हरियाणा सरकार प्रदेश के विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता का गला घोंट कर शिक्षा के क्षेत्र का राजनीतिकरण करने पर आमादा है: चन्द्र मोहन

हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चन्द्र मोहन ने आरोप लगाया है कि हरियाणा सरकार प्रदेश के विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता का गला घोंट कर शिक्षा के क्षेत्र का राजनीतिकरण करने पर आमादा है और विश्वविद्यालयों में एक विशेष पार्टी की विचारधारा को थोपना चाहती है जो लोकतंत्र के मूल्यों और परंपराओं के अनुरूप नहीं है।
चन्द्र मोहन हरियाणा सरकार के प्रदेश के विश्वविद्यालयों में द्वितीय श्रेणी एवं तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भर्ती हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन और हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा भर्ती किए जाने के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि यह फैसला न केवल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्धारित मान दण्डो के विपरित है अपितु इन विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता के भी विरुद्ध है , जिस उद्देश्य के लिए इनका गठन किया गया है। इस प्रकार की परम्परा का प्रचलन करके उच्च शिक्षा के मन्दिरों की गरिमा को ठेस पहुंचाने का काम किया जा रहा है और अन्त में इस प्रक्रिया के जो दुष्प्ररिणाम सामने आएंगे उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
चन्द्र मोहन ने मांग की है कि इस अलोकतांत्रिक तरीके को थोपने के बारे में पुनर्विचार किया जाए और इन शिक्षण संस्थाओं को तबाह होने से बचाया जाए। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में पार्टी की नीतियों को लागू करने का यह फैसला उन होनहार विद्यार्थियों के भविष्य पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा करेगा जो लोकतंत्र के साथ साथ इन विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता पर अंकुश लगाए जाने के विरुद्ध हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर से लेकर ग्रुप सी और ग्रुप डी की भर्तियों के सम्बन्ध में आए प्रदेश सरकार के फैसले का वह पुरजोर विरोध करते हैं और कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ करने की अनुमति कभी भी नहीं दी जा सकती है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ केंद्र सरकार नयी शिक्षा नीति के अंतर्गत विश्वविद्यालयों को अधिक स्वायत्तता देने की पक्षधर है, वहीं प्रदेश सरकार विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता में अनावश्यक रूप से दखलअंदाजी कर रही है ।
चन्द्र मोहन ने कहा की हरियाणा बनने से लेकर आज तक विश्वविद्यालय जरूरत के अनुरूप भर्तियां करती आ रही हैं और इस प्रकार के राजनैतिक हस्तक्षेप से शिक्षा का स्तर सुधरने की अपेक्षा खराब होगा। इस लिए जनहित के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इस फैसले को वापस लेकर शिक्षा के स्तर को बनाए रखने में सहयोग प्रदान करे और विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता के साथ खिलवाड़ करना बंद करे।

PU Faculty Gets Appreciation from Maharashtra Government

Chandigarh November 11, 2021

 Dr. Ali Abbas, Coordinator of the Department of Urdu, Panjab University, Chandigarh has received an appreciation letter from the Maharashtra Government for translating an age old inscription which was in a depleted condition for its translation in Hindi/Marathi for the benefit of coming generation. 

He informed that it was a cumbersome assignment because the inscription was in Urdu and in a very bad shape. The job was executed with utmost perfection and to the satisfaction of all concerned, he added.

The Forest department and the Rameshwar Temple Trust who first noticed the inscription tried their best to get it translated from various sources and ultimately they were able to contact Dr. Ali Abbas.  Now, both the Forest Department and the Temple Trust have issued separate appreciation letters to Dr. Ali Abbas for his laudable work of human interest

PU VC visited Museums of various departments

Chandigarh November 10, 2021

The Panjab University Vice Chancellor, Prof. Raj Kumar visited Museums of various departments today which included The Gandhi Bhavan, Ancient History, Fine Arts , Anthropology, Zoology, and Geology.

During his visit, he met the Chairpersons and the staff and interacted with them for enhancing the maintenance of the same. He urged all to explore possibilities of increasing the footfall of visitors. He also took stock of the issues faced by them and assured them of all  help  by the University authorities for the smooth running of the system. 

