नसीरुद्दीन शाह ने सच ही तो कहा है, बस आसपास देखिए तो जरा

राजविरेन्द्र वसिष्ठ

भारत के लोगों में हिपोक्रेसी इतनी कूट-कूटकर भरी हुई है कि इनकी बुद्धियों को लॉजिक और सवाल-जवाब भेद भी नहीं पाते है। यहाँ अब अपनी बात किसी भी माध्यम से काही जा सकती है। अभी कुछ दिन पहले विराट कोहली पर उंगली उठाने वाले नसीरुद्दीन शाह अब भारत के सामाजिक ताने बाए से खौफजदा हैं। उन्हे आमिर खान कि तरह “भारत” में डर लगने लग गया है। जो व्यक्ति बर्फी और लड्डू में मजहबी फर्क करने पर खीज जाता था आज अपने मज़हब को ले कर पसोपेश में है। यह उनकी राजनैतिक बिसात है या फिर उनकी किसी नयी फिल्म क मसौदा यह तो वह ही जानें।

हिंदी सिनेमा के बड़े नाम नसीरुद्दीन शाह अपने बयान से न्यूज चैनलों के प्राइम टाइम की बहस का मुद्दा बन गए हैं. अब उलट उनसे सवाल पूछा जा रहा है. ऐसी नौबत बनाई जा रही है कि उनको भी अपनी देशभक्ति साबित करने पर मजबूर होना पड़े. आमिर खान ने भी कुछ-कुछ ऐसा ही बयान दिया था और उन्हें आखिर में सफाई देनी पड़ी थी. उन्हें तो पाकिस्तान भेजने तक का न्योता भी मिल गया था. लेकिन शुक्र है कि पिछले कुछ वक्त से देश में पाकिस्तान भेजने की धमकी देने का चलन खत्म सा हो गया है. फिर उसे दोहरवाने कि इन्हे जरूरा पड़ी कहीं मामला राजनैतिक महत्वकांक्षा क तो नहीं?

‘बच्चों के लिए फिक्र होती है’

पूरा मामला कुछ यूं है कि ‘कारवां-ए-मोहब्बत इंडिया’ से एक इंटरव्यू में नसीरुद्दीन शाह ने बुलंदशहर हिंसा की घटना पर कमेंट किया था. उन्होंने कहा था कि उन्हें अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता है. वो डरे हुए नहीं गुस्से में हैं. उन्होंने कहा कि देश में जहर फैलाया गया है और अब इसे रोकना मुश्किल है.

शाह ने कहा था कि उन्होंने अपने बच्चों को कभी किसी खास धर्म की शिक्षा नहीं दी है. उन्होंने अपने बच्चे इमाद और विवान को धार्मिक शिक्षा नहीं देना तय किया था क्योंकि उनका मानना है कि ‘खराब या अच्छा होने का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है’, इसलिए उन्हें डर है कि अगर कभी भीड़ ने उनके बच्चों को घेरकर पूछ लिया कि वो किस धर्म के हैं, तो वो क्या जवाब देंगे?

शाह ने देश में हो रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं के क्रम में जुड़े बुलंदशहर हिंसा पर टिप्पणी भी की. उन्होंने कहा कि देश में गाय के जान की कीमत एक पुलिसवाले से ज्यादा हो गई है. यहां गाय की मौत को पुलिस अधिकारी की हत्या से ज्यादा तवज्जो दी गई. उन्होंने कहा कि लोग कानून को अपने हाथ में ले रहे हैं और उन्हें खुली छूट भी दे दी गई है.

शाह का अपने बच्चों के लिए डर होना 2015 में आमिर खान के असहिष्णुता पर दिए गए बयान की याद दिलाता है. खान की इस टिप्पणी के बाद जाहिर तौर पर विवाद पैदा हो गया था. उसी तरह शाह को भी निशाना बनाया जा रहा है.

