पंचांग, 21 नवंबर 2024

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 21  नवंबर 2024

नोटः आज गुरूपुष्य योग है। गुरुपुष्यामृत योग बहोत कम बनता है जब गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र होता है, तब बनता है गुरु पुष्य योग। गुरुपुष्यामृत योग के लिये यह यह भी कहा जाता है कि यदि कोइ व्यक्ति अपने किसी कार्य उद्देश्य मे सिद्धि चाहता है। उसे इस दिन अपने इष्ट भगवान से इच्छापूर्ति हेतु प्राथना (पूजा-अर्चना) अवश्य करनी चाहिये एसा करने से मनचाहि सिद्धि निश्चित रूप से फलप्रद होती है।

विक्रमी संवत्ः 2081, 

शक संवत्ः 1946, 

मासः मार्गशीर्ष़ 

पक्षः कृष्ण, 

तिथिः षष्ठी सांयः काल 05.04 तक है, 

वारः गुरूवार। 

नोटः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।

नक्षत्रः पुष्य अपराहन् काल 03.36 तक है, 

योग शुक्ल दोपहर काल 12.01 तक है, 

करणः वणिज, 

सूर्य राशिः वृश्चिक, चन्द्र राशिः कर्क,

राहू कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक,

सूर्योदयः 06.53, सूर्यास्तः 05.21 बजे।

नोटः आज गुरूपुष्य योग है।

नोटः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।