The  officials accompanying VC included Mr Vikram Singh, CUS, Prof Promila Pathak, Prof Sukhbir Kaur, Prof Simrat Kahlon and Dr Manish Sharma, officials from XEN office  and Horticulture Division. 

5 Days Security Guard Training Program Commences at PU

Chandigarh November 9, 2021

The Department of Defence and National Security Studies and Centre for Police Administration in collaboration with Human Resource Development Centre (HRDC) is organising a “Five Days Capacity Building Training Programme of Security Personnel of Panjab University from 9th – 13th November, 2021 at Seminar Hall, Centre for Police Administration. 

Dr Jaskaran Singh Waraich Chairperson, Department of Defence and National Security Studies and Dr Kuldeep Singh, Centre for Police Administration are the coordinators of the training program. In the Inaugural session of the programme Dr Jaskaran Singh Waraich gave the introduction of the five-day course and delivered the welcome address. He also highlighted the importance of training program to the security personnel to keep University campus safe.

 Prof Raj Kumar, Vice Chancellor, Panjab University in his inaugural address, motivated participants and also encouraged them to do their duty sincerely. He  also highlighted that Security is at the top of his priority list and during his tenure resource allocation to the security department has increased drastically. Prof. Kumar said that he is aware of all the hardships faced by the security guards while performing their duties and he assured that in near future their problems will be resolved. He added that new equipments will be provided to the security department and recruitment will also be done at the earliest. PU VC highlighted that such training programs should be conducted on regular basis and resource persons from different fields should be engaged and activities like yoga, meditation and skills development should be made part of such programmes. He also added that security department played a very important role during covid-19 pandemic time with limited resources which is commendable. 

Other dignitaries who were present at the inaugural session were Dr.Jayanti Dutta, Deputy Director, UGC-HRDC,Prof. Anil Monga, Chairperson Centre for Police Administration, Prof Rakesh Datta, Department of Defence and National Security Studies, Sh. Vikram Singh, Chief of University Security, Panjab University.

Sh. Vikram Singh said that training programme is very helpful to the security guards. He also advised the security guards to perform their duties sincerely and honestly.

Prof Jayanti Dutta in her concluding remarks shared her views that University employees are like a family because they serve in the university for twenty to thirty years and they are the real stake holders of the university. She also highlighted that the training programme will give positive mindset to the participants and advised the participants to learn as much as possible from this training programme and she also added that growth of university and its stake holders is interdependent.

Capt. Kashmir Singh was also present at the event who will be the Chief Instructor of this five-day training program.The focus of the training programme will be on overall professional development of the participants from the University Security.

The inaugural session ended with formal Vote of Thanks by Dr Kuldeep Singh.

NSS, UIET PU Donates Books to Libraries

Chandigarh November 9, 2021

The books, notebooks and stationery items collected during  a BOOK DONATION DRIVE by NSS, University Institute of Engineering and Technology, Panjab University from 06th – 08th November 2021, were transferred to the Libraries of Ashiana Childern Home, Sec 15 and Ankur School Sec 14 by NSS Programme Coordinator Prof. Ashwani Koul and Event coordinator, Dr. Shankar Sehgal. Prof. Ashwani Koul praised the efforts of NSS volunteers and residents who were doing their best to serve the society. 

मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया का क्या प्रभाव है?

 विजय गर्ग

 दुनिया के 3 अरब लोगों में से लगभग 40% लोग सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं।  एक रिपोर्ट के मुताबिक, हम रोजाना दो घंटे शेयर करने, लाइक करने, ट्वीट करने और अपडेट करने में बिताते हैं।

 यानी हर मिनट आधा मिलियन ट्वीट और स्नैपचैट फोटो शेयर करना। सोशल मीडिया बहुत नया है, इसलिए खोज परिणाम भी सीमित हैं।  सर्च, जो ज्यादातर सेल्फ-रिपोर्टिंग है, कमियों से भरी हो सकती है और ज्यादातर फेसबुक पर आधारित है।

 तनाव

 लोग तरह-तरह के बयान देने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं।  चाहे वह ‘ग्राहक सेवा’ की बात हो या राजनीति, दुख की बात है कि इससे तनाव पैदा हो सकता है।

 2015 में, वाशिंगटन, डीसी में प्यू रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं ने देखा कि क्या सोशल मीडिया ने तनाव कम किया या बढ़ाया।  1800 लोगों का सर्वे किया गया।  जिसमें पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक तनाव में थीं।

