अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव को लेकर करना होगा मुकदमे का सामना: सर्वोच्च न्यायालय

पीठ ने गुजरात हाई कोर्ट के 26 अक्टूबर, 2018 के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा, ‘सुनवाई होने दीजिए.’ 

हमें याद पड़ता है की वर्ष 2009 में इसी प्रकार के आरोपों का सामना पी। चिदम्बरम को भी करना पड़ा था, कन्नापन ने अपनी जून 25, 2009 की याचिका में चिदम्बरम और उनके कार्यकर्ताओं पर जोड़- तोड़ और चुनावी भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया था और मांग की थी की उनके सांसदिया क्षेत्र की खास कर अलगूनदी विधानसभा क्षेत्र की पुन: मतगणना की जाये। क्या बना?

फैसला आने से पहले चिदम्बरम ने न केवल अपना सांसद का गरिमापूर्ण पद बल्कि राष्ट्र के वित्त मंत्री का महत्त्व पूर्ण पद भी संभाला, और कन्नापन फैसले के इंतज़ार में समय काटते रहे।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल से कहा कि वह 2017 में हुए राज्यसभा चुनाव में उनके निर्वाचन के संबंध में बीजेपी प्रत्याशी बलवंतसिंह राजपूत की चुनाव याचिका पर मुकदमे का सामना करें. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने गुजरात हाई कोर्ट के 26 अक्टूबर, 2018 के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा, ‘सुनवाई होने दीजिए.’ हाई कोर्ट ने कहा था कि राजपूत के आरोपों पर सुनवाई की आवश्यकता है.

अहमद पटेल ने हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें राजपूत की चुनाव याचिका की विचारणीयता पर सवाल उठाने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी. राजपूत ने राज्यसभा चुनाव में दो विद्रोही विधायकों के मतों को अवैध घोषित करने के निर्वाचन आयोग के फैसले को अपनी चुनाव याचिका में चुनौती दी है. उनका कहना था कि यदि इन दोनों मतों की गणना की गयी होती तो उन्होंने पटेल को हरा दिया होता. 

शीर्ष अदालत ने कहा कि पटेल की याचिका पर अगले महीने सुनवाई की जायेगी. न्यायालय ने पक्षकारों को इस दौरान अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने की अनुमति भी दी. पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘चूंकि संबंधित पक्षकार पेश हुये हैं, औपचारिक नोटिस जारी करने की जरूरत नहीं. इस मामले को अंतिम सुनवाई के लिये फरवरी, 2019 में सूचीबद्ध किया जाए. इस दौरान, उच्च न्यायालय चुनाव याचिका पर सुनवाई की कार्यवाही करेगा.’  

कांग्रेस के विद्रोही विधायकों भोलाभाई गोहेल और राघवजी पटेल के मतों को अवैध घोषित करने के निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद चुनाव जीतने के लिये आवश्यक 45 मतों की संख्या घटकर 44 हो जाने पर पटेल को विजयी घोषित किया गया था. राजपूत ने अपनी चुनाव याचिका में पटेल पर कांग्रेस के विधायकों को चुनाव से पहले बेंगलुरू के एक रिजार्ट में ले जाने का आरोप लगाते हुये कहा था कि यह मतदाताओं को रिश्वत देने के समान ही है. 

उच्च न्यायालय ने पिछले साल अक्टूबर में दूसरी बार पटेल को कोई राहत देने से इनकार कर दिया था. इससे पहले, न्यायालय ने 20 अप्रैल को पटेल का अनुरोध अस्वीकार कर दिया था. अहमद पटेल ने 20 अप्रैल, 2018 के हाई कोर्ट के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. शीर्ष अदालत ने 26 सितंबर को हाई कोर्ट से कहा था कि पटेल की याचिका पर नए सिरे से फैसला किया जाए. उच्च न्यायालय ने अक्टूबर में पटेल की याचिका खारिज कर दी थी.

सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को इस मामले में अहमद पटेल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी अधिवक्ता देवदत्त कामत के साथ पेश हुए जबकि राजपूत की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिन्दर सिंह और सत्य पाल जैन पेश हुए. 

हम अपने देश की न्यायाइक प्रक्रिया की मानें तो यहाँ भी पटेल अपनी राज्य सभा की कुर्सी पर बैठे रहेंगे अगले चुनाव आने तक, हाँ यदि पटेल को कुर्सी से सशर्त ( मुक़द्दमा जीतो और कुर्सी संभालो) हटाया जाता है तो इस मुक़द्दमे के अगले चुनावों से कुछ पहले निबटने की संभावना है।

गहलोत ने दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीरें सरकारी संस्थानों और फाइलों में नहीं दिखेंगी

अशोक गहलोत के कैबिनेट ने निर्देश दिया है कि सभी सरकारी दस्तावेजों और लेटर पैड्स पर से दीन दयाल उपाध्याय की फोटो हटाई जाए

राजस्थान में सरकार बदलते ही पुरानी सरकार के फैसलों को बदलने का दौर भी शुरू हो गया है. राज्य के सीएम अशोक गहलोत के कैबिनेट ने निर्देश दिया है कि सभी सरकारी दस्तावेजों और लेटर पैड्स पर से दीन दयाल उपाध्याय की फोटो हटाई जाए. राज्य सरकार ने ये निर्देश सभी विभागों के लिए जारी किया है.

दीन दयाल उपाध्याय RSS विचारक हैं. इससे पहले वसुंधरा राजे की सरकार ने यह फैसला किया था कि सभी सरकारी लेटरपैड और दस्तावेजों पर उपाध्याय की फोटो लगाई जाएगी.

ANI@ANI

Rajasthan cabinet directs removal of photographs of Deen Dayal Upadhyay from Govt documents and from letter pads. The direction has been issued to all the state govt departments53110:48 PM – Jan 2, 2019Twitter Ads info and privacy363 people are talking about thisTwitter Ads info and privacy

राजस्थान की सरकार ने बुजुर्गों के लिए मंथली पेंशन बढ़ाने का भी ऐलान किया है. बुजुर्गों को अब 500 रुपए की जगह 750 रुपए प्रतिमाह पेंशन मिलेंगे. जिन्हें पहले ही 750 रुपए मासिक मिल रहे थे अब उन्हें इसके बदले 1,000 रुपए मिलेंगे.

मध्यप्रदेश में भी नया फरमान

इसके दूसरी तरफ मध्यप्रदेश सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर मीसाबंदियो को दी जाने वाली पेंशन इस महीने से अस्थाई तौर पर बंद कर दिया है और बैंकों को भी इस संबंध में निर्देश जारी कर दिये गए हैं. मीसाबंदी पेंशन को लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि के नाम से भी जाना जाता है. इस संबंध में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने गत 29 दिसंबर को सर्कुलर जारी कर मीसाबंदी पेंशन योजना की जांच के आदेश दिए. सरकार ने बैंकों को भी मीसाबंदी के तहत दी जाने वाली पेंशन जनवरी 2019 से रोकने के निर्देश जारी किए हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान साल 1975 से 1977 के बीच लगे आपातकाल में जेल में डाले गए लोगों को मीसाबंदी पेंशन योजना के तहत मध्य प्रदेश में करीब 4000 लोगों को 25,000 रुपए मासिक पेंशन दी जाती है.

