आरजेडी के स्वर्णों के कोटा विरोध ने कांग्रेस की मुश्किल बढ़ाई

कांग्रेस पार्टी आरजेडी के वोट बैंक के साथ अगड़ों को एक साथ लाने की रणनीति पर काम कर रही थी लेकिन अब वैसा हो पाना उन्हें टेढ़ी खीर मालूम पड़ने लगा है

90 के दशक में मंडल-कमंडल की राजनीति के बीच बिहार में पिछड़ों के मसीहा के तौर पर लालू यादव का उभार हुआ था. दूसरी तरफ, मंडल के जवाब में कमंडल की राजनीति ने बीजेपी को भी धीरे-धीरे बिहार में अपने-आप को खड़ा करने का मौका दे दिया. लेकिन, इन दोनों के बीच में फंस गई कांग्रेस. बिहार में लालू के उभार ने ही कांग्रेस के अवसान की पटकथा लिख दी थी. लेकिन, मजबूर कांग्रेस सब कुछ जानते हुए भी लालू से तब भी पीछा नहीं छुड़ा पाई और अभी भी जेल में बंद लालू के पीछे-पीछे चलने को मजबूर दिख रही है.

कांग्रेस की रणनीति फेल?

लेकिन, लगभग दो दशक के दौर के बाद अब लालू यादव की पार्टी आरजेडी के खिलाफ सवर्णों की नाराजगी को कम करने का बीड़ा कांग्रेस ने उठाया था. लालू की गैरहाजिरी में उनके बेटे तेजस्वी यादव को आगे कर कांग्रेस सवर्णों के एक तबके के बीच यह संदेश देने की कोशिश कर रही थी कि आरजेडी अब वो आरजेडी नहीं रह गई. गंगा में बहुत पानी बह चुका है.

मोदी विरोध के नाम पर बिहार में महागठबंधन बनाने की तैयारी में लगी कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा था जिसमें लालू यादव के यादव और मुस्लिम वोट के साथ कांग्रेस सवर्ण तबके के लोगों को भी अपने नाम पर जोड़ने की तैयारी में थी. कांग्रेस में मदनमोहन झा और अखिलेश प्रसाद सिंह सरीखे सवर्ण नेताओं को आगे बढाकर आरजेडी के रघुवंश प्रसाद सिंह और जगदानंद सिंह जैसे चेहरों के सहारे कांग्रेस एक बार फिर से सवर्ण तबके को महागठबंधन से जोड़ने की तैयारी कर रही थी.

सूबे में कांग्रेस आरजेडी के बराबर सीट पर लड़ने का दावा कर रही थी. बीजेपी द्वारा एसएसी और एसटी एक्ट पर लिए गए फैसले के खिलाफ सवर्ण मतदाताओं की नाराजगी को भुनाने का मंसूबा पाल चुकी कांग्रेस बिहार में आरजेडी के साथ गठबंधन कर बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीद लगाए बैठी थी. लेकिन सवर्णों को आरक्षण दिए जाने संबंधी सदन में कवायद जैसे ही शुरू हुई राजनीतिक फिजा प्रदेश में बदलने लगी. खासकर आरजेडी के विरोध के फैसले के बाद आरजेडी के सवर्ण नेता सहित कांग्रेस पार्टी का राजनीतिक गणित उलझने लगा है.

स्टेट लेवल के एक सीनियर कांग्रेसी नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि अगड़ी जाति के बीच आरजेडी के रुख को समझ पाना मुश्किल होगा और इससे आगामी लोकसभा चुनाव में आरजेडी और कांग्रेस के गठबंधन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा.

लेकिन, सामान्य वर्ग के गरीब तबके को मिलने वाले दस फीसदी आरक्षण वाले विधेयक पर आरजेडी के संसद में विरोध के बाद कांग्रेस की सारी रणनीति फेल होती दिख रही है. झटका आरजेडी के उन सवर्ण नेताओं को भी लगा है जो इस बार सवर्णों के वोट बैंक के सहारे चुनाव में उतरने की तैयारी में थे.

