विष्णु तिवारी मामले का संज्ञान लेते हूए सर्वोच्च न्यायालय में पीआईएल दायर

एक गलत फैसले ने लील लिया पूरा परिवार। विष्णु तिवारी निर्दोष होते हुए भी 19 साल 3 महीने 3 दिन ॰की सज़ा काट कर निर्दोष साबित हुए। लेकिन जब वह निर्दोष साबित हे तब तक वह पिता रामेश्वर प्रसाद तिवारी, जो बेटे को जेल होने के बाद सदमे में थे फिर उन्हें लकवा हो गया और उनकी मौत हो गई, बड़े भाई दिनेश तिवारी की मौत हुई फिर हार्ट अटैक से भाई रामकिशोर तिवारी की मौत हुई और फिर सदमे से मां का भी स्वर्गवास हो गया। अब जब विष्णु तिवारी जेल से वापस लौटे तो उन्हें घर में छोटे भाई का परिवार व विधवा भाभी की तंग हालत दिखी, वह बताते हैं उन्हें कभी जमानत तक नहीं मिली, केस लड़ते हुए 5 एकड़ जमीन भी चली गई। जेल में उनके पिता की मौत की खबर उनसे छिपाई गई। उत्तर प्रदेश के ललितपुर निवासी विष्णु तिवारी आज निर्दोष साबित होने पर खुशी नहीं मना पा रहे हैं क्योंकि कानून की लापरवाही ने उनसे इतना कुछ छीन लिया है कि जिसकी भरपाई कभी नहीं की जा सकती है।

सरिका तिवारी, चंडीगढ़/ नयी दिल्ली :

विष्णु तिवारी के मामले का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है। याचिका में SC/ST एक्ट के तहत झूठी शिकायतें करने वालों पर कार्रवाई और पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजे के लिए सिस्टम बनाने की अपील की गई है। याचिका भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दायर की है। 20 साल जेल में बिताने के बाद बरी किए गए विष्णु तिवारी के लिए भी पर्याप्त मुआवजे की माँग की गई है।

याचिका में केंद्र सरकार को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह आपराधिक मामलों में झूठी शिकायतें दर्ज कराने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और इस तरह के गलत आरोप लगाए जाने पर पीड़ितों के लिए मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश बनाए।

कपिल मिश्रा ने याचिका में विष्णु तिवारी का उल्लेख किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले दिनों विष्णु तिवारी को निर्दोष करार दिया था। तिवारी को SC/ST (अत्याचार रोकथाम) कानून के तहत अत्याचार और बलात्कार के मामले में 16 सितंबर, 2000 को गिरफ्तार किया गया था।

याचिका में गलत तरीके से दोषी ठहराए जाने और झूठे मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के कारण तिवारी को मुआवजा दिए जाने का अनुरोध किया है। याचिका में कहा गया है, “झूठी और दुर्भावनापूर्ण शिकायतें दर्ज करके कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है। केंद्र को निर्देश दिया जाए कि वह फर्जी शिकायत करने वालों के खिलाफ अभियोग चलाने और कड़ी कार्रवाई करने के लिए एक सिस्टम बनाने और गलत तरीके से चलाए गए मुकदमों के पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा देने के लिए दिशा-निर्देश बनाए। गलत तरीके से मुकदमा चलने पर विधि आयोग की रिपोर्ट की सिफारिश लागू करे।”

याचिका में यह भी कहा गया है कि विशेष अधिनियमों के तहत झूठी शिकायत करने पर यानी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 व यौन उत्पीड़न के मामलों में झूठी शिकायत करने वालों के खिलाफ भी कोई मुकदमा नहीं चल पाता है। झूठे मुकदमों के पीड़ितों को भी आर्थिक मुआवजा नहीं मिलता।

BJP नेता ने इस याचिका में केंद्रीय गृह मंत्रालय, केंद्रीय विधि और न्याय मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार और विधि आयोग को पक्षकार बनाया है। याचिका में विशेष कानूनों के तहत आरोपित बनाए गए विचाराधीन कैदियों के मामलों के जल्द निपटारे के लिए एक सिस्टम बनाए जाने और निश्चित समय के भीतर विचाराधीन कैदियों के मामलों पर फैसला किए जाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाने का अनुरोध किया गया है।

गौरतलब है कि विष्णु तिवारी के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने संज्ञान लेते हुए विस्तृत रिपोर्ट तलब की थी। संस्था ने उत्तर प्रदेश के DGP और और मुख्य सचिव को जवाब देने को कहा था। NHRC ने पूछा कि इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? साथ ही पीड़ित विष्णु तिवारी को राहत और उनके पुनर्वास के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं, NHRC ने इसका भी विस्तृत विवरण माँगा था।

नंदीग्राम से ताल ठोंकने वाली ममता अब टोलिगंज में सुरक्षित सीट तलाशने गईं, वहाँ भी भाजपा ने बढ़ाईं मुश्किलें