वंदे मातरम विवाद का हल ढूँढने में जुटी कांग्रेस्स

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सॉफ्ट हिन्दुत्व की नीति पर चल रही मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार मंत्रालय में वंदेमातरम का गायन रोक कर एक अनचाहे विवाद में फंस गई है।

 हिन्दुत्व पर साफ्ट होने कार्थ राष्ट्र से मुख मोड़ना नहीं है यह बात शायद कांग्रेस को जल्दी ही समझ आ जाएगी

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सॉफ्ट हिन्दुत्व की नीति पर चल रही मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार मंत्रालय में वंदेमातरम का गायन रोक कर एक अनचाहे विवाद में फंस गई है. मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी को बैठे-बैठाए सरकार को घेरने का एक मुद्दा भी हाथ लग गया है. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस राजनीतिक विवाद को भांपकर विपक्ष पर हमलावर होते हुए कहा है कि मंत्रालय में वंदेमातरम का गायन को जल्द ही नए रूप में प्रस्तुत किया जाएगा.

बाबूलाल गौर के कार्यकाल में शुरू हुआ था वंदेमातरम का गायन

राज्य मंत्रालय में वंदे मातरम गायन की व्यवस्था लगभग चौदह साल पूर्व बाबूलाल गौर के मुख्यमंत्रित्व काल में शुरू हुई थी. इस व्यवस्था के तहत हर माह की पहली तारीख को मंत्रालय और विभागाध्यक्ष कार्यालयों में तैनात अधिकारी एवं कर्मचारी कार्यालय शुरू होने के समय सुबह साढ़े दस बजे वंदे मातरम का सामूहिक गान करते थे. माह की पहली तारीख को अवकाश होने पर अगले कार्यालयी दिवस में वंदेमातरम का कार्यक्रम आयोजित किया जाता था.

पिछले चौदह साल में मुख्यमंत्री ने यदाकदा ही इस कार्यक्रम में रस्मी तौर पर हिस्सा लिया. कभी-कभी कोई मंत्री भी भूले-भटके इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पहुंच जाता था. राज्य मंत्रालय और विभागाध्यक्ष कार्यालयों में बीस हजार से अधिक अधिकारी एवं कर्मचारी तैनात हैं. इसके बाद भी वंदे मातरम के सामूहिक गान कार्यक्रम में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की उपस्थिति कभी भी एक हजार का आकंडा नहीं छू पाई.

पिछले कुछ सालों से लगातार वंदे मातरम के गायन को वरिष्ठ अधिकारियों ने भी गंभीरता से लेना बंद कर दिया था. राज्य के मुख्य सचिव इस सामूहिक गायन में आमतौर पर मौजूद रहते थे. पिछले कुछ माह में इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले कर्मचारियों की संख्या भी तेजी से घटी. इसकी वजह मंत्रालय के कर्मचारियों का समय पर कार्यालय न पहुंचना रहा है.

उमा भारती की तिरंगा यात्रा का जवाब माना जाता था वंदे मातरम

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के लिए वंदे मातरम का गायन हमेशा ही राष्ट्र भक्ति साबित करने का बड़ा राजनीतिक मुद्दा रहा है. बाबूलाल गौर ने मंत्रालय में वंदे मातरम गायन का निर्णय उन दिनों लिया था, जब उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाए जाने की चर्चाएं जोर पकड़ने लगी थीं. गौर को अगस्त 2004 में राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था.

गौर, साध्वी उमा भारती के स्थान पर मुख्यमंत्री बनाए गए थे. कर्नाटक के हुबली में दर्ज एक आपराधिक मामले के चलते उमा भारती को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. यह आपराधिक मामला राष्ट्र ध्वज तिरंगा के कथित अपमान से जुड़ा हुआ था.

इस्तीफे के बाद उमा भारती ने तिरंगा यात्रा भी निकाली. तिरंगा यात्रा पूरी होने और हुबली मामले में कोर्ट से मिली राहत के बाद उमा भारती ने गौर को हटाने के लिए पार्टी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था. जवाब में गौर ने एक जुलाई 2005 से मंत्रालय में वंदे मातरम का गायन शुरू कर दिया. यद्यपि इसके बाद भी गौर अपनी कुर्सी नहीं बचा पाए. उनके स्थान पर नवंबर 2005 में शिवराज सिंह चौहान राज्य के मुख्यमंत्री बना दिए गए.

