means to prevent avoidable blindness among Children in the States of Punjab and Haryana,
The President of Chandigarh Ophthalmological Society Dr.Suresh Kumar Gupta in his welcome address to Dr. Raju described him as a crusader for prevention of childhood blindness who has for forty years relentlessly worked across the world, particularly in India and saved thousands from going blind.
Dr. Gupta briefly described the enormous work Dr. Raju has done. Dr. Raju began the work of the Eye Foundation of America (EFA) in 1977 by offering eye camps. The West Virginia Ophthalmology Foundation was subsequently created in 1982 and became the EFA in 1992. The realization of vision Dr. Raju, the EFA, has a reach that currently extends to 30 plus developing countries and the USA. The EFA has served approximately 3 million patients and performed 300,000 plus vision-saving surgeries, with 30,000 plus surgeries performed on children alone.
Dr. Raju received standing ovation from around 60 members of Society present. Dr. Gupta offered the Society’s cooperation and partnership in any project that Dr. Raju had in mind.
Dr. Raju gave a presentation on childhood blindness and dwelt on the work the Eye Foundation of America had done in the last forty years.He spoke feelingly about the tragedy of childhood blindness. Combating childhood is my passion. It is a small world and it is getting smaller and smaller. Our Foundation- the Eye Foundation of America works in over 25 countries to combat childhood blindness.
“Since its inception, the EFA has facilitated 600 plus physician exchanges and trained 200 plus ophthalmologists, equipping these medical practitioners with the tools to join the global fight against blindness. The EFA not only trains medical practitioners to join the global fight against blindness through exchange programs, but also provides workshops and training opportunities for medical students and physicians. His charisma and vision inspire the EFA trainees return to their native countries to prevent and/or alleviate blindness in the field. For example, India and Ghana are actively engaged in avoidable blindness elimination projects with cooperation from their governments. In 2016 in India, 4,889 vision and 374 retinopathy of prematurity screenings were conducted, 779 eyeglasses were distributed, and 162 pediatric surgeries were performed. In Ghana in 2016, the Avoidable Blindness Elimination Project and the World Sight Day Kids Funfair screened 9,763 people, including 7,453 children, and detected ophthalmologic diseases in more than 1,000 individuals who consequently received treatment, which included 157 surgeries. More than 20,000 children received vision screenings in Ghana schools, eyeglasses and follow-up care were provided when necessary”, Dr. Raju said.
The EFA mission is to eliminate avoidable blindness under the guiding principles of service, teaching, and research. This is accomplished through eye camps and masonry hospitals in developing countries, training of medical personnel to serve the needy, and educating the population at large on preventative eye care and healthy lifestyle choices. Dr. Raju quotes his mentor in London as saying there are 3 solutions for any problem. The first is education, the second is education, and the third is education. With this education, patients are empowered to take charge of their lives and their own health and prevent further deleterious consequences of their poor lifestyle choices, while sharing this knowledge with their friends and families.
When education and preventative measures are insufficient, medical and surgical interventions are performed. With the aim of permanently providing world-class state-of-the art services to populations with poor access to health care, the EFA helped to build 2 hospitals in rural India, namely the Srikiran Eye Institute and the Goutami Eye Institute. The Goutami Institute has a wing dedicated to exclusively to children, and the EFA has future plans to build a service and research eye hospital in India where no child will be denied treatment and children from around the world can come to receive services. Dr. Raju and the EFA are also committed to finding new cures for age-old eye disease in children.
For long we at the Eye Foundation of America studiedchildhood blindness in Punjab and Haryana. We found the two states and the neighboring Himachal have a high incidence of childhood blindness. Th already alarming figures are expected to double by 2015. Obviously, these States need attention with regard to providing facilities and services to prevent blindness among children.
Dr. Raju appealed to the members of Chandigarh Ophthalmological Society to extend a hand of cooperation to the Eye Foundation of America to combat the serious situation of childhood blindness in the region.
Thanking Dr. Gupta and the Chandigarh OphthalmologicalSociety. Dr. Raju said he was overwhelmed by the concern the medical fraternity felt on the issue and appreciated the members for their offer of cooperation in his projects.
Dr, Raju also thanked the veteran journalist Prabhjot Singh, Mr. Vineet Joshi and Mr. Devinder Sharma for making his meeting possible with the ChandīgarhOphthalmological Society and the media.