 ट्विटर को एक प्रमुख कारण माना गया।  क्योंकि इसने उन्हें दूसरे लोगों के तनाव से अवगत कराया। ट्विटर पर कॉपी-पेस्ट करने के तरीके का ज्यादा इस्तेमाल किया गया जिसका इस्तेमाल ज्यादातर महिलाएं करती थीं और उनका तनाव कम होता था।

 उन पुरुषों के साथ ऐसा नहीं था, जिनका सोशल मीडिया से करीबी रिश्ता नहीं था। शोधकर्ताओं के अनुसार, सोशल मीडिया तनाव का ‘थोड़ा निम्न स्तर’ प्रदान करता है।

मनोदशा

 2014 में, ऑस्ट्रिया के शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों ने 20 मिनट तक फेसबुक का इस्तेमाल किया, उनके मूड में होने की संभावना सिर्फ इंटरनेट पर शोध करने की तुलना में अधिक थी।

 इन लोगों को लगा कि यह सिर्फ समय की बर्बादी है।

 कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के अनुसार, सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले लोगों में अच्छे या बुरे मूड हो सकते हैं जिन्होंने सबसे अधिक भावनात्मक सामग्री का उपयोग किया है।

 चिंता

 शोधकर्ताओं के अनुसार, सोशल मीडिया भी चिंता का कारण बनता है, जो बदले में बेचैनी, चिंता और सोने में कठिनाई को बढ़ाता है।

 जर्नल ऑफ कंप्यूटर एंड ह्यूमन बिहेवियर में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, जो लोग सात या अधिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं, उनमें 0-2 प्लेटफॉर्म का उपयोग करने वालों की तुलना में तीन गुना अधिक चिंता के लक्षण होते हैं।

 अवसाद

 कुछ शोधों के अनुसार, डिप्रेशन और सोशल मीडिया के बीच एक कड़ी है।  हालांकि, कुछ लोग इस बात पर शोध कर रहे हैं कि सोशल मीडिया कैसे एक अच्छा टूल हो सकता है।

 700 छात्रों के एक अध्ययन में पाया गया कि मिजाज और अपर्याप्तता और निराशा की भावनाएं इस बात पर निर्भर करती हैं कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल कैसे किया जाता है।

 ऑनलाइन नकारात्मक रवैया रखने वालों में डिप्रेशन के लक्षण गंभीर थे।

 ऐसा ही एक अध्ययन 2016 में किया गया था, जिसमें 1700 लोगों ने भाग लिया था।  इसके मुताबिक जो लोग सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल करते थे उनमें डिप्रेशन और एंग्जायटी के तीन स्तर होने का खतरा था।  यह साइबर बुलिंग (ऑनलाइन उत्पीड़न), अन्य लोगों के जीवन का अधूरा सच और सोशल मीडिया पर समय बर्बाद करने की सोच के कारण होता है।

 नींद

 आदमी अपनी शामें अँधेरे में गुजारता था, लेकिन अब हर समय हम रोशनी से घिरे रहते हैं।

 शोधकर्ताओं का मानना ​​​​है कि यह हार्मोन मेलाटोनिन के उत्पादन में हस्तक्षेप कर सकता है, जिससे नींद की कमी हो सकती है।  स्मार्टफोन या लैपटॉप की नीली रोशनी एक बड़ा कारण है।  यदि आप तकिये पर सिर रखकर लेट जाते हैं और फेसबुक या ट्विटर देखते हैं, तो आपको बेचैन नींद आएगी।

 आदत

 कुछ शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि ट्वीट न करना धूम्रपान या शराब से ज्यादा कठिन है, लेकिन सोशल मीडिया की लत को मानसिक बीमारी के निदान में एक प्रमुख कारक नहीं माना जाता है।

 आत्म सम्मान

 यह सिर्फ सेल्फी नहीं है जो आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाती है।  स्वीडन के हज़ारों फ़ेसबुक उपयोगकर्ताओं के एक अध्ययन के अनुसार, जो महिलाएं फ़ेसबुक पर अधिक समय बिताती हैं, वे कम खुश और कम आत्मविश्वासी होती हैं।