वंदे मातरम के गायन कार्यक्रम में अधिकारी एवं कर्मचारी हिस्सा लें, इसका कोई बंधन सरकार की ओर से नहीं रखा गया था. वर्ष 2019 के पहले ही दिन मंत्रालय में वंदेमातरम का गायन न होने पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने कहा कि इस बारे में मुख्यमंत्री कमलनाथ से बात करेंगे.

बीजेपी की कोशिश लोकसभा चुनाव से पहले गांव-गांव पहुंचे मुद्दा

एक जनवरी को मंत्रालय परिसर में वंदे मातरम का गायन कार्यक्रम न होने पर प्रदेश की राजनीति अचानक गर्म हो गई है. भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे के जरिए एक बार फिर राष्ट्रवाद के मुद्दे को हवा देने में लग गई है. बीजेपी के नेताओं ने सरकार के निर्णय का विरोध करते हुए बुधवार को मंत्रालय के समक्ष वंदे मातरम का सामूहिक गान किया.

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वंदेमातरम के गान को बंद करने के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कांग्रेस सरकार की राष्ट्र भक्ति पर सवाल खड़े किए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि देश भक्ति से ऊपर कुछ नहीं है. बीजेपी के विधायक छह जनवरी को मंत्रालय के समक्ष वंदे मातरम का सामूहिक गान करेंगे.

सात जनवरी से विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है. बीजेपी की योजना विधानसभा के भीतर भी सरकार को घेरने की है. बीजेपी इस मुद्दे के जरिए लोगों को यह बताना चाहती है कि कांग्रेस ने वंदे मातरम के गायन का फैसला अल्पसंख्यक वोटों के तुष्टिकरण के लिए लिया है.

तीन माह बाद लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. इससे पहले बीजेपी गांव-गांव तक इस मुद्दे को ले जाना चाहती है. हाल ही में हुए विधानसभा के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी बहुमत से कुछ कदम ही दूर रह गई थी. बीजेपी 109 सीटें ही जीत पाई थी. जबकि कांग्रेस को 114 सीटें मिली हैं.

बहुमत के लिए 116 सीटों की जरूरत होती है. कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका ज्यादा सीटें जीतने के कारण मिला है. कांग्रेस को विधानसभा में मिली सीटों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपनी कई मौजूदा सीटों को गंवाना पड़ सकता है. वर्तमान में बीजेपी के पास लोकसभा की 29 में से 26 सीटें हैं. मुख्यमंत्री कमलनाथ पार्टी की सॉफ्ट हिन्दुत्व की नीति पर चलते हुए गाय रक्षा का एजेंडे का प्राथमिकता में सबसे ऊपर रखे हुए हैं.

कमलनाथ ने अधिकारियों से साफ शब्दों में कहा है कि उन्हें सड़क पर गाय नहीं दिखना चाहिए. सरकार पंचायत स्तर पर गौशाला खोलने की तैयारी भी कर रही है. साधु-संतों को साधने के लिए आध्यात्म विभाग भी बनाया जा रहा है.

वंदे मातरम का गायन नहीं होगा,इसकी खबर सिर्फ चंद अफसरों को थी

वंदे मातरम के मुद्दे पर तेज हुई सियासत के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि किसी की राष्ट्र भक्ति सिर्फ वंदे मातरम के गाने से तय नहीं की जा सकती. कमलनाथ ने बचाव में कहा कि वे वंदे मातरम के गान की परंपरा को नए रूप में जल्द ही शुरू करेंगे.

एक जनवरी को मंत्रालय में वंदे मातरम का गान नहीं होगा इसकी जानकारी सिर्फ चुनिंदा अफसरों को ही थी. सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने 29 दिसंबर को एक परिपत्र जारी किया था, जिसमें एक जनवरी को वंदे मातरम के सामूहिक गान के कार्यक्रम की सूचना सभी कर्मचारियों की दी गई थी. सूचना जरूर जारी की गई लेकिन, कार्यक्रम की तैयारियां नहीं की गईं.