शाह के सवाल पर सवाल

सबसे पहले बात राजनीतिक पार्टियों की. भारतीय जनता पार्टी की ओर से राकेश सिन्हा ने उनके इस बयान पर कहा है कि देश में कुछ लोग बदनाम गैंग में शामिल हो गए हैं. प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि देश में डरने जैसी स्थिति नहीं है. सच है यदि रोज़ सुबह कमा कर खाने वालों बच्चों से ले कर जवान औरतों को जैसा कि इनकी अभिनेत्रियों शबाना या समिता की तरह रसूखदारों की नज़रों से अपने आप को फटी साढ़ी में ढकतीं बचाती दिखाई जातीं थी उन्हे प्रतिदिन अपने आपको उसी जगह लाने में डर नहीं लगता तो फिर इनको कैसा डर? और यह साहब ज़रा बता तो दें की मुंबई धमाकों के बाद वहाँ कौन से धार्मिक उन्माद की बात इनहोने देख ली?

वहीं, न्यूज चैनलों पर सवाल पूछे जा रहे हैं कि नसीरुद्दीन शाह को बच्चों की चिंता क्यों हो रही है? क्या उन्हे सिर्फ अपने बच्चों की चिंता है, उनकी नहीं जो दिन रात सड़कों पर दो जून की रोटी और इस ठिठुरती ठंड मैनपने हाड़ गलने को मजबूर हैं। जिस देश ने उन्हें बुलंदियों पर पहुंचाया, अब वहां उन्हें डर क्यों लगने लगा है? इस बात की खातिर जमा रखिए जल्दी ही वह कोई टोपी पहने नज़र आएंगे, लोगों ने तो इसे 2019 की तैयारी भी बता दी है.

मीडिया भी तो खुश है. उसे समझ नहीं आ रहा कि शाह को डर क्यों लग रहा है? वो कैसे इतने सुरक्षित देश को असुरक्षित कह सकते हैं? देश ने तो कुछ वक्त से ऐसी कोई घटना देखी ही नहीं है, जिसमें डरने जैसी कोई बात हो. इसलिए शाह की बात ऐसी बेसिर-पैर है, जिसका ओर-छोर इन्हें समझ नहीं आ रहा और उनसे उलट सवाल पूछे जा रहे हैं.

अब जरा गंभीर सवाल-

– क्या पिछले कुछ वक्त में देश में मॉब लिंचिंग पर वह चाहे बंगाल में हो या फिर केरल में, मीडिया में सवाल नहीं उठाए गए हैं?

– क्या गौरक्षा/ असिहशुनता के अभियान को लेकर देश में बौद्धिक्क हिंसा नहीं बढ़ी है? क्या एक व्यक्ति विशेष के मुख्य पद पर बैठने से विपक्ष तिलमिलाया हुआ नहीं है? उसी का असर क्या कुछ समर्थकों की बातों में नहीं दीख पड़ता?

– क्या मीडिया ने देश में सुरक्षा को लेकर सरकारों पर सवाल नहीं उठाए हैं?

– क्या प्रशासनिक लापरवाही, गैर-जिम्मेदाराना बर्ताव और सरकारी नाकामी पर मीडिया सवाल नहीं करता है? क्या आपकी फिल्मों में स्वावलंबन नहीं सिखाया जाता और इस पर भत्तों की आग में खुद को झोंक देने की मानसिकता चिंता क विषय नहीं है? किसानों की बुरी हालत क्या विगत पाँच वर्षों ही में हुई है? उनकी कर्जा माफी क्या मध्य वर्ग यानि आम आदमी जिसकी आप एक्टिंग करते आए हैं के गाढ़ी कमाई पर सीधा सीधा डाका नहीं है, क्या इससे आपको चिंता होती है।

– क्या मीडिया को देश बहुत सुरक्षित लगने लगा है और उसे अव्यवस्था, हिंसा, अपराध की खबरें मिलनी बंद हो गई हैं?