 “जब फेसबुक उपयोगकर्ता अपने जीवन की तुलना दूसरों से करते हैं और दूसरों को अधिक सफल और खुशहाल देखते हैं, तो उन्हें लगता है कि उनका जीवन उतना आरामदायक नहीं है।”

 ईर्ष्या द्वेष

 600 वयस्कों के एक सर्वेक्षण में, लगभग 1/3 ने कहा कि उनके पास सोशल मीडिया के बारे में नकारात्मक विचार थे – विशेष रूप से निराशा।  मुख्य कारण ईर्ष्या थी।

 यह दूसरों के साथ अपने जीवन की तुलना करने के कारण है।  मुख्य कारण यात्रा तस्वीरें थी। अमेरिकन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन में प्रकाशित एक रिपोर्ट में 19-32 आयु वर्ग के 7,000 लोग शामिल थे जो अपना अधिकांश समय सोशल मीडिया पर बिताते हैं। उनके पास सामाजिक अलगाव के दोगुने कारण हैं जिससे समाज का हिस्सा न होने, दूसरों के साथ संवाद न करने और संबंध बनाए न रखने की भावना पैदा हो सकती है।

 सारांश

 हालांकि कई क्षेत्रों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन कुछ मजबूत नतीजे सामने आए हैं।

 सोशल मीडिया अलग तरह से काम करता है।  यह परिस्थितियों और व्यक्ति के व्यक्तिगत गुणों पर निर्भर करता है

 यह कहना गलत है कि सोशल मीडिया पूरी दुनिया के लिए खराब है।  क्योंकि इससे हमारे जीवन में कई फायदे भी आए हैं।

 विजय गर्ग पूर्व पीईएस-1

 सेवानिवृत्त प्राचार्य

 मलोट

BOOK DONATION DRIVE BY NSS of UIET, PU

Chandigarh November 8, 2021

NSS unit of UIET Panjab University hosted a BOOK DONATION DRIVE on 6th-8th November 2021 in which residents of Chandigarh participated enthusiastically and have donated many old books and note-books etc.

 Event coordinator, Dr. Shankar Sehgal praised the efforts of NSS volunteers and residents who were doing their best to serve the society. The drive will be helpful for the deprived children and it will also motivate the public towards “Share and Care” culture of India.   

पंजाब में अवैध और नकली शराब के व्यापार को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं

  • पंजाब में अवैध और नकली शराब के व्यापार को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं; सरकार के साथ जुड़ने और भागीदारी करने के लिए तैयारः आई.एस.डब्ल्यू.ऐ.आई.
  • आई.एस.डब्ल्यू.ऐ.आई. ने अनौपचारिक शराब बाजार को नियंत्रित करने के लिए उत्पाद शुल्क, प्रवर्तन और शिक्षा के 3ई ढांचे का सुझाव दिया

चंडीगढ़, 29अक्तूबर, 2021:

त्योहारों के इस सीजन की शुरुआत के साथ, इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आई.एस.डब्ल्यू.ऐ.आई.), जो प्रीमियम एल्कोबेव सेक्टर की एक शीर्ष संस्था है, ने अवैध व नकली शराब के व्यापर को रोकने के लिए राज्य सरकार से सख्त जाँच और प्रवर्तन का आग्रह किया। इस एसोसिएशन ने राज्य में एल्कोबेव व्यवसाय के लिए संतुलित, व्यावहारिक और पारदर्शी दृष्टिकोण पर जोर दिया ताकि जिम्मेदार खपत को बढ़ावा दिया जा सके और राज्य में आर्थिक अवसरों का निर्माण किया जा सके।

पंजाब में वर्ष 2020 के दौरान अवैध और नकली शराब के सेवन से कई मौतें हुई हैं। अवैध या नकली शराब के सेवन से न केवल राज्य के नागरिकों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, बल्कि सरकारों की कानूनी रूप से उत्पादित शराब पर कर लगाने और नियंत्रित करने की क्षमता भी बाधित होती है।