पुलिस बैंड को भी सूचित नहीं किया गया. कुछ अधिकारी कर्मचारी निर्धारित समय पर मंत्रालय परिसर में पहुंचे लेकिन, वहां तैयारी न देख अपनी सीट पर चले गए. मुख्यमंत्री कमलनाथ भोपाल से बाहर थे. वे अपने निर्वाचन क्षेत्र छिंदवाड़ा से सीधे उज्जैन महाकाल के दर्शन करने के लिए चले गए थे. राज्य के नए मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने भी नए साल के पहले दिन ही कार्यभार ग्रहण किया था.

Triple talaq amendment bill pass in Lok Sabha

Nationalised Banks on Strike today: 26 Dec, 2018

Services of state-owned banks are expected to be impacted Wednesday due to a nation-wide strike call given by unions to protest against the proposed amalgamation of Vijaya Bank and Dena Bank with Bank of Baroda. This will be the second bank strike in less than a week.

Last Friday (December 21), an officers’ union of state-run banks observed a day-long strike to protest against the merger and also demanded immediate settlement of wage negotiations. Most of the banks have already informed customers about the strike.

Private sector banks will continue to function as usual.

The strike is being organised by the United Forum of Bank Unions (UFBU), an umbrella organisation of nine unions, including the All India Bank Officers Confederation (AIBOC), the All India Bank Employees’ Association (AIBEA), National Confederation of Bank Employees (NCBE) and the National Organisation of Bank Workers (NOBW). The UFBU claims membership of 10 lakh officers and staffers.

According to AIBEA General Secretary C H Vekatachalam, the conciliation meeting called by Additional Chief Labour Commissioner did not lead to any assurance and so the unions are going ahead with the strike.

During the meeting, neither the government nor the concerned banks came forward to assure that they will not go ahead with the merger, he added.

The unions claim that the government wants banks to grow in size by such mergers but even if all public sector banks are bundled into one, the merged entity will not find a place among the top 10 globally.

The government in September approved the amalgamation of Bank of Baroda (BoB), Vijaya Bank and Dena Bank — the first three-way merger in the public sector banking space.

The move follows top lender State Bank of India last year merging five of its subsidiary banks with itself and taking over Bharatiya Mahila Bank, catapulting it to among the top 50 global lenders.

On wage revision, NOBW Vice President Ashwani Rana it is due since November 2017. So far, Indian Banks’ Association (IBA) has offered 8 per cent wage hike which is not acceptable to UFBU, he said.

Bank Strike Observed

A total strike was observed on 21/12/2018 by more than 3.20 lacs officers affiliated with All India Bank Officers Confederation (AIBOC).  A massive rally was organized which started from LHO of State Bank of India culminated at Punjab National Bank.  A massive demonstration was held in front of Punjab National Bank at Bank Square Sector-17 , Chandigarh.  More than 1500 officers from various Banks affiliated with AIBOC participated in the rally and demonstration. Slogans were raised against the Government and IBA against the fractured mandate and early and respectful wage revision for the banking fraternity including updation /revision of pension and family pension, introduction of five day week with immediate effect , stop mis- selling of third party products, work life balance of bankers, shift focus on core business and NPA recovery instead of third party products and stop merger of Public Sector Banks .

Speaking on the occasion Com Deepak Sharma (Joint General Secretary of AIBOC) strongly criticized the government and IBA for delay in their wage revision due since November 2017 and demanded immediate full mandate for officers upto scale VII.  15 out of 20 Banks have already given the unconditional mandate and have authorized the IBA to negotiate upto scale VII.  However 5 banks SBI, PNB, BOB, Union Bank of India and the Indian Bank have given the fractured mandate.  Despite majority of the Banks giving unrestricted mandate, the IBA has taken a rigid stand that they will negotitate only upto Scale III, which we are opposing and are being forced to adopt the path of agitation and go on strike.  The IBA is linking the wage revision to the Performance Linked pay based on gross operating profits and return on assets.  The proposal of Performance linked pay given by the IBA has already been outrightly rejected by the United Forum of Bank Unions (UFBU) in the meeting already held with IBA.