मीडिया ने ये सवाल उठाए हैं और उठाता रहा है. मॉब लिंचिंग हो या सरकारी नाकामी का मसला हो, मीडिया सवाल पूछता है. मीडिया जवाबदेही ढूंढता है, तो दिक्कत क्यों है?

आंखें मूंदकर बेवकूफ बने रहना ज्यादा पसंद है?

शाह ने कौन सी नई बात कही है? क्या इस देश में बहुत शांति आ गई है? क्या एक आम आदमी से लेकर रसूख वाले इंसान को यहां डर नहीं लगता? क्या देश में आर्थिक और सामाजिक तौर पर बहुत सामंजस्यता बन गई है? क्या कश्मीर में पत्थर बाजों ने सेना के रास्ते में आना बंद कर दिया है? क्या बंगाल में दलितों की हत्याएँ बंद हो गईं है? क्या केरल में राजनैतिक हत्याएँ बंद हो गईं हैं? क्या रोहिङ्ग्यओन को ले कर तुष्टीकरण की राजनीति बंद हो गयी है? क्या हमने एक दूसरे की भावनाओं की कद्र करना सीख लिया है, जिससे कि देश में डर खत्म हो जाना चाहिए?

हमारे यहां ये बड़ी समस्या है, अपनी चीज को खराब कहने में कोई दिक्कत नहीं, लेकिन यही बात कोई और कह दे तो हम उसपर चढ़ बैठते हैं. गर्व के भ्रम में इग्नोरेंस या कह लें अक्खड़ रुख को अपनाए बैठे हम खुद को एक बार नहीं आंकना चाहते.

इस पूरे मामले पर अप्रोच ऐसा होना चाहिए कि सच्चाई की ओर से आंखें मूंदकर सवाल दागने से अच्छा खुद ये सवाल उठाए जाएं. आखिर कोई ये बातें कह रहा है तो क्यों कह रहा है? देश में सुरक्षा क्यों नहीं है पूछने वालों से पूछा जाना चाहिए और कितनी सुरक्षा चाहते हो? आराम से काम पर जाते हो, पार्टियां करते हो, हर जगह मुफ्त की तोड़ते हो और फिर कहते हो की भावना असुरक्षा की है। और राजनीति करने वाले नेता समस्या को कैसे पोषित कर पा रहे हैं?

किसी आम आदमी से भी पूछ लीजिए कि वो इस देश में कितना सुरक्षित महसूस करता है. और बात बस धर्म की नहीं है, आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा बहुत मायने रखती है. आपको लगता नहीं की आम आदमी किस तरह की जिंदगी बसर कर रहा है। आम आदमी टिकिट खिड़की पर लगता है आपको देखने के लिए अपने आप को आप में ढूँढता हुआ वह अपनी गाढ़ी कमाई का एक हिस्सा आपके लिए खर्चता है। आप उसके रोल .माडल हैं। आम आदमी अपने बेटे भाई माँ बीवी के मरने के कुछ दिन बीत जाने पर फिर से जीने की ओर अग्रसर होता है, ठीक उसी तरह जिस तरह आप रुपहले पर्दे पर। जब वही आम आदमी आपके नाटक पर तालियाँ पीटता है तब तो आपको डर नहीं लगता ज़ाहीर सी बात है आप को राजनैतिक डर लगता है। आपने अपने ब्यान से अपनी दूसरी पारी की शुरुआत की है, आपको खुले मन से इस मंच पर आना चाहिए था न की भुक्तभोगी होने का नाटक कर कर। पर आप नाटक के अलावा और कर भी क्या सकते हैं.

हर मुद्दे को चल रही हवा की चलनी में छानकर मतलब की चीजों को निकालकर मुद्दों को उलझाया न जाए तो कुछ अच्छा हो. लेकिन फिलहाल तो सच में चीजें बदलती नहीं दिख रहीं.