पंजाब सरकार के प्रवर्तन उपायों और प्रगतिशील शराब नीति की सराहना करते हुए, आई.एस.डब्ल्यू.ए.आई. की मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सुश्री नीता कपूर ने कहा, “आई.एस.डब्ल्यू.ए.आई. नकली शराब बाजार की जांच के लिए कड़े प्रवर्तन उपायों को लागू करने और उत्पाद शुल्क में बदलाव लाने हेतु राज्य सरकार की साहसिक पहल की सराहना करती है और उसका समर्थन करती है।” सुश्री नीता कपूर ने आगे कहा, “हम राज्य सरकार से एक परामर्शी और प्रगतिशील नीति-निर्माण का आग्रह करते हैं ताकि जिम्मेदार खपत और व्यवसाय करने को सुविधाजनक बनाया जा सके। आई.एस.डब्ल्यू.ऐ.आई. को इस अभ्यास में पंजाब सरकार के साथ जुड़ने और भागीदारी करने में बहुत खुशी होगी।”

राज्य में अनौपचारिक शराब के बाजार को नियंत्रित करने के लिए 3ई फ्रेमवर्क पर प्रकाश डालते हुए, सुश्री नीता कपूर ने आबकारी कर कार्यान्वयन (जिसे शराब की तस्करी के प्रोत्साहन को रोकने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है) तैयार करके दीर्घकालिक समाधान पर जोर दिया जो एक जिम्मेदार खपत की संस्कृति का निर्माण करके प्रभावी प्रवर्तन तंत्र और आवश्यक शिक्षा में योगदान देगा।

अवैध और नकली शराब के कारोबार से राज्य की आमदनी को नुकसान होता है। सामान्य अनुमान के अनुसार और बाजार की रिपोर्टों के आधार पर, वर्ष 2019-20 में, अवैध और नकली शराब के व्यापार के कारण राज्य की आमदन को देशी शराब से लगभग 55 करोड़ रुपये और भारतीय निर्मित विदेशी शराब (आई.एम.एफ.एल.) से लगभग 355 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। पंजाब के तीन जिलों अर्थात् तरनतारन, अमृतसर ग्रामीण और गुरदासपुर में जहरीली शराब की त्रासदी के बाद राज्य सरकार ने अवैध शराब व्यापार और उत्पाद शुल्क से संबंधित अपराधों को रोकने के लिए ष्ऑपरेशन रेड रोज़श् जैसे कई सख्त प्रवर्तन उपाय किए और इसके साथ ही सटीक ट्रैकिंग सिस्टम और प्रशासनिक समन्वय ने भी अवैध रूप से शराब बनाने, शराब की तस्करी और नकली शराब के व्यापार को रोकने में मदद की। लेकिन राज्य में अनौपचारिक शराब बाजार के खतरे को कम करने के लिए सख्त जाँच और उपायों को नियंत्रित करने की जरूरत है।
आई.एस.डब्ल्यू.ऐ.आई. के महासचिव श्री सुरेश मेनन ने कहा, “हमने पंजाब राज्य में एल्कोबेव सेक्टर की तीन व्यापक समस्याओं को देखा है जिनमें मुख्य रूप से अवैध, नकली शराब और इसका व्यापार शामिल हैं। इससे न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि राज्य की आमदन में भी नुकसान होता है।”

मेनन ने आगे कहा कि ष्प्रीमियम ब्रांडेड बोतलों में नकली उत्पाद बेचने वाले न केवल उपभोक्ताओं के लिए जोखिम पैदा करते हैं, बल्कि ब्रांड की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचाते हैं, कंपनियों द्वारा भविष्य के निवेश को प्रतिबंधित करते हैं और कानूनी बिक्री को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए, शराब के अवैध उत्पादन, बिक्री और वितरण को समाप्त करने के साथ-साथ अनौपचारिक शराब को रोकने के लिए नीतियों को अपनाना और लागू करना राज्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।”

भारतीय रिजर्व बैंक (श्राज्य वित्तः 2019-20 के बजट का एक अध्ययनश्) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट से पता चलता है कि शराब पर राज्य उत्पाद शुल्क अधिकांश राज्यों के स्वयं की कर आमदन का लगभग 10-15 प्रतिशत है। आर.बी.आई. की रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, राज्य सरकारों ने वित्तीय वर्ष 2020 में उत्पाद शुल्क से लगभग 1.75 ट्रिलियन रुपये की आमदन हासिल की थी, जिनमें से अधिकांश कमाई शराब की बिक्री से हुई थी। पंजाब में एल्कोबेव से आमदन का हिस्सा इसकी अपनी कर आमदन (6,200 करोड़ रुपये) का 16.5 फीसदी था।

The third and the last day of the 41st INCA International Conference hosted by Geography Department,

Chandigarh October 29, 2021

            The third and the last day of the 41st INCA International Conference hosted by Geography Department, Panjab University, Chandigarh started with three parallel technical sessions from 9:30-11:00 am in offline and online mode; poster presentation from 11:30-12:30pm in online and offline mode; and concluded with the valedictory function from 12:45-01:45 pm.

