आत्महत्या की रोकथाम अब एक वैश्विक प्राथमिकता : डा. कृति आनंद
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस:
मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक व देखभाल करने वाली टीम द्वारा सहयोगत्मक देखरेख आत्महत्याओं को कम करने का कारगार तरीका: डा. कृति आनंद
डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, पंचकूला – 9 सितंबर :
‘चूंकि आत्महत्या एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है, इसलिए इसकी रोकथाम एक वैश्विक प्राथमिकता बन गई है। सलाह-मश्वरा, अनुवर्ती फोन कॉलस तथा दवाईयों और मनोचिकित्सा जैसे चिकित्सीय विकल्प स्थिति से निपटने में मदद कर रहे हैं। आत्महत्या के जोखिम वाले कुछ व्यक्तियों को दवा से भी लाभ मिल सकता है, क्योंकि ऐसे कई व्यक्तियों को अक्सर मानसिक बीमारी या मादक द्रव्यों के सेवन की समस्या होती है।’ यह बात पारस अस्पताल के मनोचिकित्सक विभाग की सलाहकार डा. कृति आनंद ने विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मौके आयोजित एक सेमीनार को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि मनोचिकित्सक व मनोवैज्ञानिक व देखभाल करने वाली टीम लोगों में डिप्रेशन के इलाज व आत्महत्या के विचारों को कम करने का सबसे प्रभावशाली तरीका है। उन्होंने बताया कि हर वर्ष आत्महत्याओं के कारण दुनिया भर में 8 लाख मौतें हो जाती हैं, जबकि भारत में करीब 1 लाख 35000 लोग खुदकुशी के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं। यह दुनिया भर की कुल मौतों का 17 प्रतिशत है।
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के मौके पारस अस्पताल का उद्देश्य है कि आत्महत्या की प्रवृति रोकने के लिए विश्व भर के लोगों को एकजुट किया जाए तथा ‘क्रिएटिंग होप थ्रू एक्शन’ एक्शन द्वारा उम्मीद पैदा करो थीम के तहत अधिक जिंदगियां बचाई जाएं।
उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति को सुसाइड का ख्याल आना इस बात का संकेत है कि वह मानसिक रोग से पीडि़त हैं तथा उसको तुरंत इसका इलाज करवाना चाहिए। सुसाइड क्यों होते हैं इस बारे समाज में चेतना पैदा करनी चाहिए। माहिर डाक्टर ने बताया कि बहुत सारे लोगों का विश्वास है कि सुसाइड करने वाले लोग स्वार्थी होते हैं तथा सरल तरीका अपनाते हैं पर सच्चाई यह है कि ऐसे लोग मानसिक रोग से बहुत ज्यादा पीडि़त होते हैं तथा वह बेकार, निराश व असहाय महसूस करने लग जाते हैं। डा. कृति आनंद ने बताया कि इसके अलावा बहुत सारे लोगों में मौखिक या व्यवहारिक चेतावनी के संकेत ज्यादातर आत्महत्याओं से पहले मिल जाते है। इसलिए इसको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। सुसाइड से व्यापक कलंक जुड़ा होने के कारण बहुत सारे लोग इस बारे खुलकर बात नहीं करते।
डा. कृति आनंद ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति मरने की इच्छा या खुद को मारने की बात कर रहा है, बोझ होने की बात कर रहा है, निराश है या जीने का कोई कारण नहीं है, असहनीय भावनात्मक या शारीरिक दर्द महसूस कर रहा है, अपने दोस्तों-मित्रों तथा परिवार से अपने आपको अलग-थलग करता है, तो यह भी उसके सुसाइड की तरफ जाने का गंभीर संकेत है, ऐसे व्यक्ति को तुरंत सलाह-मश्वरे की जरूरत है। उन्होंने आत्महत्या रोकथाम के लिए राष्ट्रीय कौंसिल (एनसीएसपी) की मुहिम- ‘जिंदगियां’ बचाने के लिए 5 काम करो की हिमायत करते हुए लोगों को अपील की है कि 10 सितंबर को लोगों के जीवन की रक्षा के लिए 5 काम करने के लिए 5 मिनट निकालो।