भारत एक विशाल देश है, खानपान में ढेर सारी विविधता है
भारत एक विशाल देश है, खानपान में ढेर सारी विविधता है. हमारे देश में छह अलग-अलग ऋतु में होती हैं, अलग-अलग क्षेत्रों में वहाँ के मौसम के हिसाब से अलग-अलग चीजें पैदा होती हैं. इसलिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि हर क्षेत्र के मौसम, वहाँ के स्थानीय भोजन और वहाँ पैदा होने वाले अन्न, फल, सब्जियों के अनुसार एक पोषक, nutrient rich, diet plan बने. -PM
Nutrition के इस आंदोलन में People Participation
Nutrition के इस आंदोलन में People Participation भी बहुत जरुरी है. जन-भागीदारी ही इसको सफल करती है. पिछले कुछ वर्षों में, इस दिशा में, देश में, काफी प्रयास किए गये हैं. खासकर हमारे गाँवों में इसे जनभागीदारी से जन-आन्दोलन बनाया जा रहा है. पोषण सप्ताह हो, पोषण माह हो, इनके माध्यम से ज्यादा से ज्यादा जागरूकता पैदा की जा रही है. स्कूलों को जोड़ा गया है. बच्चों के लिये प्रतियोगिताएं हों, उनमें Awareness बढ़े, इसके लिये भी लगातार प्रयास जारी हैं. जैसे Class में एक Class Monitor होता है, उसी तरह Nutrition Monitor भी हो, report card की तरह Nutrition Card भी बने, इस तरह की भी शुरूआत की जा रही है. -PM
शिशु को गर्भ में, और बचपन में, जितना अच्छा पोषण मिलता है, उतना अच्छा उसका मानसिक विकास होता है
Experts कहते हैं कि शिशु को गर्भ में, और बचपन में, जितना अच्छा पोषण मिलता है, उतना अच्छा उसका मानसिक विकास होता है और वो स्वस्थ रहता है. बच्चों के पोषण के लिये भी उतना ही जरुरी है कि माँ को भी पूरा पोषण मिले और पोषण या Nutrition का मतलब केवल इतना ही नहीं होता कि आप क्या खा रहे हैं, कितना खा रहे हैं, कितनी बार खा रहे हैं. इसका मतलब है आपके शरीर को कितने जरुरी पोषक तत्व, nutrients मिल रहे हैं. आपको Iron, Calcium मिल रहे हैं या नहीं, Sodium मिल रहा है या नहीं, vitamins मिल रहे हैं या नहीं, ये सब Nutrition के बहुत Important aspects है. -PM
हमारे यहाँ के बच्चे, हमारे विद्यार्थी, अपनी पूरी क्षमता दिखा पाएं
मन की बात में प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे यहाँ के बच्चे, हमारे विद्यार्थी, अपनी पूरी क्षमता दिखा पाएं, अपना सामर्थ्य दिखा पाएं, इसमें बहुत बड़ी भूमिका Nutrition की भी होती है, पोषण की भी होती है. पूरे देश में 4. सितम्बर महीने को पोषण माह Nutrition Month रूप में मनाया जाएगा. Nation और Nutrition का बहुत गहरा सम्बन्ध होता है. हमारे यहाँ एक कहावत है. “यथा अन्नम तथा मन” यानी, जैसा अन्न होता है, वैसा ही हमारा मानसिक और बौद्धिक विकास भी होता है.
भारतीयों के innovation और solution देने की क्षमता का लोहा हर कोई जानता है
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीयों के innovation और solution देने की क्षमता का लोहा हर कोई जानता है और जब समर्पण भाव हो, संवेदना हो तो ये शक्ति असीम बन जाती है. इस महीने की शुरुआत में, देश के युवाओं के सामने, एक app innovation challenge रखा गया. इस आत्मनिर्भर भारत app innovation challenge में हमारे युवाओं ने बढ़-चढ़कर के हिस्सा लिया. करीब, 7 हजार entries आई, उसमें भी, करीब-करीब दो तिहाई apps tier two और tier three शहरों के युवाओं ने बनाए हैं. ये आत्मनिर्भर भारत के लिए, देश के भविष्य के लिए, बहुत ही शुभ संकेत है.
लोकल खिलौने के लिए वोकल होने का समय आ गया है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ में कहा कि आम तौर पर ये समय उत्सव का है. जगह-जगह मेले लगते हैं, धार्मिक पूजा-पाठ होते हैं. कोरोना के इस संकट काल में लोगों में उमंग और उत्साह तो है ही, मन को छू लेने वाला अनुशासन भी है. कोरोना काल में संयम रखना जरूरी है. लोग सादगी और संयम से त्योहार मना रहे हैं. कई जगह गणेश उत्सव ऑनलाइन मनाया गया. इकोफ्रेंडली रूप में गणेश चतुर्थी मनाई गई.
पीएम मोदी ने कहा, “हम बहुत बारीकी से अगर देखेंगे, तो एक बात अवश्य हमारे सामने आएगी- हमारे पर्व और पर्यावरण. इन दोनों के बीच एक बहुत गहरा नाता है. बिहार के पश्चिमी चंपारण में सदियों से थारू आदिवासी समाज के लोग 60 घंटे के लॉकडाउन, उनके शब्दों में ‘60 घंटे के बरना’ का पालन करते हैं. प्रकृति की रक्षा के लिए बरना को थारू समाज के लोगों ने अपनी परंपरा का हिस्सा बना लिया है और ये सदियों से है. धान की रोपाई 5% ज्यादा हुई है. अन्नदाता की शक्ति को वेदों में नमन किया गया है.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीआज सुबह 11 बजे रेडियो पर ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित कर रहे हैं. इस दौरान पीएम मोदी देश की जनता के साथ अपने प्रमुख विचार साझा .कर रहे हैं. मासिक रेडियो कार्यक्रम की यह 68वीं कड़ी है. जिसे आकाशवाणी और दूरदर्शन के समूचे नेटवर्क पर प्रसारित किया जा रहा है. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 जुलाई को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए लोगों को संबोधित किया था.
फोन पर सुने ‘मन की बात’
इसके लिए 1922 भी डायल कर सकते हैं, जिसके बाद आपको एक कॉल आएगा जिसमें आप अपनी पसंदीदा भाषा चुन सकते हैं और अपनी क्षेत्रीय भाषा में ‘मन की बात’ कार्यक्रम सुन सकते हैं.
पीएम ने मांगा था मार्गदर्शन
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 11 जुलाई को सोशल मीडिया के जरिए अपील की थी. उन्होने जानकारी देते हुए लिखा था कि जो भी ‘मन की बात’ कार्यक्रम के लिए कोई सलाह देना चाहते हैं तो वे विभिन्न माध्यमों से दे सकते हैं. पने ट्वीट में पीएम ने ये भी लिखा था उन्हे यकीन है कि आप इस बारे में जानते होंगे कि किस तरह सामूहिक प्रयास से देश में प्रेरणादायक बदलाव हुए और आगे भी कैसे सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है.