Com. Sanjay Sharma , EC member of AIBOC all India and also Convener of UFBU Chandigarh strongly criticized the central government and IBA for not seriously taking up the issues of the Bankers and demanded to settle all these outstanding issuing including mandate, wage revision, five day week, updation/revision of Pension and family pension immediately.  He further stated that we are opposing amalgamation of Banks including RRBs, mis selling of third party products and reduction in existing medical facility for officers and steep increase in Medical Insurance Premium for retirees. The IBA is dilly delaying the wage revision on the pretext of paying capacity of all the Banks.  It is a truth that the gross profits of all the Banks is increasing however due to higher provision for the NPAs the banks are earning losses.   He also highlighted that only a handful of  big corporate are defaulters who are having almost 84% of the total NPAs of all the Banks. 

Speaking on the occasion Com T S Saggu , State Secretary, AIBOC strongly  criticized the governments move of merger /amalgamation of Public Sector Banks and said that on the one side government is issuing licenses to the new small banks and on the other side they are merging the PSBs in the name of weak banks.  He further said that we are not accepting any performance linked pay either be it for specific grades or for everyone.

Sh. Ashok Goyal President AIBOC, Chandigarh also addressed the gathering and reiterated that we will oppose the policy of IBA to divide the officers fraternity tooth and nail.

Com Vipin Beri , Com. Harvinder Singh , Com. Pankaj Sharma, Com. Sachin Kumar, Com. Trighatia, Com Arun Sikka, Com D N Sharma, Com. H S Loona, Com. Balwinder Singh, Com. Nisha and Com. Shivani were also present.

Delay in Wage Revision Bank Officers protests on roads

On the call of All India Bank Officers Confederation , a body having more than 3.20 lac members across the country, carried out a candle march , today , on 20th December  , from SBI LHO Sector 17 and after passing through bank square the march culminate at  Punjab National Bank , Bank Square Sector-17 , Chandigarh,   More than 1000 bank officers participated in the march.

They were demand their long pending Wage Revision as per Charter of Demand for all officer up to Scale VII , updation /revision of pension and family pension  , introduction of five day week with immediate effect , stop mis- selling of third party products , focus on core business and NPA recovery , stop merger of Public Sector Banks , for which they hold massive demonstration on 4th, 11th, 14th and on 17th December,2018 to press acceptance of their genuine demands at the earliest. But there is no sincere/serious efforts either from IBA or DFS to avert the strike.

Speaking on the occasion Com Deepak Sharma , Joint General Secretary of AIBOC , strongly criticize the government and IBA for delay in their wage revision , which is due since November 2017 and demand immediate wage hike as per the charter of Demand for all the officers  up  to scale VII . He also demand immediate implementation of five day week . He further told that bank officers will observe 24 hour strike on 21st December to press for acceptance of their demands.

Com. Sanjay Sharma , President  SBIOA, Chandigarh Circle , strongly criticize the central government and IBA for ignoring long pending demands and asked to settle the at earliest . He further stated that government is hand in glove with big  corporate defaulters, who are having almost 84% of total NPAs of  banks and this is the main reasons for loss and weak position of PSBs.   

Speaking on the occasion Com T S Saggu , State Secretary , AIBOC   strongly  criticize the government move of merger /amalgamation of Public Sector Banks and said that on the one side government is issuing licenses to the new small banks and on the other side they are merging the PSBs in the name of weak banks the all most all the PSBs  are in operating profit and in net loss due to provisioning. Government is not serious about recovery from big corporate defaulters and are not making stringent laws for the recovery from them. He further stated that in case their demands were not accepted  , the agitational programme would be intensified.