            Valedictory function began at 12:30 pm with the report of the conference by Prof. Gaurav Kalotra, Organising Secretary, INCA 2021. Valedictory address was delivered by Dr. Brijendra Pateriya, Director, Punjab Remote Sensing Centre (PRSC), Government of Punjab. He remarked that for real development of our nation a bottom-top approach with panchayats as a unit needs to be adopted. Local assets/amenities need to be mapped accurately for development and planning.

            The guest of honour address was given by Dr. Pramod K Satyawali, Director, Defence Geoinformatics Research, Establishment (DGRE) Government of India. He stressed that India has wealth of human resource which needs to be channelised and such conferences can go a long way in empowering citizens of the country to reap benefits of GIS. He also said that GIS is poised to contribute to the vision of aatmanirbharta.

            Chief guest Professor VR Sinha (Dean of University Instruction, PanjabUniversity, Chandigarh) addressed the audience and expressed his happiness that this conference was the first offline conference during the pandemic times that the University has hosted. He also said that cartography and GIS find use in day- to -day life and can be used for betterment of humans.

            Dr. Pramod Kumar from Departmentof Space, ISRO thanked the audience and moderated the felicitation of Prof. Gaurav Kalotra by Prof. Krishan Mohan. All the volunteers of the Conference were facilitated by Prof Krishna Mohan, President, INCA. At the end, Dr. Vishwa B.S. Chandel extended the vote of thanks. The conference concluded with the National Anthem.

3 Day 41st INCA International Conference commences at PU

Chandigarh October 27, 2021

India will have a coherent national location data framework by 2030- Bandaru Dattatraya

            3 Day International Conference by Indian National Cartographic Association (INCA) commences today on the theme Cartography for Self Relient India which is being hosted by Department of Geography, Panjab University, Chandigarh.

            The Chief Guest, Hon’ble Governor of Haryana, Shri Bandaru Dattatraya in his address said that the geo-spatial field has tremendous potential for generating employment in the country. He also mentioned that in the management of COVID-19 pandemic crisis, COVID maps proved beneficial. He further added that application of Geographic Information Sciences(GIS) has become a crucial part of how NASA gets to know the feature of other worlds, develops broader understanding of Geophysics and gathers valuable information about our own planet. He added that India will have a coherent national location data framework by 2030 which will assist the country to move towards E-Economics, E-Service and E-Commerce and will help improve services to the citizens. He highlighted the SVAMITVA , flagship scheme of Centre is reformative step towards establishing clear ownership of property in rural inhabited areas by mapping of land parcels using drone technology.

            Prof. Raj Kumar, Vice Chancellor, PU, while referring the conference to be prestigious platform, emphasised on the need to come up with an action plan to make cartography multi-disciplinary so that its knowledge can be shared with other domains.

            The Surveyor General of India, Mr. Naveen Tomar, in his keynote address,  focussed on the requirement of data collection on a large scale to make India a self-reliant nation. Also, he stressed upon the need of fresh blood to be injected into the system and also talked about public-private partnership in this regard.

            The Guest of Honour, Vice Admiral Adhir Arora, Chief Hydrographer, Govt. of India stressed on the sphere of marine cartography and spoke on the complexities of ocean mapping particularly in terms of huge funding and man power being needed for this task.

            Prof. Krishna Mohan, President of INCA, introduced the theme of the Conference, which he said aligned with the vison of The Government of India of “Reform, Perform and Transform”. It was followed by an inaugural address by Director of National Institute of Advanced Study, Bengaluru and Former Secretary, MoES, India, Dr. Shailesh Nayak. He emphasised on Maps to be a mainstay in the transformation of process of India under the vision of Aatma Nirbhar Bharat.

            The felicitations of the dignitaries along with the winners were performed apart from release of books and maps. Prof. Gaurav Kalotra, Chairperson Department of Geography proposed vote of thanks.