आरजेडी के सवर्ण नेताओं में बेचैनी

आरजेडी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह की तरफ से आया बयान उसी झुंझलाहट और बेचैनी को दिखाता है. आरजेडी के सवर्ण नेता पार्टी के स्टेंड को लेकर उलझन में हैं कि वो लोकसभा चुनाव में सवर्ण मतदाताओं से वोट किस आधार पर मांगेंगे, उन दिग्गज नेताओं में रघुवंश प्रसाद सिंह,जगदानंद सिंह और शिवानंद तिवारी सरीखे नेता शामिल हैं जिन्हें आरजेडी के द्वारा लिया गया सवर्ण आरक्षण विरोधी फैसला असहज करने लगा है. इसलिए आरजेडी द्वारा लिए गए फैसले को चूक बताकर रघुवंश प्रसाद सिंह ने डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश भी शुरू कर दी है.

उन्होंने ऐसा वक्तव्य देकर अगड़ी जाति को रिझाने की कोशिश की है. दरअसल रघुवंश प्रसाद सिंह आरजेडी के सवर्ण चेहरा हैं. वो पांच दफा सांसद चुने जा चुके हैं. उनका चुनाव क्षेत्र वैशाली है जहां राजपूतों की संख्या निर्णायक फैसला कराने का मादा रखती है.

साल 1996 से लेकर 2009 तक लगातार रघुवंश प्रसाद सिंह वहां के सांसद रह चुके हैं. जातिगत समीकरण के तहत यादव और राजपूत जाति का एक साथ गोलबंद होना रघुवंश बाबू को संसद तक पहुंचाता रहा है लेकिन 2014 में रामा सिंह की इंट्री की वजह से एलजेपी और बीजेपी के गठबंधन ने रघुवंश प्रसाद सिंह को छठी बार सांसद बनने से रोक दिया था.

वजह साफ है कि राजपूत और यादव समाज का गठबंधन पिछले चुनाव में मज़बूत नहीं हो पाया था और आरजेडी के सवर्ण आरक्षण मुद्दे पर अपनाए गए रुख से रघुवंश प्रसाद सिंह सरीखे नेता की राजनीतिक जमीन चौपट हो सकती है. इसके लिए रघुवंश प्रसाद सिंह ने पार्टी से अलग लाइन लेकर मुद्दे को माइल्ड करने की कोशिश की है. ध्यान रहे राजपूत और यादव का गठजोड़ वैशाली के आसपास तीन लोकसभा क्षेत्र में सीधा असर डाल सकता है इसलिए बदली परिस्थितियों में उन्हें एक साथ रख पाना आसान नहीं दिखाई पड़ रहा है. यही हालत कमोबेश कई संसदीय क्षेत्र में है जिनमें मुंगेर, बलिया, बेगूसराय, नवादा, दरभंगा, मुज़्फ्फरपुर, औरंगाबाद की सीटें प्रमुख हैं.

लालू यादव के इशारे पर हुआ था विरोध!

सूत्रों की मानें तो आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव से सलाह मशविरा करने के बाद ही पार्टी ने लोकसभा और राज्यसभा में सवर्ण आरक्षण मुद्दे पर विरोध करने का फैसला किया था. राज्य सभा में मनोज झा ने बिल का विरोध करते हुए कहा था कि ‘कहानियां हमेशा से काल्पनिक आधार पर गढ़ी जाती रही हैं और उसका वास्तविकता से दूर-दूर का वास्ता नहीं होता है.’ उन्होंने कहा था कि ‘हम सबने बचपन में पढ़ा है कि एक गरीब ब्राह्मण था लेकिन एक गरीब दलित था , एक गरीब यादव था या एक गरीब कुर्मी था ऐसी कहानी कभी नहीं पढ़ी है.’