Yoga Stimulates Natural Anti Cancer Defences

Sareeka Tewari

National Cancer Institute estimates about one million suspected or diagnosed cases of Carcinoma.

The treatment options for most of them probably included chemotherapy, radiation therapy and surgery. When battling cancer, the worst part is not just the symptoms of the disease itself, but often the discomfort and debilitating fatigue brought on from cancer treatments. Whether faced with the scar-tissue of surgery or ongoing nausea and weakness from chemotherapy or radiation, cancer patients endure a long road of physical trials.

For patients, such side effects can take over daily life. They can make patients uncomfortable at best and miserable at worst sometimes affecting their ability to stick to their treatments, or making treatments less effective than they could be.
But as many cancer patients and cancer survivors are discovering, there are ways to strengthen their bodies and deal with the uncomfortable side-effects of treatment, both during and after treatment. As the interest in more holistic approaches to healing is growing, yoga therapy for cancer patients and cancer survivors is emerging as one of the more successful methods for combating the physical discomfort of cancer and cancer treatment.

Cancer patients who practice yoga as therapy during their treatment often refer to their yoga practice as a life-saver. The healing power of yoga helps both cancer patients and cancer survivors. No matter how sick from treatments and no matter how little energy, many find that the one thing that would bring relief were a gentle set of therapeutic yoga poses geared for cancer patients.

Yoga for Cancer 

How does yoga help relieve the suffering that cancer all too often brings with it? Gentle yoga poses for cancer patients can work magic on many levels.

Clearing out Toxins from Cancer Treatment

First of all, yoga used as therapy for cancer can help clear out toxins accrued during cancer treatment more effectively. Yoga asanas stimulate not just muscles, but also increases blood flow, balances the glands and enhances the lymphatic flow in the body, all of which enhances the body’s internal purification processes. The deep, relaxing breathing often emphasized in yoga for cancer therapy also increases the current of oxygen-rich blood to the cells, delivering vital nutrients to tired cells and further clearing out toxins.

Reducing Stress and Anxiety in Cancer Patients

In addition to removing toxins, yoga for cancer can help dissipate tension and anxiety and enable cancer patients to settle into a greater sense of ease and well-being.  Stress depresses the body’s natural immune function, which may be one of the reasons that there is evidence that people who practice yoga for cancer have greater recovery rates.

Yoga as Exercise for Cancer Patients

Regular exercise also has been shown to stimulate the body’s natural anti-cancer defenses. However, few cancer patients or cancer survivors feel up to the task of engaging in a ‘regular’ exercise regimen Many find that yoga as therapy for cancer provides an ideal, balanced form of whole-body exercise. It’s no wonder that more and more doctors have begun to recommend yoga as exercise for cancer patients and cancer survivors.

As an Holistic Healing for Cancer Patients

For those enduring chemotherapy and radiation, yoga for cancer provides a means to strengthen the body, boost the immune system, and produce a much-sought-after feeling of well-being. For those recovering from surgery, such as that for breast cancer, yoga can help restore motion and flexibility in a gentle, balanced manner.

Yoga for cancer survivors and patients also provides an internal anchor of calm. Many practicing yoga therapy have discovered an interesting, subtle benefit, an increased awareness of a great, internal stillness and sense of unity. They’ve found, at the most fundamental level of their own consciousness, a sense of true health and vitality that spills over into other aspects of life.

It is found that yoga could help to reduce anxiety, depression, tiredness (fatigue) and stress for some patients. And it improved the quality of sleep, mood and spiritual well being for some people. The authors of the study said that overall yoga may be associated with some positive effects on psychological well being for people with cancer. But the review results have to be used with caution because there were some weaknesses and differences in the research studies included. You can read the  review of yoga for people with cancer on the Database of Abstracts of Reviews of Effects (DARE) website on the link below.