नंदीग्राम का खूनी संघर्ष, जिसने ममता को सत्ता दिलवाई थी आज भी संग्राम के लिए तत्पर है। जिस विकास के वायदे पर ममता दी ने नंदिग्राम की जनता में उम्मीदों के बीज बोये थे वह बीज आज भी वहीं पड़े हैं। विकास के नाम पर नंदीग्राम को 10 सालों तक ठगा गया वही आज दोबार ठगे जाने से इंकार करता है। ममता दी ने नंदीग्राम से चुनावी बिगुल तो फूँक दिया लेकिन यहाँ शुवेंदु अधिकारी की उपस्थिती ममता बेनर्जी को सालती जा रही है अत: उनहोंने न्स्न्दिग्राम से इतर टोलिगंज से लड़ने का फैसला किया। ममता की मुसीबत देखिये यहाँ भी भाजपा ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दिन हैं। ममता की मजबूरी क्या है की वह अपने दो बार के चुनावी क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ पा रहीं?

ममता बनर्जी की चुप्पी

कोलत्ता/नयी द्ल्ली:

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नंदीग्राम में नामांकन के दौरान लगी चोट का सियासी फायदा उठाने की तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) ने पूरी कोशिश की। लेकिन जल्दी ही यह बात स्पष्ट हो गई कि टीएमसी जिसे ‘हमला’ बता रही है, वह असल में हादसा थी। इसके बाद यह खबर आई कि ममता बनर्जी टॉलीगंज से भी विधानसभा का चुनाव लड़ सकती हैं, जो पार्टी के लिए सेफ सीट मानी जाती है।

लेकिन, बीजेपी ने रविवार (14 मार्च 2021) को बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की जो सूची जारी की है, उससे जाहिर है कि वह ममता बनर्जी के लिए कोई भी सीट सुरक्षित नहीं रहने देगी। उसने टॉलीगंज से केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो को मैदान में उतारा। फिलहाल इस सीट से तीन बार के विधायक अरूप विश्वास टीएमसी के आधिकारिक उम्मीदवार हैं। लेकिन बताया जाता है कि टिकट देने के साथ ही उन्हें अपना प्रचार धीमा रखने के निर्देश देते हुए यह बता दिया गया था कि ममता खुद यहाँ से मैदान में उतर सकती हैं। इस सीट पर 10 अप्रैल को मतदान होगा। नामांकन भरने की अंतिम तारीख 23 मार्च है।

मीडिया रिपोर्टों में टीएमसी सूत्रों के हवाले से बताया गया था कि चोट लगने के बाद ममता बनर्जी को एहसास है कि वह अब नंदीग्राम में धुआंधार प्रचार नहीं कर सकती। शुभेंदु अधिकारी के बीजेपी में जाने के बाद इस इलाके में पार्टी कैडरों के गिरे मनोबल को उठाने के लिए ममता ने यहाँ से चुनाव लड़ने का फैसला किया था। लेकिन, अब बदले हालात में कयास लग रहे हैं कि वह दूसरी सीट से भी चुनाव लड़ेंगी और वह सीट दक्षिण कोलकाता की टॉलीगंज होगी। यह बंगाली फिल्म उद्योग का केंद्र है और अब तक टीएमसी के लिए सेफ रही है। लेकिन, सांसद बाबुल सुप्रियो की उम्मीदवारी ने इस सीट को भी हाई प्रोफाइल और कड़े मुकाबले का रणक्षेत्र बना दिया है।

बंगाल की 294 विधानसभा सीटों के लिए 8 चरणों में चुनाव में होना है। चुनाव 27 मार्च से शुरू होकर 29 अप्रैल तक होंगे। मतों की गिनती 2 मई को होगी। बीजेपी ने रविवार को तीसरे चरण के लिए 27 और चौथे चरण के लिए 36 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया। इनमें बाबुल सुप्रियो के अलावा कई अन्य सांसदों के भी नाम हैं।

केरल में 115 सीटों पर चुनाव लड़ेगी बीजेपी

पार्टी महासचिव अरुण सिंह ने बताया कि अर्थशास्त्री अशोक लाहिड़ी अलीपुरद्वार से, डोमजूर से राजीव बनर्जी और सिंगुर से रबींद्र भट्टाचार्य उम्मीदवार होंगे। स्वप्न दासगुप्ता (तारकेश्वर), सांसद निशित प्रमाणिक (दिनहट्टा) और अभिनेता यश दास गुप्ता (चंदिताला) से चुनाव लड़ेंगे। सांसद लॉकेट चटर्जी को चुंचुरा से पार्टी ने मैदान में उतारा है।

भारतीय जनता पार्टी ने केरल में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों के नामों का एलान कर दिया है। केरल में बीजेपी 115 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने जा रही है। केरल विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 25 सीटें अपनी चार सहयोगी पार्टियों के लिए छोड़ी हैं। बीजेपी ने ‘मेट्रो मैन’ ई श्रीधरन को भी टिकट दिया है। वो पलक्कड से चुनाव लड़ेंगे।

