सरकार की मंशा है निकाय चुनाव और बजट सत्र खत्म होने के बाद इसे लागू करे, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे – दीपेंद्र हुड्डा

  • हरियाणा के कर्मचारियों के लिये भी राजस्थान सरकार की तर्ज पर पुरानी पेंशन को लागू करे सरकार – दीपेंद्र हुड्डा
  • जब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार ऐसा कर सकती है तो हरियाणा में भाजपा की सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती – दीपेंद्र हुड्डा
  • प्रतिपक्ष के विरोध और निकाय चुनाव के डर से सरकार ने विकास शुल्क वृद्धि का फैसला वापस लिया है – दीपेंद्र हुड्डा

चंडीगढ़, 24 फ़रवरी:

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने मांग करी कि सरकार हरियाणा के कर्मचारियों के लिये भी राजस्थान सरकार की तर्ज पर पुरानी पेंशन को लागू करे। उन्होंने राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार द्वारा पुरानी पेन्शन स्कीम (OPS) लागू करने के फ़ैसले का स्वागत करते हुए कहा कि जब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार ऐसा कर सकती है तो हरियाणा में भाजपा की सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में भी पुरानी पेंशन स्कीम लागू करवाने की मांग को लेकर कर्मचारी लगातार आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। नयी पेंशन प्रणाली (एनपीएस) असल में शेयर मार्केट के जरिए बड़े पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने की सरकारी नीति है, जिसमें नुकसान कर्मचारी का और फायदा निजी कंपनियों को हो रहा है। यही कारण है कि सरकारी कर्मचारी लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। NDA सरकार द्वारा लागू की गई नयी पेंशन नीति के तमाम दावे हकीक़त में जमीन पर खरे नहीं उतरे।

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि विकास शुल्क वृद्धि पर प्रतिपक्ष के पुरजोर विरोध और निकाय चुनाव के डर से सरकार ने ये फैसला वापस लिया है। नेता प्रतिपक्ष चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में हुई विधायक दल की आपात बैठक में खुली चेतावनी मिलने के 1 ही दिन बाद विकास शुल्क में की गई भारी बढ़ोत्तरी वाला तुगलकी फ़रमान रद्द करना पड़ा। विकास शुल्क में बैकडोर से ख़तरनाक बढ़ोत्तरी पर हरियाणा सरकार का यू-टर्न लेना जनता और विपक्ष की जीत है।

उन्होंने आगे कहा कि सरकार की मंशा है निकाय चुनाव और बजट सत्र खत्म होने के बाद इसे लागू करे, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। उन्होंने यह भी बताया कि पूर्ववर्ती हुड्डा सरकार के समय निकायों में कोई नया शुल्क नहीं लगाया, बल्कि वर्षों से चले आ रहे चूल्हा टैक्स, भट्टी टैक्स आदि को खत्म किया था। इसके अलावा भाजपा और इनेलो की गठबंधन सरकार ने जो भारी भरकम हाउस टैक्स थोपे थे उन्हें ख़त्म कर नाम मात्र के शुल्क लागू किये गए और जनता को राहत दी गई थी।

हरियाणा में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा के लिए  स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज दोषी हैं : चन्द्र मोहन

पंचकूला  24 फरवरी :  

हरियाणा के पूर्व उप मुख्यमंत्री चन्द्र मोहन ने कहा कि हरियाणा में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा के लिए  स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज दोषी हैं और  साढ़े सात साल बीत जाने के पश्चात भी  प्रदेश में डाक्टरों और  विशेषज्ञों की कमी को पूरा नहीं कर पाए हैं और यही कारण है कि ग्रामीण  डाक्टरों की भारी कमी है और एक ज़िले में तो ग्रामीणों ने डाक्टर के न आने से डिस्पैंसरी पर ताला जड़ दिया। उन्होंने कहा कि इससे बड़ी विचित्र बात और क्या हो सकती है कि आज  7 साल से अधिक लगातार  स्वास्थ्य मंत्री रहने के बावजूद भी विज साहब  कह रहे हैं कि रोहतक स्नातकोत्तर चिकित्सा संस्थान में, अनुसंधान ‌की और कभी ध्यान ही नहीं दिया गया। आज  स्वास्थ्य मंत्री प्रदेश में ऐसा स्वास्थ्य ढांचा तैयार करने की बात कर रहे हैं कि एक भी हरियाणवी को इलाज के लिए बाहर ना जाना पड़े।