Other studies have shown yoga can help reduce tiredness and depression in people with breast cancer. A small study of men with prostate cancer also noted an improvement in their quality of life and general well being when they practised yoga regularly.

Yoga can also have an impact on sleep. Some people reported that their sleep improved after following a regular yoga programme.

In UK court, former liquor baron’s legal team called Indian judiciary ‘corrupt’, questioned CBI’s competency

 

New Delhi:

A UK Court today refused to buy the argument that the Indian judiciary is corrupt while clearing extradition of former liquor baron Vijay Mallya to India, who is wanted in India on charges of fraud and money laundering amounting to around Rs 9,000 crore.

Brushing aside the witness statement given by Martin Lau, professor of law at the School of Oriental and African Studies, who was deposed on behalf of Mallya as an expert on South Asian law, Chief Magistrate Judge Emma Arbuthnot observed: “I do not accept that the courts in India are there to do what the politicians tell them to do. As I have already said, the court will be under great scrutiny. I do not find any international consensus which would enable me to find that the judges in India are corrupt. The most the Professor could do was give me a handful of individual examples where the process appeared to be defective in one way or another. Such defective processes came to light and were corrected by the senior courts.”

Mallya’s defence team tried to raise questions over not only the Indian judiciary but also the premier investigating agency probing his case. The defence team raised the issue of political interference and questioned the competency of the agency by raising the Arushi Talwar murder case.

Judge Emma, in the judgment, said that defence witness professor Lau questioned the independence of the judiciary.“(Clare) Montgomery and (Ben) Watson (Mallya’s defence team) submitted (that) it is particularly vulnerable to abuse given the CBI’s lack of independence. They rely on the evidence of Professor Lau that in the CBI court, the CBI framed parents for a murder they did not commit…. The CBI was said to have failed to disclose exculpatory material, deliberately mislead experts and tutored a witness. The CBI court was not able to protect the defendants in that case.”

“The defence relies too on the evidence of professor Lau that the Supreme Court had given preferential treatment to the creditor banks in this case which made it appear less neutral and impartial. The Professor explained that the Supreme Court was heavily burdened but that the case against the RP and others proceeded at pace. The professor (Lau) said he had the highest respect for the court but had some doubts about the patterns of its decisions in (the) favour of the government. The professor made it clear that he was not saying it was a corrupt institution. It was just that judge nearing retirement lean in (the) favour of the government in the hope of later jobs.”

Professor Lau also criticised the Supreme Court of India for dealing with the civil case against Mallya too quickly. “I found this is not a relevant criticism as it was clear that the proceedings were an ex parte application for an interim injunction. The professor made it clear that he had the highest respect for the Indian Supreme Court…. There was no evidence which allowed me to find that if extradited, Mallya was at real risk of suffering a flagrant denial of justice,” the UK Court said in the judgment.

Besides, Lau, Professor Lawrence Saez, a political-economic scientist was also presented as a witness by Mallya’s legal team. Professor Saez was called to express his views about whether Mallya’s prosecution was politically motivated as well as analyse the credentials of the CBI.

The UK court refused to buy the arguments made by professor Saez as well, in which he said that the politicians in India were using the controversy around Mallya to score political points against each other. The professor’s next suggestion was that the CBI who had investigated the case was susceptible to political interference. He argued there was concern about the lack of independence of the CBI and described the CBI as a “caged parrot” speaking with its master’s voice.

In cross-examination professor Saez agreed that Mallya’s political beliefs were not the most significant element with relation to the prosecution that was being brought against him. The professor also accepted that Mallya did not have any relationship with any of the main political parties.

“When asked whether he had said that the underlying allegations of fraud were untrue and that the prosecution was being brought about to punish the RP (Mallya) for his political opinions, he said no, but that the RP (Mallya) was a prominent businessman who became a politician. Both parties have used the case for their own political reasons. He said he was not an expert on fraud but on the political system. He was not qualified to say whether the allegations were true or untrue,” the Mallya extradition order said.