तमिलनाडु में बीजेपी ने जारी की 17 उम्मीदवारों की लिस्ट

बीजेपी ने तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 17 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की। धारापुरम से प्रदेश अध्यक्ष एल मुरूगन को टिकट दिया गया है। वहीं खुशबू सुंदर को थाउजेंड लाइट्स से टिकट मिला है। बीजेपी राज्य में एआईएडीएमके साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है।

एनआईए ने आधी रात को किया गिरफ्तार आज होगी कोर्ट में पेशी

‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ वाजे, ठाणे निवासी व्यवसायी मनसुख हिरन की मौत मामले में भी सवालों के घेरे में हैं। उक्त स्कॉर्पियो हिरानी के पास ही थी। हिरन पांच मार्च को ठाणे जिले में क्रीक में मृत पाए गए थे। आतंकवाद रोधी दस्ता (एटीएस) हिरन मामले की जांच कर रहा है। हिरन का शव मिलने के कुछ दिनों बाद एटीएस ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। एनआईए के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘सचिन वाजे को रात 11 बजकर 50 मिनट पर एनआईए मामला आरसी/1/2021/एनआईए/एमयूएम में गिरफ्तार कर लिया गया।’’ कार्माइकल रोड स्थित अंबानी के आवास के पास खड़ी एक एसयूवी (स्कॉर्पियो) में 25 फरवरी को जिलेटिन की कुछ छड़ें और एक धमकी भरा पत्र मिला था। एनआईए ने कहा कि वाजे को 25 फरवरी को विस्फोटकों से भरा वाहन खड़ा करने में भूमिका निभाने और इसमें संलिप्त रहने को लेकर गिरफ्तार किया गया।

मुंबई/न्यि दिल्ली:

मुंबई पुलिस के विवादित अधिकारी सचिन वाजे को NIA ने गिरफ्तार कर लिया है। एशिया के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित बहुमंजिला आवास एंटीलिया के बाहर मिली संदिग्ध कार और उसमें बरामद किए गए बम बनाने के सामान के मामले में ये कार्रवाई हुई है। उस कार के मालिक मनसुख हिरेन भी कुछ दिनों बाद मृत पाए गए थे और परिजनों ने सचिन वाजे पर उनकी हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया है।

सचिन वाजे से शनिवार (मार्च 13, 2021) को 12 घंटे तक पूछताछ की गई और फिर देर रात उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उनके खिलाफ IPC की धारा-120B (आपराधिक षड्यंत्र), 286 (किसी विस्फोटक पदार्थ के बारे में उपेक्षापूर्ण आचरण), 465 (कूटरचना), 473 (कूटरचना करने के आशय से कूटकृत मुद्रा को बनाना या कब्जे में रखना) और 506(2) (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

सचिन वाजे शनिवार को सुबह 11 बजे NIA के दफ्तर पहुँचे, जहाँ उनसे पूछताछ हुई। उससे पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर एक संदेश पोस्ट कर के आरोप लगाया था कि उनके साथी ही उन्हें गलत मामलों में फँसा रहे हैं। उन्होंने लिखा था कि अब दुनिया को अलविदा कहने का समय नजदीक आ गया है। NIA को सचिन वाजे के खिलाफ कई मजबूत सबूत मिले हैं, जिसके बाद गिरफ्तारी की कार्रवाई की गई।

NIA अगर किसी मामले की जाँच कर रहा होता है तो उसके पास शक्ति है कि वो उससे जुड़े अन्य मामलों की भी जाँच करे। ऐसे में, NIA जल्द ही मंसूख हिरेन की कथित हत्या का मामला भी अपने हाथ में ले सकता है। सचिन वाजे ने आरोपों को निराधार बताते हुए मार्च 3, 2004 का दिन याद किया और दावा किया कि तब CID के उनके साथियों ने उन्हें ‘गलत मामले में’ गिरफ्तार कर लिया था। उन्होंने कहा कि इतिहास खुद को दोहराने जा रहा है।

सचिन वाजे को आज NIA द्वारा अदालत में पेश कर के उनकी कस्टडी माँगी जाएगी। सचिन वाजे कई वर्षों तक शिवसेना के नेता रहे हैं। वाजे ने अपने व्हाट्सएप्प स्टेटस में लिखा था, “मेरे साथी अधिकारी मुझे झूठा फँसाना चाहते हैं। तब शायद मेरे पास 17 साल की आशा, धैर्य, जीवन और सेवा भी थी। अब मेरे पास न तो 17 साल का जीवन होगा और न ही सेवा और न ही जीने के लिए धैर्य।” इसके 1 घंटे बाद ही वो NIA दफ्तर पहुँचे थे।

बीजेपी और शिवसेना आमने-सामने 

इस मामले में अब राजनीति भी तेज हो गई है. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस उद्धव पर वाजे का वकील बनने का आरोप लगाकर वार कर रहे हैं और उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं. इसपर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरने ने कहा है, ‘’जिलेटिन कांड की जांच चल रही है और सही दिशा में चल रही है. पहले फांसी दे दो और फिर जांच करो, ये सही तरीका नहीं हो सकता. ऐसा माहौल बनाया जा रहा है जैसे सचिन वाजे ओसामा बिन लादेन हो.’’