     चन्द्र मोहन ने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में प्रदेश में चार मैडीकल कालेज बनाने के साथ साथ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली की एक शाखा का संचालन जिला झज्जर में  शुरू करवाने के साथ-साथ रोहतक में मैडीकल  विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। उन्होंने याद दिलाया कि  भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में प्रत्येक जिले में एक मैडीकल कालेज बनाने का वायदा किया था  लेकिन 7 साल बीतने के पश्चात् कितने जिलों में  मैडीकल कालेज बनाए गए हैं ,  क्या इसका विवरण स्वास्थ्य मंत्री विज साहब  जनता को देने का कष्ट करेंगे।

         उन्होंने याद दिलाया कि  मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र करनाल में बनाईं जा रही मैडीकल यूनिवर्सिटी 7 साल बीतने के बाद भी  आज तक पूरी नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि पंचकूला  हरियाणा का विकसित होता हुआ एक शहर है और सबसे बड़ी विडंबना यह है कि भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में  स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में इस जिले में  कोई विशेष प्रगति नहीं हो पाई है। आज  इस जिले को एक सर्वोत्तम स्तर का मैडीकल कालेज खोलने की जरूरत है, लेकिन बार बार आग्रह करने के बावजूद भी इस दिशा में  सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

           चन्द्र मोहन ने स्वास्थ्य मंत्री से मांग की है कि इस जिले  500 बिस्तरों वाले सरकारी मैडीकल कालेज के स्थापना की जाए। ताकि यहां के मरीजों को  प्रदेश से बाहर चण्डीगढ़ न जाना पड़े।उन्होंने कहा कि बेहतर स्वास्थ्य ढांचा तैयार करने के लिए बजट के साथ साथ  सभी क्षेत्रों की मांगों का ध्यान रखते हुए एक प्रकार का सन्तुलन बनाए रखना परमावश्यक है तभी स्वास्थ्य मंत्री अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफल हो सकते हैं अन्यथा स्वास्थ्य मंत्री को भी अपना ईलाज करवाने के लिए  अम्बाला की जगह मोहाली या  गुरुग्राम के प्राईवेट अस्पताल मे जाना पड़ेगा।

रात को नींद ना आए तो क्या करें

रात को नींद न आए तो क्या करें? यह सवाल सभी के जीवन में कभी न कभी आता है। चाहे काम की चिंता हो, या कोई और परेशानी – नींद न आने के अलग अलग कारण होते हैं। तो जानते हैं कि रात को नींद न आए तो क्या करना चाहिए।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, धर्म संस्कृति डेस्क :

जीवन के किसी न किसी पड़ाव पर बहुत से लोग अनिद्रा का अनुभव करते हैं। क्या कारण हैं अनिद्रा के? क्या कर सकते हैं अच्छी नींद के लिए?

प्रश्न: सद्‌गुरु, क्या आप अनिद्रा यानी नींद न आने की समस्या के बारे में कुछ बता सकते हैं? मैं लगभग पिछले छह सालों से नींद न आने की समस्या से जूझ रहा हूं। क्या आप मुझे इसके लिए कुछ कारगर निर्देश दे सकते हैं?

सद्‌गुरु

सद्‌गुरु: अनिद्रा कई कारणों से होती है। दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं, जो अच्छी तरह से सोते हैं, लेकिन उन्हें यह पता ही नहीं होता कि वे अच्छी तरह सो रहे हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो इसलिए ठीक से सो नहीं पाते, क्योंकि उनके शरीर को एक खास मात्रा में आराम की जरूरत होती है, जबकि उन्हें लगता है कि उन्हें और ज्यादा आराम की जरुरत है, इसलिए वे और सोना चाहते हैं। मैं ऐसे कई लोगों से मिला हूं, जो बिल्कुल ठीक हैं, लेकिन उन्हें लगता है कि वे पर्याप्त मात्रा में नींद नहीं ले रहे। उन्हें लगता है कि वे आठ घंटे की नींद नहीं ले रहे, वे तो सिर्फ  चार घंटे की नींद ले रहे हैं जबकि डॉक्टर तो बताते हैं कि आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए। वैसे लोग बिल्कुल ठीक हैं, सेहतमंद हैं।