Sh. Ashok Goyal , President AIBOC , Chandigarh state also address the gathering. Others who were present on the demonstration are Com Vipin Beri , Com. Harvinder Singh , Com. Sacin Kumar , Com . Arun Sikka Com D N Sharma , Com. H S Loona, Com. Neeru Saldi , Com. Balwinder Singh  

Haryana ADGP LAW & ORDER Mohd Akil IPSwill flag off Tricity Edition of OFF ROADING Event on 22 Dec 9AM at KANAK FARM Panchkula

HARYANA ADDITIONAL CHIEF SECRETARY VARINDER KUNDU IAS will be Chief guest  at Prize distribution Ceremony on 23 Dec at 3 PM 

Chandigarh Dec 20

Rush is back & it’s better & bigger than ever before! Off-Road Rush Chapter 3 is a competition of speed which will test your driving/riding skills on various challenging surfaces like Deep pits, Slush, Rock Crawls, etc. The team behind these events consists of professionals with more than 11 years of off-Roading Experience and Passion.This event will have best offroaders from North India showcasing their thrilling skills. These never stopping riders will be competing with each other through tough terrains like slush cross, hill climb, hill drops, rock crawling, articulation, water wading, river crossing in their SUVs, gypsy’s,jeeps, monsters and bikes.

Event Details –
Date: 22-23 December’18
Venue: Kanak farms village Thapli Panchkula Morni Road
Tricity Edition: Panchkula, Mohali & Chandigarh
Timings: 7:30 am onwards

Event Highlight: After 2 days of working through the competition, all participants will be entertained with a fabulous after party with a rock band, food & drinks!

Categories:
1. Bikes – OPEN
2. Enfield open
3. SUV – 4×2
4. SUV – 4×4
5. Gypsy
6. Thar
7. 4×4 Extreme ModifiedTeam ORAZ Gurgaon at Kanak farms, Chail – Morni (A venture of Aanchal Homes, Pinjore)This event will have best offroaders from North India showcasing their thrilling skills. 
Look forward to your prestigious presence to grace the occasion.
P.S. Event Dates: 22nd  & 23rd Dec 2018 Venue : Kanak Farms, Thapli- MorniItenary:22nd Dec : 9 AM :  Flag off ceremony by …….23rd Dec : 3 PM : Prize Distribution Ceremony
Thanking you!Jai thakurFounder – MDKanak Farms – Venture of Aanchal Homes

7ग्राम हेरोइन के साथ युवक काबू

ख़बर और फोटो: कपिल नागपाल

पंचकूला क्राइम ब्रांच ने पंचकूला के सूरजपुर से एक युवक को 7 ग्राम हीरोइन के साथ किया गिरफ्तार आज की कालका कोर्ट में पेश बता दें कि युवक के ऊपर पहले भी डकैती के केस दर्ज है

The Panjab University Colloquium Committee organized 50th PU Colloquium

 

News & Photos by Rakesh Shah

The Panjab University Colloquium Committee successfully organized 50th PU Colloquium at 3.00 p.m. on December 19, 2018 at Dr. S. S Bhatnagar UICET, Auditorium of Panjab University, Chandigarh.

Prof (Dr.) Shankarji Jha, Dean University Instructions, Panjab University, acting Vice Chancellor, Panjab University, Chandigarh for today was the Chief Guest on the occasion. In his address, he enlightened the audience about PU Colloquia and the activities and laurels of Panjab University, Chandigarh and also congratulated and appreciated the efforts of PU Colloquium committee for having organized 49 Colloquia till date. He remarked “May we all carry back today with us some important tips and awareness about keeping healthy body and robust mind through today’s lecture.