The order further said: “By a finding of a prima facie case, I acknowledge that this case is being brought on evidence which may or may not lead to the conviction of the RP (Mallya). There is no sign that this is a false case being mounted against him to assuage CBI’s political masters as professor Saez would have it…. I find no evidence to support the contention that the request for VJM’s extradition is, in fact, being made for the purpose of prosecuting or punishing him on account of his political opinions. The argument in relation to extraneous considerations fails.”

विंदु दारा सिंह और दीना उमरोवा ने शहर के एक निजी पार्लर का उद्घाटन किया

फोटो और ख़बर: कपिल नागपाल

पंचकूला के सेक्टर 2 में एक निजी पार्लर के उद्घाटन मौके पर पहुंचे बिग बॉस विनर और बॉलीवुड एक्टर्स बिंदु दारा सिंह और बॉलीवुड एक्टर दीना उमराव

फोटो: कपिल नागपाल

Opinder Dhaliwal & Royal Music Gang Presents Anup Prashar Production Song – FAME

Opinder Dhaliwal & Royal Music Gang Presents
Anup Prashar Production

Song – FAME
Singer – @moneyaujla
Ft. @roachkillaofficial
Music – @deepjandu
Lyrics – Kaani Aujla
Mix & Master – @djtejmusic
Video – @whizkidfilms
Presentation – Anup Prashar
Online Promotions – @gk.digial

OUT ON 8th OF DECEMBER!!

Department of Social Welfare Women & Child Development Celebrated  International Day for persons with Disabilities

Chandigarh, 3rd December 2018: The Department of Social Welfare Women & Child Development celebrated International Day for persons with Disabilities at Government Rehabilitation Institute of Intellectual Disability today.

Secretary Social Welfare, Sh. B L Sharma distributed the Unique Disability Identity Cards to the persons with disabilities. Government of India, Ministry of Social Justice and Empowerment, Department of persons with Disabilities, New Delhi has launched a project called Unique disability Identity Card for Disabled (UDID).

Unique disability Identity Card for Disabled (UDID) project is expected to create a National Database for Persons with Disabilities. 17 persons were distributed Unique disability Identity Cards and the persons with disabilities present there were informed about the utility of the cards and it was also informed that the process of registration for Unique is disability Identity Card for Disabled (UDID) is being carried out in Government Rehabilitation Institute for Intellectual Disabilities, Sector 31, Chandigarh, Government Medical College & Hospital, Sector 32, Government Multi Speciality Hospital, Sector 16, Post Graduate Institute of Medical Education & Research, Sector 12, Chandigarh in addition to this services of uploading of data is also being operational in Asha Kiran, Sector 46, Bal Bhawan, Sector 23, Prayaas, Sector 38 and Senior Citizens Home, Sector 43 along with all the E Samparks of Chandigarh.

FINAL FINALE OF ELITE GLOBAL EARTH NZ 2018

Photo Feature By Ranjit Singh Ahluwalia

ELITE GLOBAL EARTH NZ 2018 and the finalists are:

RAMAN KAUR CHANDIGARH GIRL WON THE TITLE MISS GLOBAL EARTH NZ 2018

 

MISS-CATEGORY-WINNERS-Raman-Kaur-Alyssia-st-Runner-up-Natasha-Bali-2nd-Runner-up-Danisha-PEOPLE-CHOICE

 


MS CATEGORY WINNERS Vivian ,Nadia 1st Runner up, Bridget 2nd Runner up, Talia PEOPLE CHOICE.

 

Briar, Priya Chand 1st Runner up, Rebecca 2nd Runner up , Yoshna PEOPLE CHOICE

 


Romeo, Alex 1st Runner up, Vishnu 2nd Runner up, Vishal PEOPLE CHOICE.