He said he will be happy to meet with Punjab, Haryana and Himachal State government officials to work with them on the project.
Earlier in the day he met with themedia at local JM Marriott and spoke extensively about his projects and work. He took questions and repeatedly appealed to media persons to highlight the tragedy of childhood blindnesswhich leaves individuals dependent on others for life. He was appreciative of the vibrant Chandigarh press.
About Dr. VK Raju
Dr. Raju was born in Rajahmundry, Andhra Pradesh, India. He earned his medical degree from Andhra University and completed an ophthalmology residency and fellowship at the Royal Eye Group of Hospitals in London, England. He is board certified in ophthalmology and is a Fellow of the Royal College of Surgeons and the American College of Surgeons. He has resided in Morgantown, WV since 1976, where he is currently a Clinical Professor of Ophthalmology at West Virginia University, the Section Chief of the Ophthalmology Department at Monongalia General Hospital, runs a private practice at the Monongalia Eye Clinic, and is the Founder and Medical Director of the EFA, a registered non-profit organization.
Dr. Raju began the work of the EFA in 1977 by offering eye camps. The West Virginia Ophthalmology Foundation was subsequently created in 1982 and became the EFA in 1992. The realization of vision Dr. Raju, the EFA, has a reach that currently extends to 30 plus developing countries and the USA. The EFA has served approximately 3 million patients and performed 300,000 plus vision-saving surgeries, with 30,000 plus surgeries performed on children alone.
Awards/Recognition Received
State
Dr. Raju has received many honors and awards, including 26 distinguished awards and 17 gold medals. West Virginia adopted home state of Dr. Raju, he was awarded the Lions Club International, Jarrett Award and the WVU International Service Award in 1995. Morgantown Rotary International presented Dr. Raju with an award for community service in 2000. He also received the Martin Luther King Jr. Achievement Award from WVU in 2008.
National
The American Academy of Ophthalmology has awarded Dr. Raju 4 times for his teaching and research contributions, including the Outstanding Humanitarian Award in 2002. Dr. Raju received this honor because of the more than 1 million dollars of his own money that went into building hospitals in India, teaching, and providing services to needy patients. At the same meeting in which Dr. Raju was presented with this award, he also received a Lifetime Achievement Award from The Association of Asian Indians in Ophthalmology. That same year, Dr. Raju received the Free to Achieve Award from the Maryland chapter of the American Association of Physicians of Indian Origin for his philanthropy. The AAPI also awarded Dr. Raju with their prestigious Distinguished Community Service Award in 2007 for his service, patient care, teaching, research, and professional and community involvement. In 2011, he received a Senior Achievement Award from the AAO. He has received awards from Lions International and Rotary International. For his humanitarian work, the American Medical Association Foundation acknowledged him with the prestigious Dr. Nathan Davis International Award for Excellence in Medicine in 2013. For the past 2 years, Dr. Raju has expanded his humanitarian efforts in African countries by joining the Carter Center Ambassador Program. President Barack Obama presented Dr. Raju with the 2016 President Lifetime Achievement Award. In 2017, Dr. Raju was inducted into the University of Toledo Global Medical Missions Hall of Fame Class of 2017. He was recently recognized with Lifetime Achievement Award by the North American Telugu Society in 2019.
International
Dr. Raju received first international award in 1970, when he received 2 separate awards for service for the blind by Lions, India and Jaycees, Vijayawada, India. He received several gold medals, including the AP, India Gold Medal for Contributions to Advance Ophthalmology in 2001, the Dr. Hardia Gold Medal for Best Paper on Refractive Surgery from the All Indian Ophthalmology Society in 2002, Gold Medal from the President at the All Indian Ophthalmology Society Meeting in Cochin in 2012, the Rameshwar Sharma, MD Gold Medal Oration from the Indian Academy of Medical Sciences, Rajasthan Chapter, in 2012, the Gold Medal Oration at the Vijayawada Academy of Ophthalmology in 2014, and the Gold Medal Award from the International Academy for Advances in Ophthalmology, Bombay Ophthalmologists Association, in 2014. He received the Vaidya Ratna in 2002, as well as an achievement award from the House of Lords, London, and the Mahatma Gandhi Pravasi Samman Award for Achievement in Medicine in 2014. He was also recognized as one of the Leading Physicians of the World by the International Association of Ophthalmologists in 2014. Dr. Raju was an invited guest of honor at GITAM University and the All Indian Ophthalmology Society Meeting in 2012.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/12/1-Dr.-VK-Raju-at-Chandigarh.jpg10241776Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-12-28 12:20:042019-12-28 12:20:07Indian American Ophthalmologist to offer expertise to prevent avoidable Childhood Blindness
सूर्य ग्रहण २०१९ (Solar Eclipse 2019): सूर्य ग्रहण से पहले अगर कुछ विशेष काम किये जाएं तो इस काल की नकारात्मक ऊर्जा और प्रभाव को खत्म किया जा सकता है.