ज़ाहिर है मनोज झा ऐसी कहानी सुना कर साबित करने की कोशिश कर रहे थे कि सवर्ण को गरीब बताया जाना मनगढ़ंत कहानी है और इसका हकीकत से कोई लेना देना नहीं है. मनोज झा पार्टी लाइन के हिसाब से सदन में बोल रहे थे और बाहर पार्टी के युवा नेता और लालू प्रसाद के वारिस तेजस्वी यादव सवर्ण आरक्षण के मुद्दे पर आए संविधान संशोधन विधेयक का विरोध यह कहते हुए कर रहे थे कि यह आरक्षण दलित,पिछड़े और आदिवासी को मिल रहे आरक्षण को खत्म करने की एक साजिश है. इतना ही नहीं तेजस्वी यादव ने विरोध करते हुए यह भी कहा था कि 15 फीसदी आबादी को 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने की कोशिश हो रही है तो 52 फीसदी ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए.

तेजस्वी पिता लालू प्रसाद से गंभीर मंत्रणा के बाद ही ऐसी लाइन ले रहे थे. उन्हें मालूम था कि ऐसी पार्टी लाइन आरजेडी को सूट करती है और वो मोदी सरकार द्वारा लाए गए सवर्ण आरक्षण मुद्दे पर बिहार में अगड़ा बनाम पिछड़ा राजनीति करने में ठीक वैसे ही कामयाब होंगे जैसे उनके पिता लालू प्रसाद 90 के दशक में मंडल कमीशन लागू किए जाने के बाद सत्ता के शिखर तक पहुंचे थे.

अगड़ा बनाम पिछड़ा की रणनीति कितनी कारगर?

बिहार में अगड़ा बनाम पिछड़ा की राजनीति के दम पर लालू प्रसाद की राजनीति खूब चमकती रही है. इसकी वजह यह है कि अगड़ी जाति में जो चार जाति आती हैं, उनमें ब्राह्मण की आबादी 5.7 फीसदी है वहीं कायस्थ 1.5 फीसदी, भूमिहार 4.7 फीसदी और राजपूत 5.2 फीसदी हैं. आरजेडी अगड़ों के खिलाफ अतिपिछड़ा 21.7 फीसदी, यादव 14.4 फीसदी, बनिया 7.1 फीसदी, कुर्मी 3 और कोईरी 4 फीसदी को गोलबंद कर बिहार में अपनी राजनीति चमकाने की फिराक में है.

ये भी पढ़ें: 10 फीसदी कोटा: मोदी सरकार ने 8 लाख की आमदनी वाले को गरीब क्यों माना

लेकिन 90 के दशक की राजनीति का वो तरीका अब कारगर हो पाएगा उसकी उम्मीद कम ही दिखाई पड़ती है. मंडल कमीशन के दौर की राजनीति के बाद बिहार में तमाम दलों के नेतृत्वकर्ता पिछड़े और अति पिछड़े समाज से ही आते हैं, इसलिए आरजेडी की राजनीति से ज्यादा राजनीतिक लाभ मिल पाएगा ऐसा प्रतीत होता नजर नहीं आता है. प्रदेश में अगड़ा बनाम पिछड़ा की राजनीति फिर से शुरू हो सके इसकी गुंजाइश नहीं दिखाई पड़ती है.

यही वजह है कि महागठबंधन के घटक दलों में सवर्ण आरक्षण मुद्दे पर आरजेडी के विरोध के बाद असहज स्थिति पैदा होने लगी है. आरजेडी के सवर्ण नेता भले ही डैमेज कंट्रोल करने में लगे हों लेकिन कांग्रेस के भीतर भी आरजेडी के स्टैंड को लेकर मायूसी है. कांग्रेस पार्टी आरजेडी के वोट बैंक के साथ अगड़ों को एक साथ लाने की रणनीति पर काम कर रही थी लेकिन अब वैसा हो पाना उन्हें टेढ़ी खीर मालूम पड़ने लगा है.

