बादल पंथ, पंजाब और पंजाबियों को केवल सत्ता हथियाने के लिए इस्तेमाल करते हैं ‘आआपा’
- सिर्फ हरसिमरत कौर की कुर्सी बचाने के लिए ‘संघर्ष’ कर रहे हैं बादल -हरपाल सिंह चीमा
- एम.एस.पी के लिए संघर्ष वाले बयान पर ‘आआपा’ ने उडाई सुखबीर बादल की खिल्ली
राकेश शाह, चण्डीगढ़, 14 जून:
फसलों की एम.एस.पी बचाने सम्बन्धित मोदी सरकार के विरुद्ध संघर्ष करने की बातें सुखबीर सिंह बादल के मुंह से सुनकर आज सारा पंजाब हंस रहा है, क्योंकि हर कोई जानता है कि इस समय बादल परिवार सिर्फ और सिर्फ हरसिमरत कौर बादल की कुर्सी बचाने के लिए ही संघर्ष कर रहा है।’’ आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के सीनियर नेता व नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने यह व्यंग्यमय टिप्पणी शिरोमणि अकाली दल (बादल) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के उस ताजा बयान पर की है, जिस के माध्यम से सुखबीर सिंह बादल ने फसलों के कम से कम समर्थन मूल्य के साथ किसी किस्म की छेड़छाड़ होने की सूरत में केंद्र सरकार के विरुद्ध संघर्ष शुरु करने की चेतावनी दी है।
पार्टी हैडक्वाटर से जारी बयान के द्वारा हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि मोदी सरकार के इन तीन अध्यादेशों किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (प्रोत्साहन और सहायक) अध्यादेश -2020, कीमत गारंटी और खेती सेवाओं सम्बन्धित किसान (शक्तीकरण और सुरक्षा) अध्यादेश-2020 और जरूरी वस्तुएं (संशोधन) अध्यादेश-2020 के द्वारा संघीय ढांचे की सीधे रूप में प्रदेश और किसानों के हितों पर सीधा हमला किया है। पंजाब और हरियाणा के मौजूदा मंडीकरन प्रबंध (जिस को दुनिया का बेहतरीन मंडीकरन प्रबंध माना जाता है) को बर्बाद करने और गेहूं व धान की फसल के लिए निर्धारित होते कम से कम समर्थन मूल्य को खत्म करने का सैद्धांतिक फैसला ले लिया है। खेती लागत और कीमतें कमीशन (सीएसीपी) की ताजा सिफारिशें और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के ताज़ा बयान ने इस की स्पष्ट रूप में पुष्टि करते हैं।
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि हरसिमरत कौर बादल की उपस्तिथि में मोदी कैबिनेट ने पंजाब की स्वराज्य और खेती क्षेत्र के लिए घातक तीन तानाशाही अध्यादेश पास कर दिया परंतु हरसिमरत कौर बादल के मुंह से पंजाब और पंजाब के किसानों के हितों की चौंकीदारी के लिए एक शब्द नहीं निकला।
हरसिमरत कौर बादल की एक वजीरी बचाने की खातिर ‘संघर्षशील’ बादल परिवार किस संघर्ष की बातें कर रहा है?
हरपाल सिंह चीमा ने सुखबीर सिंह बादल को पूछा कि खेती विरुद्ध अध्यादेश आ गए हैं। सीएसीपी ने शांता कुमार समिति की सिफारिशों की वकालत करते हुए पंजाब और हरियाणा से गेहूं और धान की सरकारी खरीद बंद करने की सिफारिशें कर दी हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एम.एस.पी को देश की आर्थिकता के लिए खतरा बता कर पंजाब और हरियाणा से गेहूं-धान की सरकारी खरीद और एम.एस.पी बंद किए जाने का फरमान सुना दिया है, फिर सुखबीर सिंह बादल फसलों के समर्थन मूल्य के साथ ओर कौन सी छेड़छाड़ का इन्तजार कर रहे हैं?
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि बादल परिवार पंजाब और पंजाब की कृषि की कुर्बानी देकर हरसिमरत कौर बादल की कुर्सी बचाने के लिए मोदी सरकार के साथ ‘समझौता’ पक्का कर चुके हैं और अब ‘समझौता नहीं करेंगे और संघर्ष शुरु कर देंगे’ जैसे बयानों के द्वारा पंजाब के लोगों को गुमराह करने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं, जो सफल नहीं होगी, क्योंकि पंजाब का बच्चा-बच्चा भी जानता है कि बादल परिवार सत्ता हथियाने और बहु रानी की कुर्सी बचाने के लिए हमेशा पंथ, पंजाब और पंजाबियों को इस्तेमाल करता रहा है, परंतु काठ की हांडी बार-बार चूल्हे पर नहीं चढ़ती।