नई दिल्ली : इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण कल 26 दिसंबर, 2019 (5 पौष, शक संवत 1941) को लगने जा रहा है जो वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा अर्थात पूर्णग्रास नहीं बल्कि खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा. इससे पहले इस साल 6 जनवरी और 2 जुलाई को आंशिक सूर्यग्रहण लगा था. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने बताया कि भारत में सूर्योदय के बाद इस वलयाकार सूर्य ग्रहण को देश के दक्षिणी भाग में कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के हिस्सों देखा जा सकेगा, जबकि देश के अन्य हिस्सों में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई देगा. ग्रहण का सूतक काल 25 दिसंबर को शाम 5:31 बजे से लग जाएगा, जो सूर्य ग्रहण की समाप्ति के साथ ही खत्म होगा.
भारतीय मानक समय अनुसार, आंशिक सूर्यग्रहण सुबह 8 बजे आरंभ होगा, जबकि वलयाकार सूर्यग्रहण की अवस्था सुबह 9.06 बजे शुरू होगी. सूर्य ग्रहण की वलयाकार अवस्था दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी, जबकि ग्रहण की आंशिक अवस्था दोपहर एक बजकर 36 मिनटर पर समाप्त होगी.
ग्रहण की वलयाकार प्रावस्था का संकीर्ण गलियारा देश के दक्षिणी हिस्से में कुछ स्थानों यथा कन्नानोर, कोयंबटूर, कोझीकोड, मदुरई, मंगलोर, ऊटी, तिरुचिरापल्ली इत्यादि से होकर गुजरेगा. भारत में वलयाकार सूर्य ग्रहण के समय सूर्य का करीब 93 फीसदी हिस्सा चांद से ढका रहेगा. सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा के आ जाने से सूर्य का प्रकाश जब पृथ्वी पर नहीं पहुंच पाता है तो इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं.
वलयाकार पथ से देश के उत्तर एवं दक्षिण की ओर बढ़ने पर आंशिक सूर्य ग्रहण की अवधि घटती जाएगी. आंशिक ग्रहण की अधिकतम प्रावस्था के समय चंद्रमा द्वारा सूर्य का आच्छादन बंगलोर में लगभग 90 फीसदी चेन्नई में 85 फीसदी, मुंबई में 79 फीसदी, कोलकाता में 45 फीसदी, दिल्ली में 45 फीसदी, पटना में 42 फीसदी, गुवाहाटी में 33 फीसदी, पोर्ट ब्लेयर में 70 फीसदी और सिलचर में 35 फीसदी रहेगा. सूर्य का वलयाकार ग्रहण भूमध्य रेखा के निकट उत्तरी गोलार्ध में एक संकीर्ण गलियारे में दिखाई देगा. वलयाकार पथ सऊदी अरब, कतर, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, भारत, श्रीलंका के उत्तरी भाग, मलेशिया, सिंगापुर, सुमात्रा एवं बोर्निओ से होकर गुजरेगा.
अगला सूर्य ग्रहण भारत में 21 जून, 2020 को दिखाई देगा. यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा. वलयाकार अवस्था का संकीर्ण पथ उत्तरी भारत से होकर गुजरेगा. देश के शेष भाग में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई पड़ेगा.
सूतक काल के बारे में धार्मिक मान्यता
सूतक काल का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य और चंद्रग्रहण दिखाई देने पर सूतक के कई मायने हैं. सूर्यग्रहण में सूतक का प्रभाव लगभग 12 घंटे पहले शुरू हो जाता हैं. वहीं चंद्र ग्रहण में यह अवधि 9 घंटे की हो जाती है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक ग्रहण के दौरान सूतक लगने पर नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, इसलिए इस दौरान कोई भी धार्मिक या शुभ कार्य करने से बचना चाहिए.