Prof. Promila Pathak, Coordinator PU Colloquium Series briefly introduced the eminent speaker. She apprised that Prof Vinod K Paul, PU Alumnus, is presently serving as Member, NITI Aayog and Chairman, The Board of Governors of Medical Council of India. Basically from Kangra, he pursued his early education from DAV College Chandigarh, and Government College, Dharamshala before joining All India Institute of Medical Sciences (AIIMS), New Delhi for his MBBS, MD and PhD. A pediatrician by training, he has been on the faculty of the Department of Pediatrics, AIIMS, New Delhi, since 1985, and has served as head of the department for nearly a decade. Prof Paul is a fellow of all the three science academies of the country, and a recipient of the Dr B R Ambedkar Centenary Award for Excellence in Biomedical Research and the Public Health Champion Award. The Government of India appointed Dr Paul as a Member of the National Institution for Transforming India, the NITI Aayog in August 2017 in the rank of Minister of State of the Government of India where he leads the Health, Nutrition and HRD verticals. He has recently been appointed as Chairman, the Board of Governors of Medical Council of India. He has played a pivotal role in crafting the government’s flagship health program, Ayushman Bharat, comprising twin missions, namely, the Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana and the Health and Wellness Centers Mission. He has chaired academic and selection committees of AIIMS, Raipur; chaired Technical Resources Group on Child Health, MoHFW and co chaired Himachal Pradesh State Commission on Health. An expert committee chaired by him on Mid Day Meal Program, formulated new nutrition guidelines for food served in the schools under this programme nationwide. A well known researcher, Dr Paul has over 350 publications to his credit and is the Chief Editor of the standard text book, Ghai Essential Pediatrics, read by most of the medical students, in the country.  He is the first Indian to be conferred with the prestigious Ihsan Dogramaci Family Health Foundation Prize by the World Health Organization (WHO) at the World Health Assembly (2018) for his contribution to global health. Apart from being an eminent neonatologist, Prof Paul has been closely associated with India’s health policy and programmes for over three decades. India’s child and maternal health programmes bear imprint of his research and expertise. As an internationally renowned academician, medical scientist, and public health exponent, Dr Paul chaired the Technical Advisory Group on Women’s and Children are Health for WHO South East Asia Region and has also been a Co-Chair of the Board of the Partnership for Maternal, Newborn, and Child Health (PMNCH).

 

Photo by Rakesh Shah

The speaker for the occasion, Prof Vinod K Paul delivered lecture on the topic “Healthy and Smart Youth for New India”. In his lecture, he highlighted that more than half of India’s population is below the age of 25. It is this human capital that would power India’s tryst with greatness in the next 3 decades.When we complete a century of our independence, India would be the world’s foremost economic and knowledge power.But this demographic dividend can only be realized if the youth of today and tomorrow has a healthy body and mind. During the talk he discussed key health concerns of the youth, and provided practical tips for healthy future. Finally, he concluded that PU should have collaboration programme with PGI for health and wellness at PU, so that PU may become role model health promoting university in the country.

 

Prof. (Dr.) Jagat Ram, Director, PGIMER, was the Guest of Honour for the event. He appreciated the significant contributions of Prof. Vinod K Paul, a renowned academician scientist, public exponent and alumnus of PU, the speaker of the today’s Colloquium lecture and stated that lectures from eminent personalities from various domains of life in the form of Colloquium series started by Panjab University, Chandigarh presents an opportunity to the heterogeneous mass of people to come and interact on a singular platform and acquire knowledge on different aspects of life and society and said that infact it has been an honour and a very alluring opportunity for Panjab University and the exuberant audience to have Prof. Vinod K Paul here at PU, Chd. He further added that with the combining strengths like skilled health workforce, low cost high yield models of health care and a growing Indian pharmaceutical sector may lead to an increase in the employment opportunities, as well. He also conveyed thanks and gave his best wishes to the Faculty, students and audience who had come to attend the lecture and emphasized that this Lecture series should continue to benefit the teachers, students and public at large.

 

On this occasion, many distinguished scientists and guests, CRIKC Members, a large number of senior and young faculty members, research scholars and UG/PG students from Panjab University, Local Colleges, and neighbouring institutes attended the lecture. The event ended successfully by a vote of thanks proposed by Dr. Shruti Bedi, a member Colloquium Committee.

 

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