राम मंदिर मुद्दे पर कांग्रेस का साथ दे सकती है वीएचपी

विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष (कार्याध्यक्ष) आलोक कुमार ने कहा यदि कांग्रेस हमारे लिए अपने दरवाजे खोलती है और अपने चुनावी घोषणा पत्र में राममंदिर निर्माण को शामिल करती है तो हम विचार करेंगे

विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष (कार्याध्यक्ष) आलोक कुमार ने राम मंदिर निर्माण के लिए कानून न बनाने पर बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लिया है. उन्होंने कहा, ‘हमें लगता था कि सरकार कानून बनाएगी. हमने आग्रह भी किया था और सरकार को कानून लाना भी चाहिए था. लेकिन अब लगता है कि सरकार कानून नहीं लाएगी. कम से कम इस कार्यकाल में तो नहीं लाएगी. इसलिए हम दूसरे विकल्पों के साथ संतों के सामने इस मामले को रखेंगे. 1 फरवरी को धर्म संसद में अब संत ही तय करेंगे कि हमें क्या करना है?’

कांग्रेस के साथ जाने पर क्या बोली VHP?

कुंभ मेला शिविर में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदुत्व और राममंदिर को लेकर जो भी सकारात्मक संकेत देगा, हम उसके साथ जा सकते हैं. वहीं एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि विकल्प तो कई हो सकते हैं. यह पूछने पर कि क्या कांग्रेस के साथ भी जा सकते हैं तो उन्होंने कहा कि पहले वे अपने दरवाजे तो हमारे लिए खोले. कांग्रेस ने तो अपने दरवाजे हमारे लिए बंद कर रखे हैं. कांग्रेस के साथ जाने के लिए पहले कांग्रेस सेवा दल से जुड़ना होता है. यदि कांग्रेस हमारे लिए अपने दरवाजे खोलती है और अपने चुनावी घोषणा पत्र में राममंदिर निर्माण को शामिल करती है तो हम विचार करेंगे.

हालांकि उन्होंने कांग्रेस पर राममंदिर मुद्दे को कोर्ट में लटकाने का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं (जो वकील भी हैं) ने पूरा प्रयास किया कि यह मामला और लटके. सीजेआई पर दबाव बनाया गया. उनके खिलाफ महाभियोग की नोटिस दी गई. यह पूछे जाने पर कि क्या फिर चुनाव में वह बीजेपी को ही सपोर्ट करेंगे.

आलोक कुमार ने कहा कि यह संत ही तय करेंगे. हम तो पूरी स्थिति उनके सामने रखेंगे. हालांकि फिलहाल हिंदुत्व और राममंदिर के बारे में बीजेपी के अलावा कोई दूसरी पार्टी सोचने वाली तो नहीं दिख रही.

मीडिया के पूछे जाने पर कि क्या दोबारा बीजेपी की सरकार बनने पर वह बीजेपी पर राममंदिर के लिए दबाव बनाएंगे? उन्होंने कहा कि हम फिर उनसे आग्रह करेंगे. जनमत चाहता है कि राममंदिर बने. हमें उम्मीद है कि 2025 तक राममंदिर जरूर बन जाएगा. हालांकि यह नहीं बताया कि शुरू कब होगा.

आस्था का कुम्भ, 12 लाख करोड़ की कमाई : सीआईआई

लखनऊ: प्रयागराज में संगम की रेती पर बसे आस्था के कुंभ से उत्तर प्रदेश सरकार को 1,200 अरब रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है. उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने यह अनुमान लगाया है. सीआईआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक 15 जनवरी से 4 मार्च तक आयोजित होने वाला कुंभ मेला हालांकि धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है मगर इसके आयोजन से जुड़े कार्यों में छह लाख से ज्यादा कामगारों के लिए रोजगार उत्पन्न हो रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार ने 50 दिन तक चलने वाले कुंभ मेले के लिए आयोजन के लिए 4,200 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं जो वर्ष 2013 में आयोजित महाकुंभ के बजट का तीन गुना है.