सूर्य ग्रहण पर करें ये काम:
सूतक काल सूर्य ग्रहण से पहले लगता है. इस समय से लेकर सूर्य ग्रहण तक के समय को अशुभ प्रभाव वाला माना जाता है. इसलिए इस प्रभाव को खत्म करने के लिए पूजा पाठ करना चाहिए और वैदिक मंत्रों का पाठ करना चाहिए.
मान्यता है कि सूतक कल में खाना दूषित और नकारात्मक प्रभाव पैदा करने वाला बन जाता है. इसलिए सूतक काल शुरू होने से पहले खाने की चीजों में तुलसी का पत्ता डाल दें.
मान्यता है कि सूतक काल में जो महिलाएं गर्भवती हैं उन्हें घर के भीतर ही रहना चाहिए. इस दौरान सूर्य की किरणें हानिकारक प्रभाव पैदा करने वाली मानी जाती हैं.
सूतक से लेकर सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद पीने का पानी भी बदलकर दूसरा भर लें.
सूतक से लेकर सूर्य ग्रहण खत्म होने के बाद नहा लें. मान्यता है कि ग्रहण काल में शरीर भी अशुद्ध हो जाता है. इसलिए अच्छे से नहा धोकर साफ कपड़े पहन लें.
सूर्य ग्रहण के सूतक काल शुरू होने से पहले ही पूजाघर में पर्दा खींच दें (बंद कर दें).
सूतक काल शुरू होने से पहले ही गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने के लिए इच्छानुसार आवश्यक दान सामग्री निकाल लें. सूर्य ग्रहण खत्म होने के बाद दान का सामान किसी गरीब को दान कर दें.
पौराणिक मान्यता ज्योतिष के अनुसार राहु ,केतु को अनिष्टकारण ग्रह माना गया है. चंद्रग्रहण के समय राहु और केतु की छाया सूर्य और चंद्रमा पर पड़ती है. इस कारण सृष्टि इस दौरान अपवित्र और दूषित को हो जाती है.
ग्रहण के दौरान ये न करें – – ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए. – ग्रहण के दौरान सोना भी नहीं चाहिए. – ग्रहण को नग्न आखों से न देखें – चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को खास ध्यान रखने की जरूरत है. क्योंकि ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो कि बच्चे और मां दोनों के लिए हानिकारक हैं.
शुभ है या अशुभ घटना? धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह एक अशुभ घटना है और इसकी छाया से बचने के लिए लोग ग्रहण के बाद स्नान-दान करते हैं. लेकिन अब ज्ञान-विज्ञान का प्रसार होने से चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण संबंधी भ्रांतियां कम हुई हैं. हालांकि, कई लोग आज भी मानते हैं कि इस खगोलीय घटना से स्वास्थ्य और व्यापार पर असर होता है इसलिए वे दान और पुण्य के कार्य करते हैं.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/12/solar-eclipse-2.jpg499748Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-12-25 09:54:362019-12-25 09:54:38साल का आखिरी वलयाकार सूर्य ग्रहण
We may request cookies to be set on your device. We use cookies to let us know when you visit our websites, how you interact with us, to enrich your user experience, and to customize your relationship with our website.
Click on the different category headings to find out more. You can also change some of your preferences. Note that blocking some types of cookies may impact your experience on our websites and the services we are able to offer.
Essential Website Cookies
These cookies are strictly necessary to provide you with services available through our website and to use some of its features.
Because these cookies are strictly necessary to deliver the website, you cannot refuse them without impacting how our site functions. You can block or delete them by changing your browser settings and force blocking all cookies on this website.
Google Analytics Cookies
These cookies collect information that is used either in aggregate form to help us understand how our website is being used or how effective our marketing campaigns are, or to help us customize our website and application for you in order to enhance your experience.
If you do not want that we track your visist to our site you can disable tracking in your browser here:
Other external services
We also use different external services like Google Webfonts, Google Maps and external Video providers. Since these providers may collect personal data like your IP address we allow you to block them here. Please be aware that this might heavily reduce the functionality and appearance of our site. Changes will take effect once you reload the page.
Google Webfont Settings:
Google Map Settings:
Vimeo and Youtube video embeds:
Google ReCaptcha cookies:
Privacy Policy
You can read about our cookies and privacy settings in detail on our Privacy Policy Page.