करणीदानसिंह राजपूत,
नगर पालिका नगर सूरतगढ़ की ओर से भूखंडों की तीसरी बार नीलामी रोके जाने से मची हड़कंप के बाद नगर पालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस पार्टी के पार्षदों ने कांग्रेस पार्टी के ही दो पार्षदों व एक संगठन पदाधिकारी को पार्टी से निष्कासित करने की मांग की है।
इन लोगों ने भूखंडों की नीलामी का विरोध किया।
नगर पालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा के सानिध्य में आज उन्हीं के कक्ष में प्रेस वार्ता आयोजित की गई जिसमें एक पत्र प्रसारित किया गया जो कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के नाम से है।
उसमें लिखा गया है कि पार्षद परसराम भाटिया एवं पुष्पेंद्र शर्मा और संगठन मंत्री धर्मदास सिंधी निरंतर पार्टी के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं और नगर पालिका में विकास कार्यों को अवरुद्ध कर रहे हैं। इससे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंच रहा है।
यह भी लिखा गया है कि भारतीय जनता पार्टी के विधायक रामप्रताप कासनिया के साथ मिलकर यह विरोध इलैक्ट्रोनिक और प्रिंट मीडिया में किया जा रहा है।
परसराम भाटिया भाजपा की कठपुतली बने हुए हैं और उन्हीं के इशारे पर कांग्रेस के इस बोर्ड को धाराशाही कर शहर का विकास रुकवाना चाहते हैं।
पार्टी के सिंबल पर चुनाव जीते हुए इन पार्षदों से इस्तीफा भी लिया जाने की मांग इस पत्र में की गई है।
पत्र की प्रतिलिपि बी.डी.कला को भी दिए जाने का लिखा गया है।
* नगर पालिका चेयरमैन के कक्ष में आयोजित प्रेस वार्ता खुद चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा ही पत्रकारों को संबोधित करते रहे और उत्तर देते रहे।
* पत्रकारों ने महत्वपूर्ण प्रश्न किया कि नीलामी नए नियमों के बजाय पुराने नियमों से क्यों की जा रही थी जो आम जनता के हित में नहीं थी। सरकार ने कोरोना में आर्थिक हालात देखते हुए रकम के टुकड़े करके जमा कराने का नियम बनाया ताकि आम आदमी को लाभ मिल सके ।आम आदमी नीलामी में भाग ले सके। इन नियमों के विपरीत पुराने नियमों से नीलामी की जाने वाली थी। आम जनता को मिलने वाला लाभ था उसे जानबूझकर क्यों छुपाया गया। इसका समुचित उत्तर अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा की ओर से नहीं मिला।उन्होंने कहा कि नियम का पालन करना नियम के बारे में जानना अधिशासी अधिकारी का कार्य था।
*एक प्रश्न था कि यह पार्टी का अंदरूनी मामला है तो पार्टी के अंदर ही इसे तय क्यों नहीं किया जा रहा। इसका उत्तर दिया गया कि पूर्व विधायक गंगाजल मील और हनुमान मील के समक्ष यह रखा जा चुका है और उनकी तरफ से भी कार्यवाही की जा रही है। यह बात भी उठी कि मील चाहे तो ये पार्षद तुरंत ही पार्टी से निष्कासित हो सकते हैं, फिर यह पार्षदों की मांग की तो जरूरत ही नहीं है।
* यह बात भी उठी कि 40 करोड़ का निर्माण होना है. उसका भी तो उपयोग होना है। यह कमीशन के बाबत एक संकेत था। इसका उत्तर अध्यक्ष ने दिया कि उनका अच्छा खासा बिजनैस है जिसका लाखों का टर्न ओवर है।
* एक प्रश्न था कि आप पर लग रहे आरोप गलत हैं तो आप उन लोगों पर मानहानि का मुकदमा क्यों नहीं कर रहे? इसका कोई समुचित उत्तर चेयरमैन की ओर से नहीं मिला।
* एक प्रश्न यह भी था कि जिनकी आशा है चेयरमैन बनने की,क्या यह खेल उनकी ओर से किया जा रहा है।
तब अध्यक्ष ने कहा कि मेरे साथ अभी खड़े पार्षदों की संख्या ही गिन ली जाए कि वे इसमें कामयाब होते हैं या नहीं होते। चेयरमैन ने यह भी कहा कि परसराम भाटिया की पत्नी भी चेयरमैन रह चुकी है। उनके कार्यकाल में क्या कुछ हुआ सभी जानते हैं। हमें अगर ज्यादा परेशान किया गया तो हम उनके कार्यकाल के बातें भी सामने लाएंगे जो इस समय खोजबीन चल रही है,जिसका रिकॉर्ड तैयार हो रहा है। यह कब तक सामने लाएंगे?इसका कोई उत्तर नहीं दिया गया। यह केवल भभकी लगी।
सूरतगढ़ में कांग्रेस का बोर्ड है जिसने 2 दिसंबर 2019 को पद ग्रहण कर कार्य शुरू किया था। नगर पालिका के अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा पर भ्रष्टाचार के आरोप निरंतर लग रहे हैं।
पार्षदों की ओर से लिखे गए पत्र पर कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष क्या कार्यवाही करते हैं यह तो बाद में पता चल पाएगा लेकिन जो नियम है उनके हिसाब से तो जो पार्षद अध्यक्ष का विरोध कर रहे हैं उनसे भी जवाब मांगा जाएगा। उसके बाद ही कोई कार्यवाही होना न होना संभव होगा।
* नगरपालिका अध्यक्ष पर पालिका के बाहर व अंदर भ्रष्टाचार के जो आरोप लग रहे हैं उन्हें कांग्रेस पार्टी का विरोध माना जाएगा या नहीं माना जाएगा। वे कालवा के विरुद्ध भी माने जा सकते हैं।
यह पार्टी पर निर्भर करता है क्योंकि जो आरोप लगाए गए हैं वह कांग्रेस पार्टी पर नहीं,नगर पालिका चेयरमैन के ऊपर लगाए गए हैं।
** इस कांग्रेस पार्टी पार्षदों की पत्रकार वार्ता में महिला पार्षद एक भी नहीं थी। उनका सही पक्ष क्या होगा? जो पार्षद व महिला पार्षदों के पति उपस्थित थे उनके साथ फोटो भी सबूत के रूप में खिंचवाए गए।
नगरपालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा इन पार्षदों के बीच कुछ जोश में और उत्तेजित प्रसन्न नजर लग रहे थे मगर प्रश्नों के उत्तर में सटीकता नहीं थी। नीलामी में आखिर सरकारी नये नियमों को लागू क्यों नहीं किया गया। इसे वे भ्रष्टाचार नहीं मान रहे।
* ऐसा लग रहा था कि नीलामी रुकने के बाद जो प्रतिष्ठा डावांडोल हुई और भ्रष्टाचार की चर्चा गर्माई उसका खंडन सा हो जाए तथा पत्रकार वार्ता से मीडिया के माध्यम से नीलामी रुकवाने वालों पर दबाव बन जाए। लेकिन मीडिया ने तो उलटा प्रश्नों की झड़ी लगादी।
* राजनीति में क्या हो जाए इसकी प्रतीक्षा ही की जा सकती है। ओमप्रकाश कालवा की ताकत का पता भी लगेगा।
* आज की पत्रकार वार्ता वार्ता में वितरित पत्र की प्रति जो प्रदेशाध्यक्ष को लिखा गया उस पत्र पर जिन पार्षदों के हस्ताक्षर मोहर है कुछ के मोहर नहीं लगे हुए हैं,उनके नाम यहां दे रहे हैं।