सीआईआई के अध्ययन के मुताबिक कुंभ मेला क्षेत्र में आतिथ्य क्षेत्र में करीब ढाई लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. इसके अलावा एयरलाइंस और हवाई अड्डों के आसपास से करीब डेढ़ लाख लोगों को रोजी-रोटी मिलेगी. वहीं, करीब 45,000 टूर ऑपरेटरों को भी रोजगार मिलेगा. साथ ही इको टूरिज्म और मेडिकल टूरिज्म क्षेत्रों में भी लगभग 85,000 रोजगार के अवसर बनेंगे.

रिपोर्ट के मुताबिक इसके अलावा टूर गाइड टैक्सी चालक द्विभाषिये और स्वयंसेवकों के तौर पर रोजगार के 55 हजार नए अवसर भी सृजित होंगे. इससे सरकारी एजेंसियों तथा वैयक्तिक कारोबारियों की आय बढ़ेगी.

सीआईआई के अनुमान के मुताबिक कुंभ मेले से उत्तर प्रदेश को करीब 12 सौ अरब रुपये का राजस्व मिलेगा. इसके अलावा पड़ोस के राज्यों राजस्थान, उत्तराखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश को भी इसका फायदा होगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि कुंभ में शामिल होने वाले पर्यटक इन राज्यों के पर्यटन स्थलों पर भी जा सकते हैं.कुंभ मेले में करीब 15 करोड़ लोगों के आने की संभावना है. दुनिया का यह सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन पूरी दुनिया में अपनी आध्यात्मिकता और विलक्षणता के लिए प्रसिद्ध है

रोजगार मेले में बेरोजगार युवाओं का उमड़ा जनसैलाब।

राज कुमार , पंचकुला:

पंचकुला के सेकटर-6 स्थित सर छोटू राम जाट भवन में रोजगार मेले का आयोजन किया गया। मेले का आयोजन प.हरिप्रकाश चेरिटेबल ट्रस्ट के बैनर तले हुआ। रोजगार मेले का उद्घाटन प.हरिप्रकाश चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन संजीव भारद्वाज ने किया। रोजगार मेले में पंचकुला के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े सैंकड़ों युवाओं ने हिस्सा लिया। रोजगार मेले में ग्रामीण क्षेत्र के युवा बढ़-चढक़र हिस्सा लें इसके लिए पिछले दिनों एक विशेष अभियान चलाकर बेरोजगार युवाओं को इसकी जानकारी दी गई थी।
       प. हरिप्रसाद चैरिटेबल ट्रस्ट की प्रधान श्रीमती सुधा भारद्वाज ने जानकारी देते हुए बताया कि प.हरिप्रकाश चेरिटेबल ट्रस्ट बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने के उदेश्य से इस रोजगार मेले का आयोजन किया गया है। रोजगार मेले में 640 बेरोजगार युवाओं ने हिस्सा लिया। योग्यता  के आधार पर 224 युवाओं को रोजगार दिया गया। उन्होने बताया कि रोजगार मेले में अलग-अलग फील्ड से जुड़ी 18 नामचीन कंपनियो ने हिस्सा लिया।

रोजगार मेले में पंहुचे युवाओं ने आयोजकों का आभार प्रकट किया ओर कहा कि इस तरह के कार्यक्रम समय-समय पर होते रहने चाहिए। इसका जवाब देते हुए श्रीमती सुधा भारद्वाज ने कहा कि इस तरह के रोजगार मेले का आयोजन हर महीने अलग-अलग जगह पर किया जाऐगा। फरवरी महीने में इसका आयोजन बरवाला में होगा। जिसमें अगली बार देश-विदेश दोनों तरह की कमनियों को बुलाने का प्रयास होगा,ताकि अपने काबिल युवाओं व युवतियों को देश-प्रदेश में हर जगह रोजगार मिल सके। इसके लिए प.चैरिटेबल ट्रस्ट हमेशा प्रयासरत रहेगी।