अगर आप बिल्कुल ठीक हैं, आप अनिद्रा से पीडि़त नहीं हैं और रोजाना तीन से चार घंटे रोज सोते हैं तो यह बिल्कुल ठीक है। बल्कि यह तो एक उत्तम स्थिति है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपनी मानसिक परिस्थितियों के चलते सो नहीं पाते। कुछ लोग अपनी कोशिकीय वजहों अथवा जेनेटिक यानी वंशानुगत तकलीफ ों की वजह से सो नहीं पाते। अगर आपके साथ भी ऐसी स्थिति है तो उसे ठीक करना थोड़ा मुश्किल है। हालांकि आपकी स्थिति ऐसी नहीं है। आप वंशानुगत रूप से उस स्थिति में नहीं हैं। हां अगर शरीर की कोशिकाओं के स्तर पर समस्या है तो आपके शरीर की कोशिकाएं आपको ठीक से सोने नहीं देंगी।

शीर्ष ग्रंथि से जो स्राव होता है, उसे अपने यहां आमतौर पर अमृत

या सुधा कहते हैं। अगर यह स्राव बढ़ जाए और अमृत बहने लगे तो

सबसे पहले हमारी नींद आश्चर्यजनक ढंग से कम हो जाएगी

इसके कई कारण हैं, जिसकी वजह से आप सो नहीं पाएंगे। मुझे लगता है कि तब आपको हमारे आश्रम के बगीचे की देखभाल में जुड़ जाना चाहिए। जब आप बाहर बगीचे में पूरे दिन लगभग दस घंटे काम करेंगे तो आप अपने आप सो जाएंगे। अगर यह तरीका भी काम नहीं करता तो इसका आसान सा उपाय है कि आपको शून्य ध्यान में दीक्षित हो जाना चाहिए। शांभवी भी आप पर काम करेगी। ज्यादातर लोगों के मामले में शांभवी ने काम किया है। अगर आप शून्य साधना में दीक्षित हो चुके हैं और उसका अभ्यास करते हैं तो आप देखेंगे कि आपकी नींद संबंधी जितनी भी अनियमिताएं हैं, वे ठीक होने लगेंगी। आप तो फिलहाल काफी ठीक और खुश लग रहे हैं। अगर आप बिना सोए खुश हैं तो यह बड़ी अच्छी बात है। दरअसल, नींद भी अपने आप में एक तरह की मौत है। रोजाना लोग छह घंटे या आठ घंटे या चार घंटे के लिए मरते हैं। आप क्या पसंद करेंगे? रोजाना कम मरना या ज्यादा मरना?

प्रश्नकर्ता : कम मरना…

सद्‌गुरु: कम मरना अच्छा है। दरअसल, नींद एक तरह से हमारे सिस्टम के हिस्सों में चिकनाई लाने का या कहें कि मरम्मत का एक जरिया है। नींद पर्याप्त न होने का मतलब है कि आपके भीतर सब कुछ घर्षण से घिस रहा है। अगर ऐसी घिसावट वाली स्थिति बन रही है तो इसका मतलब है कि हमें कुछ चीजें करनी होंगी। पहली बात तो यह कि आश्रम में चंद्रकुंड है, जिसमें आप रोजाना 15 से 20 मिनट रह सकते हैं। आप देंखेंगे कि शरीर का तापमान अपने आप नीचे आ जाएगा। यह जल अपने आप में एक अच्छी चिकनाई का जरिया है, आप पाएंगे कि इसमें स्नान करने से आपके शरीर और मन के घर्षण वाली स्थिति में काफी सुधार हुआ है। अगर यह चीज चली गई तो फि र आप कितना सोते हैं, यह कोई मुद्दा ही नहीं रह जाएगा।