“This is awesome! #Cipla cures Priyanka’s asthma (which she had since the age of 5) just in time, for her to enjoy the firecrackers at the wedding,”: Gopal Kavalireddi


 

One month ago, actor and brand ambassador Priyanka Chopra was an ardent anti-fireworks campaigner, pleading with her fans to “Skip the crackers this Deepawali”, especially on behalf of fellow asthmatics.

On Saturday night, however, the skies over Jodhpur exploded with fireworks in celebration of her wedding to American singer and actor Nick Jonas.

Predictably, Twitter exploded with charges of hypocrisy and double standards.

“So basically diwali crackers create problem and wedding celebration crackers add oxygen!!” said Twitter user Mahesh Watharkar. “I think @priyankachopra asthma gone a day before wedding,” tweeted Ayaan Lokesh. Another user asked if the Rajasthan Police had taken action against the couple.

This year, the Supreme Court had limited the bursting of crackers to two hours on Deepawali day, and also permitted only “safe and green” firecrackers in Delhi.

“Can you please tell us from where we should buy those noiseless & Oxygen emitting Eco friendly Crackers that you’ve used in your wedding? We’ll keep them in stock for next Diwali…” said a tweet from Dr. Janak Pandya.

Ms. Chopra is a brand ambassador for Breathefree, a public service initiative for asthma patients organised by Cipla, which manufactures inhalers. On Deepawali morning, Breathefree had posted a video of Ms. Chopra on Twitter as part of its #BerokZindagi (Unstoppable Life) campaign.

“Please keep my breathing unstoppable. Skip the crackers this Deepawali,” the actor urges in the promotional. “Let Deepawali be about lights and laddoos and love and not pollution. Reduce the use of firecrackers, so that you all, asthmatics like me, all the animals out there, everyone can enjoy the festival too.”

When reached out to Cipla for a response, the company said it was not prepared to comment on its brand ambassador’s actions. Twitter users however, were already questioning the company.

“This is awesome! #Cipla cures Priyanka’s asthma (which she had since the age of 5) just in time, for her to enjoy the firecrackers at the wedding,” said a sarcastic tweet by Gopal Kavalireddi.

“Dear @Cipla_Global your brand ambassador @priyankachopra does exactly what she tells us not to do on Diwali, on your behalf. Can’t wait to hear your response and action. No action would definitely mean choosing other brands over you where possible,” tweeted travel blogger and author Anuradha Goyal.

At 2 pm on Sunday, Breathefree’s Twitter page wished the newly wed couple as they “embark on their new #BerokZindagi”. It posted: “The only one who can take Priyanka’s breath away. #PriyankaNick

“A Cultural Fiesta-18” by Divya Public School

 

Chandigarh 2 Dec:

Divya Public School, Sector  44D Chandigarh, organized its annual function “A Cultural Fiesta-18” in the school premises on Sunday.  Rakesh Kumar Popli, PCS  Asstt. Estate Officer, U.T. was the Chief Guest on the occasion.

The programme commenced with Ganesh Vandana and Tandav. After lighting the lamp, it was followed by a welcome address by O.P Goya, President Divya Educational Society. Pre-Nursery tiny tots presented “Welcome Dance” while,nursery kids performed on Dance “Everyone Dance” and  K.G on “Folk Dance”.Primary students showed a dance on “Maine Kaha Phoolon Se “ and “Om Namah Shivaay-Fusion”. Hindi Skit –“Mobile Addiction” conveyed the message to use mobile intelligently while the English  Skit –“Old Age Home” highlighted the practice of sending senior citizens to old age home.”Rainbow dance” and “Angel Dance” mesmerized the audience . “Poverty- the problem?” was showcased with the performance of skit cum dance. Electrified “Hollywood Medley “and energetic “Bhangra and Indo –Western Fusion”enthralled the audience. The Principal Rajesh Kamal extended vote of thanks. The function concluded with the ”National Anthem”

 

