एकतरफा संघर्ष विराम में हुए 62 हमले और 40 लोग मरे गए
रमजान के दौरान घाटी में आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई पर लगी रोक के दौरान रिकॉर्ड 20 ग्रेनेड अटैक, 62 आतंकी हमले हुए। इसमें 41 लोगों की जान गई। यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने दी है। हिंसा में हुई बढ़ोत्तरी ने सरकार को कार्रवाई करने के लिए मजबूर कर दिया है, जिसके बाद रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह सीजफायर को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया। उन्होंने ने कहा कि हमने पहल की लेकिन आतंकियों ने सुरक्षाबलों एवं नागरिकों पर हमले जारी रखे। अब सुरक्षा बलों को निर्देश दिया जाता है कि वह पहले की तरह सभी जरूरी कार्रवाई करें ताकि आतंकवादियों को सबक सिखाया जा सके।
केंद्र की ओर से घोषित एकतरफा संघर्ष विराम का इस्तेमाल आतंकी संगठनों ने खुद को मजबूत करने के लिए किया। मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक संघर्ष विराम की घोषणा के बाद शुरुआती 19 दिनों में ही 23 युवक आतंकी संगठनों में भर्ती हुए, जबकि इस साल के शुरू से अप्रैल तक यह संख्या 125 थी।
केंद्र सरकार ने 17 मई को निर्णय लिया था कि रमजान के दौरान जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बल आतंकवादियों के खिलाफ अभियान नहीं चलाएंगे। इस निर्णय का जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी स्वागत किया था। हालांकि इस दौरान जमीनी वास्तविकता अलग रही। अधिकारियों के अनुसार, 17 अप्रैल से 17 मई के बीच 18 आतंकी घटनाएं हुई थी जबकि रमजान के पाक महीने में यह आंकड़ा बढ़कर 50 पार चला गया।
अभियान पर रोक के दौरान आतंकवादियों ने एक सैनिक की जघन्य हत्या कर दी, उदारवादी रवैया अपनाने वाले आम नागरिकों पर हमले किए और आखिरकार जानेमाने पत्रकार शुजात बुखारी की गोली मारकर हत्या कर दी जो शांति की एक सशक्त आवाज थे।
सेना और पुलिस ने बताया कि मरने वालों में 24 आतंकवादी थे। अधिकतर आतंकी कुपवाड़ा के सीमावर्ती इलाके में मारे गए। ये आतंकवादी लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, जैश-ए-मोहम्मद और अल बद्र समूहों से थे जो हाल ही में घाटी में घुसे थे। उत्तर कश्मीर में तैनात एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि ये आतंकवादी उच्च प्रशिक्षित थे जिन्हें पाक प्रशासित कश्मीर (पीओके) से लॉन्च किया गया था।
रमजान के दौरान सेना के 4 जवान सहित नौ सुरक्षाकर्मी शहीद हुए। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले से सेना के जवान औरंगजेब का आतंकवादियों द्वारा अपहरण कर लिया था और उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया था। कश्मीर घाटी में इस साल 55 से अधिक आतंकवादी मारे गए। इसी साल 27 स्थानीय लोगों की भी जान गई। कश्मीर की स्थिति अत्यधिक गंभीर मानी जा रही है क्योंकि पिछले चार महीने में यहां करीब 80 हिंसक घटनाएं हुई हैं।
इसके अलावा रमजान में ग्रेनेड हमलों में भी बढ़ोत्तरी हुई। अधिकारियों ने बताया कि ग्रेनेड हमले में 62 आम नागरिक और 29 सुरक्षाकर्मी घायल हुए। जो दो साल में किसी एक महीने में सबसे ज्यादा है। इस दौरान सुरक्षा बलों के हाथों नागरिकों की मौत की संख्या में गिरावट दर्ज हुई है। पिछले एक महीने के दौरान चार लोग मारे गए थे, उनमें से दो पिछले दो दिनों में मारे गए थे।
पिछले साल रमजान के दौरान पत्थरबाजी की 200 घटनाओं की तुलना में इस बार 60 इस तरह की घटनाएं हुई। बता दें कि सुरक्षा एजेंसियों ने सरकार को 28 जून से शुरू होने जा रही अमरनाथ यात्रा को बाधित करने के कुछ आतंकवादी संगठनों के मंसूबों के बारे में सतर्क किया था और दक्षिण कश्मीर में कुछ अभियान चलाने की जरूरत बताई थी।