नींद की जरूरतें अलग-अलग होती हैं

यह सोच पूरी तरह से गलत है कि हर इंसाान को एक बराबर सोना जरूरी है। अलग-अलग लोगों को अलग-अलग स्तर की नींद की जरूरत होती है। योग का एक आयाम या एक मकसद यह भी होता है कि नींद को कैसे घटाया जाए, क्योंकि नींद का मायने जिंदगी से पलायन भी है। कुछ लोग कहते हैं कि ‘मैं नींद का आनंद लेता हूं।’ कोई भी व्यक्ति नींद का आनंद नहीं ले सकता। आप उस आराम का आनंद लेते हैं, जो नींद आपको देती है। नींद का आनंद लेने का कोई तरीका ही नहीं है, क्योंकि अगर आप वाकई सो रहे हैं तो नींद में आप और यह दुनिया दोनों ही गायब होते हैं। सुबह-सुबह पांच बजे जब आप उठना नहीं चाहते तो आप नींद का मजा लेने का बहाना कर रहे होते हैं। हो सकता है कि इससे आपको खुशी मिले, आराम मिले, मैं इसे समझ सकता हूँ। लेकिन आप जब वाकई सो रहे थे तो दरअसल आप वहां थे ही नहीं।

तो हम नींद का आनंद नहीं ले सकते, हम बस उस नींद से मिले नतीजों का आनंद ले सकते हैं। नींद हमें तनाव से जो मुक्ति देती है, हमें जो आराम देती है, हमारे शरीर को जो फिर से ऊर्जावान बनाती है, हम उसका आनंद लेते हैं। अगर नींद के बाद आपको भरपूर स्फूर्ति मिल जाती है तो संभव है कि नींद की अवधि अपने आप आश्चर्यजनक ढंग से कम हो जाए।

रात को नींद ना आए तो क्या करना चाहिए

मुझे लगता है कि अभी कुछ दिन पहले मुझसे कोई ‘पीनिअल ग्लैंड’ या शीर्ष ग्रंथि के बारे में पूछ रहा था। शीर्ष ग्रंथि से जो स्राव होता है, उसे अपने यहां आमतौर पर अमृत या सुधा कहते हैं। अगर यह स्राव बढ़ जाए और अमृत बहने लगे तो सबसे पहले हमारी नींद आश्चर्यजनक ढंग से कम हो जाएगी, क्योंकि जैसा मैंने कहा नींद अपने आप में मृत्यु है। अगर किसी दिन इस ग्रंथि से ज्यादा स्राव होने लगे तो उस दिन आप बिलकुल भी नहीं सो पाएंगे।

हम नींद का आनंद नहीं ले सकते, हम बस उस नींद से मिले

नतीजों का आनंद ले सकते हैं। नींद हमें तनाव से जो मुक्ति देती है,

हमें जो आराम देती है, हमारे शरीर को जो फिर से ऊर्जावान बनाती है,

हम उसका आनंद लेते हैं।

यह सामान्य सी बात है। तो किसी भी वजह से अगर आप किसी दिन सोते हैं या नहीं सोते हैं अथवा पर्याप्त नहीं सोते हैं, अगर यह मुद्दा है तो आप अगले दिन सुबह उठ कर देख सकते हैं कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं। अगर आप सुबह उठकर शानदार महसूस कर रहे हैं और आप दिन भर भरपूर सक्रिय रहते हैं तो नींद के बारे में भूल जाइए। अगर आप बिना नींद के भी काम कर रहे हैं और आप तरोताजा और सक्रिय हैं तो फिर इसमें दिक्कत क्या है? हालांकि वो स्थिति अभी नहीं आएगी, लेकिन अगर यह स्थिति आ जाती है तो इसमें परेशानी क्या है? जब आप जीवन को संभालना नहीं जानते, तभी आप दिन में बारह घंटे सोना चाहते हैं। लेकिन यह तो एक तरह से पलायन हुआ।

इस तरह से पलायन की बजाय पचास साल की उम्र में ही निकल लीजिए। बारह-बारह घंटे तक सो कर सौ साल जीने के बजाय पचास साल जिंदा रहिए और निकल लीजिए। मेरे कहने का मतलब है कि यह अवधि उसी के बराबर हुई। सोकर तो आप एक तरह से अनजाने में खुदकुशी करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर आप बिना किसी कारण या मकसद के लंबे समय तक सोते हैं तो यह एक तरह से खुशकुशी ही होगी। आप को आराम की जरूरत थी आप सोए, यह अच्छी बात है। शरीर को आराम की जरूरत होती है। तो आपकी नींद की समस्या के लिए आश्रम के बगीचे की जिम्मेदारी या फि र शून्य साधना में से कोई एक चीज समाधान हो सकता है।

साभार ‘ईशा’