माता मनसा देवी परिसर में 2 दिवसीय ज्योतिष कार्यशाला का शुभारंभ

आज पंचकूला में माता मनसा देवी मन्दिर परिसर में माता मनसा देवी चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित भण्डारा ( ग्रेन मार्किट) के प्रांगण में आज दो दिवसीय जयोतिष कार्यशाला का शुभारम्भ हुआ। लक्ष्य ज्योतिष संस्थान द्वारा एवं ग्रेन मार्किट भण्डारा द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में देश के विभिन्न राज्यों से आए ज्योतिषी भाग ले रहे हैं।

वास्तु, लाल किताब, वैदिक ज्योतिष, नाड़ी ज्योतिष, टैरो, अंक ज्योतिष, हस्त रेखा, योग, आभा मण्डल, बिशेषज्ञ, विचारक और विद्वान इस कार्यशाला में निःशुल्क परामर्श दे रहे हैं।

लक्ष्य ज्योतिष की अध्यक्ष बीना शर्मा ने बताया कि संस्था द्वारा पिछले पाँच वर्षों से इस तरह की कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। इसका मकसद है कि ज्योतिष से सम्बंधित विभिन्न विधाओं के बारे में लोगों को जानकारी देना और उनकी समस्याओं का निवारण करना।

नेचुरोपैथ , ज्योतिषविद एवम् योगाचार्य अश्विनी गौतम ने बताया कि कार्यशाला में शरीर और मन से जुडी समस्याओं का निवारण करने का प्रयास किया जाता है। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि प्रत्येक शरीर की अलग संरचना होती है उसी को ध्यान में रखते हुए समस्याओं का समाधान किया जाता है।

इसी कड़ी में दिल्ली से आईं टैरो विशेषज्ञा पूनम ठाकुर ने www.demokraticfront.com से बातचीत के दौरान बताया कि टैरो विधा आत्मिक शक्तियों के सम्बंधों पर आधारित है।जो कि प्रश्नों के उत्तर देने के आलावा व्यक्तिगत सलाहकार और मार्गदर्शक का भी काम करती है।

पंचकूला में रेकी विशेषज्ञ के तौर पर जाने जाने वाले विजय मिश्रा कार्यशाला में रेकी के ज़रिये लोगो के मन और आत्मा के रोगों का निःशुल्क इलाज कर रहे हैं। उनका दावा है कि इस विद्या से लोगों का बहुत कल्याण हो रहा है।

न्यूमरोलॉजी यानि अंक गणित विद आरती भारद्वाज गणना से आपके भूत,वर्तमान और भविष्य के बारे में जानकर आपकी जीवनशै

26 जनवरी से कालका शिमला रेल मार्ग पर विशेष रेलगाड़ी चलाई जाएगी

उत्तर रेलवे द्वारा पर्यटकों के लिए एक विशेष रेलगाड़ी संख्या 52459/60 आगामी 26 जनवरी से कालका शिमला रेल मार्ग पर चलाई जाएगी।

उत्तररेलवे के अम्बाला मण्डल के वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक हरि मोहन ने बताया कि यह नवचलित गाड़ी 25 अप्रैल 2019 तक रेलगाड़ी संख्या 7245/52 रेल मोटर कार के मार्ग और समय पर चलेगी। गाड़ी के पांच डिब्बों में पर्यटकों की आवश्यकताओं को देखते हुए तब्दीलियाँ की गई हैं जैसे कि सीटों के कवर, खिड़कियों पर ब्लाइंड्स, विनाइल रोल, पीबीसी फ्लोरिंग, 4 अग्नि शमन यंत्र और कुछ डिब्बे वातानुकूलित भी किये गए हैं।