रेनबो लेडीज क्लब ने मनाई “रेट्रो थीम पार्टी “

फोटो और ख़बर: कपिल नागपाल

अमिता पंवार को मिला पहला पुरस्कार पुराने गीतों पर नृत्य करने पर “एक बार फिर याद किया गया 1980-70 शतक को”

पंचकुला

1 दिसंबर को रेनबो लेडीज क्लब द्वारा होटल सोलिटेर में रेट्रो थीम पार्टी का आयोजन किया गया जिसमे क्लब की सैंकड़ों महिलाओ ने हिस्सा लिया | सन 1970एवं 1980 वी शतक का माहौल बनाया गया | क्लब की प्रधान पूनम सहगल एवं आयोजक ज्योति सहगल ने बताया की शहर में पहली बार रेनबो लेडीज क्लब द्वारा इस तरह का आयोजन किया गया और इसमें शहर की महिलाओ, बच्चो एवं पुरुषों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया | सभी महिलाए पुरानी एक्ट्रेस की तरह तैयार होकर आई थी कोई सायरा बानो तो कोई मुमताज, कोई ज़ीनत अमान तो कोई पाकीजा की पोशाक पहनकर आई थी। इसमें क्लब की महिलाओ द्वारा कई तरह के ग्रुप डांस, सोलो डांस, डियूट डांस, कपल डांस एवं सिंगिंग आदि परफॉर्म किये गए जिसमे ‘झुमका गिरा रे’ पर अमिता पंवार ने  नृत्य करके सबको दिल मोह लिया, दम मारो दम, बिंदिया चमकेगी, मेरा नाम चिन चिन चु , होंटो पर ऐसी बात, जैसे कई तरह के पुराने गांनो पर परफॉर्म किया गया | महिलाओ से पूछने पर उन्होंने बताया की आज उन्हें यह आकर बहुत ही अच्छा लग रहा है रेनबो क्लब ने उनकी पुराने यादे ताजा करवा दी है | इसमें बेस्ट ड्रेस में पहला इनाम अमिता पंवार को दूसरा इनाम भारती अग्रवाल को और तीसरा इनाम काजल को दिया गया | इसके इलावा कई तरह की गेम्स खेली गई | इस मोके पर हाल ही में ‘मिसेज एशिया युनिवर्स’ बनी मिसेज सरबजीत कौर , रयाज़ प्रोडक्शन के डायरेक्टर एवं प्रोडूसर प्रदीप सिंह, डॉक्टर ललित वरमाणी एवं मशहूर सिंगर शीनू सेतीया जी विशेष अतिथि रहें|

पूनम सहगल ने बताया की इसकी तैयारी काफी समय से बहुत जोरो शोरो से चल रही थी इसके लिए क्लब द्वारा फ्री डांस वर्कशॉप का भी आयोजन किया गया था जिसमे सभी को 1970 एवं 1980 वि शतक के गांनो पर फिगर न फिजिक जिम सेक्टर 16 द्वारा कोरोग्राफ़र मुकेश एवं द्वारा फ्री डांस सिखाया गया था | ज्योति सहगल ने बताया की उन्हें यह कार्यक्रम आयोजित करने में बहुत ही मेहनत करनी पड़ी | उनके लिए यह एक चुनौती थी उन्होंने बताया की आज से पहले बहुत से थीम पर कार्यक्रम आयोजित किये है परन्तु इसमें अलग बात यह थी की यह थीम तबका है जब वह पैदा भी नहीं हुई थी उन्होंने हमारे माता पिता एवं दादा दादी के समय को एक बार फि से ताजा कर दिया | उन्होंने बताया की इसके लिए उन्होंने गूगल की बहुत मदद ली और आज इस कार्यक्रम को सफल बनाया | वह क्लब की सभी सदस्यो का दिल से धनयवाद करती है जिन्होंने उनकी इस कार्यक्रम को सफल बनाने में पूरी सहायता की |