यह विशेष गाड़ी कालका से सुबह 5:10 पर रवाना होकर 9:50 पर शिमला पहुंचेगी और शिमला से शाम 5:25 पर रवाना होगी और 10 :05 बजे कालका पहुंचेगी।

कालका शिमला रेल मोटर कार रेलगाड़ी संख्या 72451/52 , 26 जनवरी 2019 से 25 अप्रैल 2019 तक रदद् कर दी गई हैं।

A Cleaniness drive has been conducted at Mehar Chand Mahajan Boys Hostel No.1

A Cleaniness drive has been conducted at Mehar Chand Mahajan Boys
Hostel No.1,  the drive was started at  10 am today. The  residents of
hostel, all the employees as well as mess and canteen workers
participated with enthusiasm.


Story and photo by Rakehs Shah

The premises and surrounding of hostel was cleaned and a message to
the residents was passed regarding the need of clean and green
environment.


photo by Rakehs Shah

 The drive was lead by Prof. Emanuel Nahar, Dean student welfare (DSW)
 and Dr. Rajeev Kumar (Warden BH 1), Dr. Sanjeev ( Warden BH -3), and
Professor M. C. Sidhu, Deptt. Of Botany sensitized residents about
cleaniness in hostel soundings.

photo by Rakehs Shah

        Prof. Nahar, DSW also appreciated the initiative taken by the
hostel residents and staff.

Workshop on Curriculum Development at PU

Rakesh Shah, Chandigarh:

The Department of English and Cultural Studies, Panjab University, held a workshop on the recent revision in the post graduate curriculum, here today.

 The chairperson of the department, Prof. Deepti Gupta, in her inaugural address  emphasized the need to engage with a competing global environment as the basis for these revisions. One of the major issues discussed today was how well the new curriculum could be implemented by the affiliated institutions. The syllabus which is supposed to be implemented from July 2019 has undergone significant revision. Notably, modules on writing a dissertation and various outreach activities were introduced and more stress has been laid upon Cultural Studies in the revised syllabus. SDSA

Prof. Akshaya Kumar informed the audience about the UGC’s Open Basket
system enabling students to have multiple options to choose from. He also mentioned that the new syllabus once implemented, will be helpful to students attempting the NET exam.

The new syllabus will comprise segments on radio, television and social media as discussed by Dr Surbhi Goel. Prof. Pushpinder Syal spoke about the Linguistics and Language papers and suggested the methodology for them.

Dr Sudhir Mehra contrasted the earlier syllabus with the new one from the point of view of the student body. Dr Meenu Gupta discussed the changes in the British Literature courses.  Moreover, Prof. Aneel Raina stressed upon the various repercussions of the earlier syllabus and suggested multiple innovative teaching methodologies for the current curriculum. Towards the end of the workshop, there was a question-answer session where various teachers from the affiliated institutions posed their queries regarding the implementation of these changes.

 Prof. Gupta concluded the workshop on a positive note saying that such changes are influential in changing the mindset of individuals involved in the domain of higher education in India.

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Promotion of Ethical and Affordable Health Care (SPEAK), organised one-day Symposium on “Ayushman Bharat” at PU

Chandigarh January 18, 2019

        The Department of Public Administration, Panjab University Chandigarh in collaboration with Society for Promotion of Ethical and
Affordable Health Care (SPEAK), Chandigarh organised one-day Symposium
on “Ayushman Bharat: Central Government’s Flagship Health and Wellness
Programme” at the ICSSR NW Regional Centre, PU, Chandigarh, here today.

         The Symposium began with the Inaugural Session followed by
two technical sessions and valedictory session.

        The Inaugural Session was presided over by Professor. B.S. Ghuman, Vice-Chancellor, Punjabi University, Patiala. Prof. Ramanjit Kaur Johal, Symposium Director and Chairperson, Department of Public Administration welcomed the guests and introduced the theme of the symposium. Prof. Johal stated that health development is essential for the social and economic development of the country and the highest attainment of the health is fundamental right of every citizen. Dr. Ram Kumar, President, SPEAK India, during his Inaugural Address, highlighted the initiatives undertaken by Society for Promotion of Ethical and Affordable Health Care (SPEAK) and talked about wellness for all and health insurance for poor. Dr. Shweta Mahendru, Project Director, Ayushman Bharat, Government of Punjab delivered the Keynote Address. She shared her experience of being actively involved in health insurance schemes in different states including Punjab. Prof. B.S. Ghuman, Vice Chancellor, Punjabi University, Patiala, in his presidential address recommended policy prescriptions like mployment of objective and transparent method in identifying beneficiaries, improving coordination among implementing agencies, ensuring state’s share on regular basis, organizing capacity building programmes for officials and social audit of the Scheme.

        The Inaugural Session was followed by First Technical Session titled Wellness and Fitness v/s Patient Care chaired by Sh, Vivek Atray, Former IAS and presently a motivational speaker. The speakers included Professor J.S. Thakur, PGIMER Chandigarh; Dr P.K. Taneja, IIPA New Delhi; Mr Rajeev Ranjan Roy, Freelance Journalist and Dr Anurag Sharma, Senior Cardiologist, OJAS Hospital, Panchkula and covered topics related to Ayushan Bharat such as non-communicable diseases; heart diseases, measures to be adopted for achieving the objectives of the programme. The second technical session titled Aspects of Health Insurance was chaired by Sh. A.S. Chatha (IAS, retd), former Chief Secretary, Punjab. The session had presentation made by Dr. A.S. Kohli, Ex-Regional Manager, National Insurance Company Ltd.; Professor Keerti Pardhan, Expert, Health Management, Chitkara University; Sh. Inderpal Singh, SBI; Ms Preeti, Dean, Faculty of Health Sciences, Chitkara University; and Ms. Saroj Nain, a key
official associated with implementation of Ayushman Bharat in Chandigarh.

        The Valedictory Session of the Symposium began with presentation of the report of the proceedings of the Symposium by Dr haati Garg, Symposium Coordinator, and Assistant Professor, Department of Public Administration, PU, Chandigarh.

         The Valedictory Address of the Seminar was delivered by Sh.
Amardeep Singh Cheema, Chairman, Punjab Health Systems Corporation.
During his address, Sh. Amardeep Singh Cheema referred to various
health insurance schemes already playing a key role in providing health insurance coverage in Punjab specially to those belonging to disadvantaged sections of the society. Sh. Cheema informed the audience that Punjab is in the process of launching health insurance scheme, namely, Sarbat Sehat Bima Yojana patterned on the philosophy of Ayushman. The scheme aims to cover more than 43 lakh families of Punjab with coverage of Rs. 5 lakh health insurance to achieve the state government’s objective of ensuring health for all. Sh. Cheema opined that the participation of civil society organizations, media and higher education institutions holds a key in improving the performance of initiatives in the healthcare sector.

        The session was presided over by Professor Shankarjit Ji Jha,
Dean of University Instructions, PU, Chandigarh. In his address,
Professor Jha drew support from Indian classical traditions and texts
to further the aim of maintaining healthy lifestyle.

IAS Centre conducts Entrance test at PU

Rakesh Shah,
17 Jan, 2017. Chandigarh

The IAS Centre, Punjab University conducted its entrance test for the new batch of students preparing for IAS, here today. A total of 125 students were present for the test. The result of the test will be displayed on 21st Jan., at 2pm at the IAS Centre, PU. About 70 students will be selected for this batch. Classes for the same will commence from 28th Jan. Prof. Paramjit  Kaur, Director, IAS Centre and Dr. Shruti Bedi, Coordinator said that the students  were well prepared.